नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत मंगलवार को रनेहरा गांव पहुंचे. रनेहरा गांव गौतम बुद्ध नगर के जेवर एयरपोर्ट से विस्थापित गांव है. जब वह गांव पहुंचे तो सैकड़ो की संख्या में मौजूद किसानों ने उनका जोरदार स्वागत किया. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के अधिग्रहण में सरकार ने शोर जमीन का मुआवजा सरकार देना तय कर दिया है. शोर जमीन के मुआवजे की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने लंबा संघर्ष किया था, जिसकी खुशी आज सबने साथ मिलकर मनाई.
सभी किसानों की जीत: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि यह जीत सभी किसानों की जीत है. जब गौतम बुध नगर में भारतीय किसान यूनियन ने धरना प्रदर्शन किया और सरकार को जेवर एयरपोर्ट के नाम पर जमीन देने से मना कर दिया, तब सरकार की समझ में आया कि जिस जमीन को शोर की जमीन कह रहे हैं वह जमीन किसानों का भरण पोषण करती है. उस जमीन को एयरपोर्ट के नाम पर लिया जा रहा है जिससे क्षेत्र का विकास होगा और इस विकास में किसानों को उनका उचित प्रीतिकर मिलना चाहिए. मौके पर उन्होंने कहा कि हम सभी किसानों के एकजुट रहने से यह बहुत बड़ी जीत हुई है. आगे भी हम सब मिलकर किसानों के मुद्दों पर आवाज उठाते रहेंगे और किसानों को उनका हक दिलाएगें.
भारतीय किसान यूनियन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से प्रभावित किसानों को 50 मीटर से 100 मीटर प्लॉट, 5 लाख रुपये से 12 लाख रुपए और जिसकी जितनी आबादी है उस अनुसार आबादी के बराबर जमीन दिलवा कर रहेंगे. किसानों के यह मुद्दे जब तक हल नहीं हो जाएंगे भारतीय किसान यूनियन किसानों के साथ मुद्दों को उठाती रहेगी. मौके पर जिला अध्यक्ष रॉबिन नगर, अनित कसाना, सुरेंद्र ढाक, चंद्रपाल बाबूजी, चाहत राम, सहित सैकड़ों किसान व महिलाएं मौजूद रहीं.
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क्या होती है शोर की जमीन: शोर की जमीन ग्रामीण इलाकों में होती है. ऊसर, बंजर व कल्लर की तरह इसको आरक्षित की श्रेणी में शामिल किया गया है. इसीलिए इस भूमि का सरकार द्वारा अधिग्रहण की एवज में किसान को मुआवजा नही दिया जाता. जेवर के रनहेरा गांव में यहां की जमीन पर किसानों को पट्टे आवंटित किए गए थे जिनका अधिग्रहण नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए किया जा रहा है. किसान लगातार मुआवजे की मांग कर रहे थे जबकि यमुना प्राधिकरण व प्रशासन शोर की जमीन का मुआवजा देने से इनकार कर रही था. किसानों ने इसका पुरजोर विरोध किया और उसके बाद शोर की जमीन को उत्तर प्रदेश सरकार ने अनारक्षित श्रेणी में शामिल कर दिया. अब किसानों को इस शोर की जमीन का प्रतिकर (मुआवजा) यमुना प्राधिकरण द्वारा दिया जाएगा.
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