नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट दिल्ली के सात लोकसभा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है. यमुना पार का ये इलाका विशेषकर प्रवासी लोगों की बहुलता की वजह से चुनावी राजनीति को खासा दिलचस्प बना देता है.
साल 1971 से शुरू हुआ सिलसिला
चुनावी लिहाज से पूर्वी दिल्ली का सफर शुरू होता है 1967 से, जब भारतीय जनसंघ के एच देवगन ने यहां से जीत दर्ज की. उसके बाद 1971 में पहली बार कांग्रेस ने यहां से खाता खोला और एच के एल भगत सांसद बने. 1977 के चुनाव में जब देश ने पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार देखी, तब पूर्वी दिल्ली ने भी उसमें अपना योगदान दिया और भारतीय लोक दल के किशोरीलाल को लोगों ने यहां से जिताया.
1980 में फिर एचकेएल भगत कांग्रेस से निर्वाचित हुए. 1984 और 1989 में वे लगातार इस लोकसभा सीट से लगातार निर्वाचित हुए.
1991 में पहली बार बीजेपी जीती
जनसंघ से चुनावी आगाज करने वाले पूर्वी दिल्ली में भाजपा का पहली बार खाता खुला 1991 में, जब बीएल शर्मा सांसद बने. अगली बार 1996 में भी उन्होंने जीत दर्ज की लेकिन 2 साल बाद ही 1998 में और फिर 1999 में हुए चुनाव में भाजपा ने अपना उम्मीदवार बदल दिया और उस समय भाजपा के पूर्वांचली चेहरा लाल बिहारी तिवारी यहां से सांसद चुने गए.
2004 के चुनाव में ढहा बीजेपी किला
कभी कांग्रेस का गढ़ रहा रही पूर्वी दिल्ली की ये सीट भाजपा का अभेद्ध किला बन गई थी, लेकिन 2004 में इस भाजपाई किले को फिर से कांग्रेस ने ध्वस्त किया और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित यहां से सांसद चुने गए. 2009 में भी संदीप दीक्षित सीट बचाने में कामयाब हुए.
2014 में बीजेपी ने की सीट पे वापसी
2014 के मोदी लहर में एक नए नवेले भाजपाई चेहरे ने 15 साल मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित के दो बार के सांसद बेटे संदीप दीक्षित को भारी शिकस्त दी और वोटों के लिहाज से तीसरे नंबर पर पहुंचा दिया. हालांकि इसमें आम आदमी पार्टी का भी योगदान था, जिसने महात्मा गांधी के प्रपौत्र राजमोहन गांधी को यहां से मैदान में उतारा था.
पहली लोकसभा चुनाव में ही आम आदमी पार्टी यहां 3 लाख 82 हजार 739 वोटों के साथ दूसरा स्थान पाने में कामयाब रही. महेश गिरी 5 लाख 72 हजार 202 वोटों के साथ पहले नंबर पर रहे और 2 लाख 3 हजार 240 वोट पाकर कांग्रेस तीसरे पायदान पर पहुंच गई.
आप की ओर से आतिशी प्रत्याशी घोषित
2019 के लिए मैदान फिर सज चुका है. आम आदमी पार्टी ने यहां से अपना चेहरा बदल दिया है और दिल्ली की शिक्षा में बदलाव के दावों के पीछे योगदान देने वाली आतिशी यहां से मैदान में हैं. हालांकि अभी कांग्रेस और भाजपा ने यहां अपना चेहरा स्पष्ट नहीं किया है.
पूर्वी दिल्ली में कुल 8 विधानसभा सीटें
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर कुल 19 लाख 70 हजार 118 मतदाता हैं, जिसमें पुरुषों की संख्या 10 लाख 94 हजार 362 है और महिलाओं की 8 लाख 75 हजार 656. 2014 में ये आंकड़ा 18 लाख 29 हजार 177 था, जिसमें से 11 लाख 96 हजार 336 लोगों ने वोट किया था.
पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट के अंतर्गत आठ विधानसभाएं आती हैं, जिनमें कोंडली, पटपड़गंज, लक्ष्मी नगर, विश्वास नगर, गांधी नगर, शाहदरा, ओखला और जंगपुरा शामिल हैं.
किस सियासी पार्टी का आशियाना बनेगी
विश्वास नगर को छोड़ देंतो सभी विधानसभा सीटों पर अभी आम आदमी पार्टी का कब्जा है. देखना महत्वपूर्ण हो जाता है कि 2019 में क्या भाजपा अपने पुराने किले को बचा पाती है या फिर से कांग्रेस इसे अपना गढ़ साबित करने में कामयाब होती है या फिर प्रतिनिधित्व के लिहाज से पूर्वी दिल्ली आम आदमी पार्टी का नया सियासी आशियाना बनता है.