ETV Bharat / state

Chaitra Navratri 2023: तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र और उनकी आरती - Worship of Maa Chandraghanta

पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था. मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा-विष्णु- महेश तीनों की शक्तियां विद्यमान हैं. मां चंद्रघंटा हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए हुए हैं. उनके माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है. जिस चलते उन्हें अपना नाम चंद्रघंटा नाम मिला है.

तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा
तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा
author img

By

Published : Mar 23, 2023, 4:29 PM IST

आचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप की पूजा अर्चना करने से जीवन में अहंकार और क्रोध से मुक्ति मिलती है. मां चंद्रघंटा की आराधना करने से सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है साथ ही सौभाग्य, वैभव और शांति की प्राप्ति होती है. जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने से निर्भयता का विकास होता है.

० पूजा विधि: नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां चंद्रघंटा के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा में भूरे रंग के कपड़े पहनें. मां चंद्रघंटा को सफेद चीज (केसर के दूध से बने मिष्ठान जैसे खीर आदि) का भोग लगाना चाहिए. शहद का भोग भी लगा सकते हैं.

मां चंद्रघंटा का स्वरूप: पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था. मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा-विष्णु- महेश तीनों की शक्तियां विद्यमान हैं. मां चंद्रघंटा हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए हुए हैं. उनके माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है. जिस चलते उन्हें अपना नाम चंद्रघंटा नाम मिला है.

० मां चंद्रघंटा मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

० मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ये भी पढ़ें: Martyrs Day 2023 : दिल्ली से भी जुड़ी हैं भगत सिंह की यादें, एक दिन के लिए यहां किया गया था कैद

आचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली/गाजियाबाद: 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है. सिर पर चंद्र और हाथों में घंटा लिए देवी के स्वरूप की पूजा अर्चना करने से जीवन में अहंकार और क्रोध से मुक्ति मिलती है. मां चंद्रघंटा की आराधना करने से सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है साथ ही सौभाग्य, वैभव और शांति की प्राप्ति होती है. जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है. कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना करने से निर्भयता का विकास होता है.

० पूजा विधि: नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनें. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां चंद्रघंटा की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां चंद्रघंटा के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां को प्रसन्न करने के लिए पूजा में भूरे रंग के कपड़े पहनें. मां चंद्रघंटा को सफेद चीज (केसर के दूध से बने मिष्ठान जैसे खीर आदि) का भोग लगाना चाहिए. शहद का भोग भी लगा सकते हैं.

मां चंद्रघंटा का स्वरूप: पौराणिक कथाओं के अनुसार राक्षसों का वध करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था. मां चंद्रघंटा में ब्रह्मा-विष्णु- महेश तीनों की शक्तियां विद्यमान हैं. मां चंद्रघंटा हाथों में तलवार, त्रिशूल, गदा व धनुष धारण किए हुए हैं. उनके माथे पर अर्द्ध चंद्र विराजमान है. जिस चलते उन्हें अपना नाम चंद्रघंटा नाम मिला है.

० मां चंद्रघंटा मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

० मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम
पूर्ण कीजो मेरे काम
चंद्र समान तू शीतल दाती
चंद्र तेज किरणों में समाती
क्रोध को शांत बनाने वाली
मीठे बोल सिखाने वाली
मन की मालक मन भाती हो
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो
सुंदर भाव को लाने वाली
हर संकट मे बचाने वाली
हर बुधवार जो तुझे ध्याये
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं
शीश झुका कहे मन की बाता
पूर्ण आस करो जगदाता
कांची पुर स्थान तुम्हारा
करनाटिका में मान तुम्हारा
नाम तेरा रटू महारानी
'भक्त' की रक्षा करो भवानी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ये भी पढ़ें: Martyrs Day 2023 : दिल्ली से भी जुड़ी हैं भगत सिंह की यादें, एक दिन के लिए यहां किया गया था कैद

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.