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हाईकोर्ट में बोली ऑनलाइन फार्मा कंपनियां- हम डिलीवरी करते हैं

ऑनलाइन दवाईयों की बिक्री को लेकर अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान ऑनलाईन फार्मा कंपनियों ने कहा दवाईयों की बिक्री के लिए उन्हें लाइसेंस की जरुरत नहीं.

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Published : Jul 5, 2019, 8:39 AM IST

Updated : Jul 5, 2019, 11:19 AM IST

ऑनलाईन फार्मा कंपनियां

नई दिल्ली: दवाईयों की ऑनलाइन ब्रिक्री पर लगी रोक के पहले के आदेश के संबंध में दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान ऑनलाईन फार्मा कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें दवाईयों की बिक्री के लिए लाईसेंस की जरुरत नहीं है.

ऑनलाईन फार्मा कंपनियां

'हम बस डिलीवरी करते हैं'
वे दवाईयां बेचते नहीं हैं बल्कि वे दवाईयों की डिलीवरी करते हैं जैसे खाने की चीजें बेचने वाली स्विगी ऐप करती है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वो ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर नियंत्रण करने के लिए नियम बना रही है.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि इस संबंध में नियम बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं.

उसके बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी.

पिछले 26 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्र सरकार, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन और दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने ऑनलाइन तरीके से दवाईयों की बिक्री कर रही कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है.


धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं ई-फार्मेसी कंपनियां
याचिकाकर्ता डॉ जहीर खान ने अपने वकील नकुल मोहता और मिशा रोहतगी मोहता के जरिये दायर याचिका में कहा है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल के दिशा-निर्देशों के बावजूद लाखों दवाईयां आनलाइन बेची जा रही हैं.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से ई-फार्मेसी कंपनियां धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं

नई दिल्ली: दवाईयों की ऑनलाइन ब्रिक्री पर लगी रोक के पहले के आदेश के संबंध में दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान ऑनलाईन फार्मा कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें दवाईयों की बिक्री के लिए लाईसेंस की जरुरत नहीं है.

ऑनलाईन फार्मा कंपनियां

'हम बस डिलीवरी करते हैं'
वे दवाईयां बेचते नहीं हैं बल्कि वे दवाईयों की डिलीवरी करते हैं जैसे खाने की चीजें बेचने वाली स्विगी ऐप करती है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वो ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर नियंत्रण करने के लिए नियम बना रही है.

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि इस संबंध में नियम बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं.

उसके बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी.

पिछले 26 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्र सरकार, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन और दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने ऑनलाइन तरीके से दवाईयों की बिक्री कर रही कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है.


धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं ई-फार्मेसी कंपनियां
याचिकाकर्ता डॉ जहीर खान ने अपने वकील नकुल मोहता और मिशा रोहतगी मोहता के जरिये दायर याचिका में कहा है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल के दिशा-निर्देशों के बावजूद लाखों दवाईयां आनलाइन बेची जा रही हैं.

याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से ई-फार्मेसी कंपनियां धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं

Intro:नई दिल्ली । दवाईयों की ऑनलाइन ब्रिक्री पर लगी रोक के पहले के आदेश के संबंध में दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान ऑनलाईन फार्मा कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें दवाईयों की बिक्री के लिए लाईसेंस की जरुरत नहीं है। वे दवाईयां नहीं बेचते हैं बल्कि वे दवाईयों की डिलीवरी करते हैं जैसे खाने की चीजें बेचने वाली स्विगी ऐप करती है। केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वो ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर नियंत्रण करने के लिए नियम बना रही है।



Body:सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि इस संबंध में नियम बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं। उसके बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इस मामले पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी।
पिछले 26 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्र सरकार, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन और दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने ऑनलाइन तरीके से दवाईयों की बिक्री कर रही कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है।
याचिका डॉ जहीर खान ने दायर की है। जहीर खान ने अपने वकील नकुल मोहता औऱ मिशा रोहतगी मोहता के जरिये दायर याचिका में कहा है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल के दिशा-निर्देशों के बावजूद लाखों दवाईयां आनलाइन बेची जा रही हैं। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से ई-फार्मेसी कंपनियां धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं। वे न केवल अपना प्रचार कर रहे हैं बल्कि वे अपने वेबसाईट और ऐप का विस्तार कर रही हैं। ये सब कुछ कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुए की जा रही हैं।
दिसंबर 2018 में कोर्ट ने आनलाइन दवाईयों की बिक्री पर रोक लगा दिया था। आनलाइन दवाईयों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए भी याचिका दिल्ली के डॉ. जहीर अहमद ने ही दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि दवाईओं की ऑनलाइन बिक्री के लिए कोई रेगुलेशन नहीं है जिसकी वजह से ये रोगियों के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत दवाईयों के ऑनलाइन की बिक्री की अनुमति नहीं है।
याचिका में कहा गया था कि 2015 में भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ने सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को निर्देश दिया था कि वे ऑनलाइन दवाईयों की बिक्री पर रोक लगाएं ताकि आम जनता के हितों की रक्षा हो सके। लेकिन सरकार लोगों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही।



Conclusion:याचिका में कहा गया था कि सामान्य चीजों की तरह दवाईयों के दुरुपयोग से आम जनता को काफी नुकसान हो सकता है। दवाईयों का इस्तेमाल बच्चों से लेकर ग्रामीण पृष्ठभूमि के जुड़े लोग भी करते हैं जो कम पढ़े-लिखे होते हैं। कुछ दवाईयां साइकोट्रॉपिक होती हैं जिन्हें ऑनलाईन प्लेटफॉर्म पर आसानी से ऑर्डर किया जा सकता है। इनका इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए भी हो सकता है।
Last Updated : Jul 5, 2019, 11:19 AM IST
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