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ना सोशल डिस्टेंसिंग, ना ही कोई व्यवस्था, भगवान भरोसे छोड़ दिए गए मजदूर - migrants in lockdown

दिल्ली से अपने घरों तक पहुंचने की आस लिए निकल चुके मजदूर पता नहीं कब घर पहुंचेंगे, किस साधन से जाएंगे, लेकिन इतना जरूर पता है कि वे अभी जहां पर खड़े हैं, वहां संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है.

migrants gathered at ghazipur border
प्रवासी गाजीपुर की सीमा पर एकत्र हुए
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Published : May 19, 2020, 6:12 PM IST

नई दिल्ली: पैदल पलायन की कई मार्मिक तस्वीरें सामने आने के बाद सरकार की निंद्रा भंग हुई. वो भी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था करने को लेकर नहीं, बल्कि इसे लेकर कि मजदूरों के पैदल पलायन को पूरी तरह से रोक दिया जाए. सरकार का आदेश हुआ, जिला प्रशासन सक्रिय हुए और फिर सभी डीएम ने अपने-अपने क्षेत्र में पैदल पलायन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया.

भगवान भरोसे छोड़ दिए गए मजदूर



गाजीपुर बॉर्डर पर उमड़ी भीड़

नतीजा ये हुआ कि जो मजदूर अपने घरों से निकले, उन्हें किसी भी तरह से स्थानीय प्रशासन अपने इलाके से बाहर करने की जुगत में जुट गया. इसी भागदौड़ में मजदूर दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर जमा हो गए है. लेकिन इसके बाद का इलाका उत्तर प्रदेश में पड़ता है और वहां पर पूरी तरह से सीमा पार करने की मनाही है. मजबूरन मजदूरों का बड़ा हुजूम गाजीपुर बॉर्डर के पास उमड़ पड़ा है.


भीड़ में बच्चे-बुजुर्ग भी शामिल

गाजीपुर बॉर्डर से पहले फ्लाईओवर के नीचे हजारों की संख्या में मजदूर जमा हो गए हैं. इन्हें सड़क पर नहीं चलने दिया जा रहा और ना ही किसी अन्य साधन की व्यवस्था करने दी जा रही है. इन्हें खाना खिलाने, पानी पिलाने के लिए कुछ लोग जमा हो गए और फिर उसके कारण भी लोगों का हुजूम उमड़ता चला गया. जो अब एक अथाह भीड़ का रूप ले चुका है. गौर करने वाली बात ये है कि इस भीड़ में बुजुर्ग भी हैं और बच्चे भी, जिन्हें सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा है.


किस काम की ये जल्दबाजी

समस्या ये है कि यहां ना तो कोई सरकार का नुमाइंदा है और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी, जो इन मजदूरों को अलग-अलग बैठा सके. ऐसी व्यवस्था कर सके, ताकि यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो कराया जा सके. सबसे दुखद पहलू ये है कि यहां खाने वाले लोगों की लंबी कतार है. लेकिन इस कतार में भी दूरी का पालन नहीं हो रहा. लोग एक दूसरे के समीप खड़े हैं. कोशिश यही है कि घर नहीं जा पा रहे, तो पेट ही भर लें. इसी कोशिश में सभी जुटे हुए हैं. लेकिन सवाल ये है कि अगर ये संक्रमण के शिकार हो गए, तो फिर ये जल्दबाजी किस काम की.

नई दिल्ली: पैदल पलायन की कई मार्मिक तस्वीरें सामने आने के बाद सरकार की निंद्रा भंग हुई. वो भी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था करने को लेकर नहीं, बल्कि इसे लेकर कि मजदूरों के पैदल पलायन को पूरी तरह से रोक दिया जाए. सरकार का आदेश हुआ, जिला प्रशासन सक्रिय हुए और फिर सभी डीएम ने अपने-अपने क्षेत्र में पैदल पलायन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया.

भगवान भरोसे छोड़ दिए गए मजदूर



गाजीपुर बॉर्डर पर उमड़ी भीड़

नतीजा ये हुआ कि जो मजदूर अपने घरों से निकले, उन्हें किसी भी तरह से स्थानीय प्रशासन अपने इलाके से बाहर करने की जुगत में जुट गया. इसी भागदौड़ में मजदूर दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर जमा हो गए है. लेकिन इसके बाद का इलाका उत्तर प्रदेश में पड़ता है और वहां पर पूरी तरह से सीमा पार करने की मनाही है. मजबूरन मजदूरों का बड़ा हुजूम गाजीपुर बॉर्डर के पास उमड़ पड़ा है.


भीड़ में बच्चे-बुजुर्ग भी शामिल

गाजीपुर बॉर्डर से पहले फ्लाईओवर के नीचे हजारों की संख्या में मजदूर जमा हो गए हैं. इन्हें सड़क पर नहीं चलने दिया जा रहा और ना ही किसी अन्य साधन की व्यवस्था करने दी जा रही है. इन्हें खाना खिलाने, पानी पिलाने के लिए कुछ लोग जमा हो गए और फिर उसके कारण भी लोगों का हुजूम उमड़ता चला गया. जो अब एक अथाह भीड़ का रूप ले चुका है. गौर करने वाली बात ये है कि इस भीड़ में बुजुर्ग भी हैं और बच्चे भी, जिन्हें सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा है.


किस काम की ये जल्दबाजी

समस्या ये है कि यहां ना तो कोई सरकार का नुमाइंदा है और ना ही कोई प्रशासनिक अधिकारी, जो इन मजदूरों को अलग-अलग बैठा सके. ऐसी व्यवस्था कर सके, ताकि यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो कराया जा सके. सबसे दुखद पहलू ये है कि यहां खाने वाले लोगों की लंबी कतार है. लेकिन इस कतार में भी दूरी का पालन नहीं हो रहा. लोग एक दूसरे के समीप खड़े हैं. कोशिश यही है कि घर नहीं जा पा रहे, तो पेट ही भर लें. इसी कोशिश में सभी जुटे हुए हैं. लेकिन सवाल ये है कि अगर ये संक्रमण के शिकार हो गए, तो फिर ये जल्दबाजी किस काम की.

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