नई दिल्ली/गाजियाबाद: सावन का महीना शुरू होने से पहले ही कांवड़ यात्रा की व्यवस्था को दुरुस्त करने का काम शुरू हो गया है. इस बार कांवड़ यात्रा 4 जुलाई से शुरू होने वाली है, जिसके लिए गाजियाबाद सहित पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था के साथ अन्य तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.
हरिद्वार से लेकर दिल्ली तक की कांवड़ यात्रा के लिए हर साल कई जगहों पर रूट डायवर्ट किए जाते हैं. हरिद्वार से जल लेकर लाखों की संख्या में कांवड़िया गाजियाबाद के अलग-अलग मार्गों से गुजरते हैं. इन मार्गों पर स्ट्रीट लाइट एवं अन्य चीजें पहले से ही दुरुस्त करा ली गई हैं. गाजियाबाद में छोटा हरिद्वार मंदिर और दूधेश्वर मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में कांवड़िया पहुंचते हैं, जहां सभी व्यवस्थाएं करना एक चुनौती होती है. यह कांवड़ यात्रा 15 जुलाई तक चलेगी.
डीसीपी रवि कुमार ने कहा कि पूरे रूट को जोन और सेक्टर में बांटा गया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र गाजियाबाद है, जहां अलग अलग पुलिस जोन बने हुए हैं. कांवड़ यात्रा का एक बड़ा क्षेत्र ग्रामीण इलाके में आता है. इनमें पाइपलाइन रोड, गंग नहर पटरी आदि शामिल है. इसमें कई मार्ग हाईवे के भी शामिल हैं. और तो और कांवड़ यात्रा से दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे के ट्रैफिक पर भी प्रभाव पड़ता है. इसलिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि यहां पर्याप्त मात्रा में पुलिसकर्मियों की तैनाती हो, जिससे कांवड़ियों को किसी तरह की परेशानी न हो और ट्रैफिक भी सुचारू रूप से चलता रहे. इसके लिए ट्रैफिक डायवर्ट किया जाएगा. साथ ही मार्गों पर पुलिस बल के साथ सीसीटीवी कैमरों से भी नजर रखी जाएगी. वहीं, जगह-जगह कंट्रोल रूम भी बनाए जा रहे हैं जो एक दूसरे से जुड़े होंगे.
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गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने सोमवार को कांवड़ यात्रा के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक भी की, जिसमें सुरक्षा और ट्रैफिक संबंधी तैयारियों को लेकर चर्चा की गई. इससें बताया गया कि कांवड़ यात्रा के लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं. अधिकारियों ने खुद संबंधित मार्गों पर पैदल मार्च कर स्थिति का जाएजा लिया. साथ ही पुलिस ने कावड़िया शिविरसंचालकों के साथ भी मीटिंग की, जिससे कांवड़ियों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं को भी सुनिश्चित किया जा सके. उनके खाने पीने की व्यवस्था और ठहरने की व्यवस्था इन्हीं शिविरों में होती है. यह शिविर रोड के किनारे बनाए जाते हैं, जिनमें सुरक्षा के चाक-चौबंद इंतजाम किए जाते हैं. यह शिविर सीसीटीवी कैमरों से लैस होते हैं और यहां बिजली और वाईफाई की भी व्यवस्था होती है.
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