नई दिल्ली: दवाईयों की ऑनलाइन ब्रिक्री पर लगी रोक के पहले के आदेश के संबंध में दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान ऑनलाईन फार्मा कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें दवाईयों की बिक्री के लिए लाईसेंस की जरुरत नहीं है.
'हम बस डिलीवरी करते हैं'
वे दवाईयां बेचते नहीं हैं बल्कि वे दवाईयों की डिलीवरी करते हैं जैसे खाने की चीजें बेचने वाली स्विगी ऐप करती है. केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि वो ऑनलाइन दवाओं की बिक्री पर नियंत्रण करने के लिए नियम बना रही है.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से वकील कीर्तिमान सिंह ने चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच से कहा कि इस संबंध में नियम बनाने के लिए कदम उठाए गए हैं.
उसके बाद कोर्ट ने अवमानना याचिका पर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. इस मामले पर अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी.
पिछले 26 अप्रैल को कोर्ट ने केंद्र सरकार, सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल आर्गनाइजेशन और दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोलर को नोटिस जारी किया था. कोर्ट ने ऑनलाइन तरीके से दवाईयों की बिक्री कर रही कंपनियों को भी नोटिस जारी किया है.
धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं ई-फार्मेसी कंपनियां
याचिकाकर्ता डॉ जहीर खान ने अपने वकील नकुल मोहता और मिशा रोहतगी मोहता के जरिये दायर याचिका में कहा है कि ड्रग कंट्रोलर जनरल के दिशा-निर्देशों के बावजूद लाखों दवाईयां आनलाइन बेची जा रही हैं.
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार और दिल्ली के ड्रग कंट्रोलर की लापरवाही की वजह से ई-फार्मेसी कंपनियां धड़ल्ले से दवाईयां बेच रही हैं