नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की उस याचिका पर एलजी से जवाब दाखिल करने को कहा है, जिसमें दुर्घटना पीड़ितों के मुफ्त इलाज के लिए बनाई गई फरिश्ते योजना दिल्ली के लिए फंड जारी करने का निर्देश देने की गुहार लगाई गई है. दरअसल, फरिश्ते योजना का फंड न मिलने की वजह से सड़क दुर्घटना का शिकार हुए राहगीरों को अस्पताल तक पहुंचाने वाले कई लाभार्थियों को अभी तक योजना के तहत दी जाने वाली दो हजार रुपये की राशि नहीं मिली है.
दिल्ली की रहने वाली इकरा ने बताया कि उन्होंने तीन जनवरी 2023 को लोकनायक अस्पताल में सड़क दुर्घटना के तीन घायलों को पहुंचाया था. अस्पताल ने उन्हें फरिश्ते योजना के तहत प्रति मरीज दो-दो हजार रुपये की धनराशि देने की प्रक्रिया पूरी कर दी थी. उसके बाद उनके खाते में तीन महीने बाद दो घायलों को पहुंचाने के चार हजार रुपये आ गए थे. लेकिन, अभी एक मरीज का पैसा नहीं आया है.
इकरा ने बताया कि उन्होंने पैसा न आने के बारे में पता किया तो बताया गया कि अभी ऊपर से फंड नहीं आया है. फंड आएगा तो पैसा भेज दिया जाएगा. वहीं, दिल्ली सरकार के सबसे बड़े अस्पताल लोकनायक में जनवरी से नवंबर तक सड़क दुर्घटना के 10 से ज्यादा मरीजों को राहगीरों के द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया है.
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अस्पताल के एक्सीडेंट एवं इमरजेंसी विभाग की चिकित्सा उपाधीक्षक डॉ. ऋतु सक्सेना ने बताया कि जैसे ही कोई राहगीर मरीज को लेकर आता है, तो मरीज का इलाज शुरू करने के साथ ही उस राहगीर के अकाउंट की डिटेल लेकर उसको फरिश्ते योजना के तहत दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि उसके खाते में भेजने की प्रक्रिया कर दी जाती है. साथ ही उनको मरीज को पहुंचाने के लिए और उसकी जान बचाने में मदद करने के लिए अस्पताल की ओर से एक प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है. कई राहगीर ऐसे भी होते हैं जो प्रोत्साहन राशि लेने से मना भी कर देते हैं तो उनके खाते का विवरण नहीं लिया जाता है.
डॉ. ऋतु ने बताया कि अप्रैल के महीने में तीन लोग सड़क दुर्घटना के घायल मरीजों को लेकर अस्पताल पहुंचे, जिनमें से दो लोगों ने प्रोत्साहन राशि लेने से मना कर दिया. इसी तरह अक्टूबर माह में दो लोगों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया, जिनमें से एक ने प्रोत्साहन राशि लेने से मना कर दिया. जबकि एक ने प्रोत्साहन राशि लेना स्वीकार किया जिसकी प्रक्रिया पूरी कर दी गई थी.
डॉ. ऋतु ने बताया कि लोकनायक सरकारी अस्पताल है तो यहां तो सभी का इलाज फ्री होता है, वैसे निजी अस्पताल में फरिश्ते योजना के तहत इलाज का खर्च दिल्ली सरकार उठाती है. जिसका भुगतान बाद में सरकार के द्वारा किया जाता है. ऐसे में फंड न होने की वजह से कई निजी अस्पतालों के पुराने बिल लंबित हैं जिनका भुगतान सरकार को करना है. लंबे समय तक बिल लंबित होने से निजी अस्पताल फरिश्ते योजना के तहत घायल मरीजों को लेने से मना भी कर देते हैं.
क्या है फरिश्ते योजना
इस योजना के तहत कोई भी व्यक्ति दिल्ली में सड़क हादसे का शिकार होता है और उसे अगर निजी अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो इसका पूरा खर्च दिल्ली सरकार उठाती है. इसके साथ ही जो राहगीर घायल को अस्पताल पहुंचाता है तो उसको भी सरकार की ओर से दो हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. इस योजना को दिल्ली सरकार ने वर्ष 2018 में शुरू किया था. दिल्ली सरकार के अनुसार अब तक 23 हजार लोगों को इस योजना के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा मिल चुकी है.
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