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अरावली में बढ़ी तेंदुओं की तादात, प्रति 100 वर्ग किमी में पांच तेंदुए - delhi ncr news

बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है. असोला भाटी में मौजूद तेंदुओं की औसत संख्या बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान और दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान से भी ज्यादा है.

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Published : Jun 7, 2023, 5:27 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है. अरावली पर्वत श्रृंखला के तहत आने वाले असोला भाटी अभ्यारण्य की जैव विविधता पर काम कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने 16 हजार फोटो सैंपल के साथ जारी सर्वे रिपोर्ट में दावा किया है. असोला भाटी में मौजूद तेंदुओं की औसत संख्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और जम्मू कश्मीर के रिजर्व फारेस्ट से भी ज्यादा है.

यह सर्वे बीएनएचएस के शोधार्थियों सोहेल मदान, आलोक कुमार, गीता यादव और सुमित डूकिया ने तैयार की है. जून 2021 से जून 2022 तक के दौरान किए गए इस सर्वे में असोला भाटी वन्य जीव अभयारण्य के साथ ही फरीदाबाद के पाली, संजय कालोनी के साथ लगे जंगल और अलावा गुरुग्राम फरीदाबाद हाइवे के आसपास के क्षेत्र को शामिल किया गया है. इन इलाकों में लोगों का आना जाना रहता है. इन हिस्सों में 21 जगहों पर कैमरे लगाए गए थे, जिनमें से 11 जगहों पर तेंदुए की उपस्थिति देखी गई है. जहां तेंदुए दिखे हैं वहां पर स्कैट और लकड़बग्घे भी देखे गए हैं.

लकड़बग्घे भी बड़ी सांख्य में मौजूद: सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अरावली में खाद्य श्रृंंखला में सबसे ऊपर तेंदुआ और दूसरे नंबर पर लकड़बग्घे हैं. अरावली में ये भी बड़ी संख्या में हैं. जंगल में मरे जानवरों या फिर तेंदुओं का शिकार बने जानवरों के अवशेष को खाकर खतम करने लकड़बग्घे सहायक होते हैं.

असोला में मौजूद हैं यह जानवर: असोला में जंगली बिल्ली, कुत्ते, घरेलू बिल्ली, गाय, भैंस, बकरी, चित्तीदार हिरण, काला हिरण, सांभर हिरण, सिवेट की दो प्रजातियां, सुनहरा सियार, खरगोश, सुअर, नीलगाय, नेवले की तीन प्रजातियां, हॉग हिरण, रीसस बंदर, भारतीय क्रेस्टेड साही, सुअर और बकरों की प्रजातियां भी कैमरों में दर्ज की गई हैं. घने जंगलों में भी इंसानी उपस्थिति कैमरों में रिकार्ड हुई है.

गाय, भैंस और घरेलू बिल्ली की मौजूदगी भी इंसानी उपस्थिति का संकेत है. इंसानी दखल कम होने पर ही जैव पारिस्थितिकी पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. यदि दखल बढ़ेगा तो जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष और जानवरों की संख्या कम होने जैसी स्थिति भी सामने आ सकती है.

प्रति 100 वर्ग किमी में तेंदुओं की संख्या

राष्ट्रीय उद्यानप्रति 100 वर्ग किमी में तेंदुए
संजय गांधी नेशनल पार्क, मुंबई26.34
अरावली फारेस्ट4.5
बांधवगढ़, मध्य प्रदेश3.03
सरिस्का, राजस्थान3.01
दाचीगाम, जम्मू एवं कश्मीर3.03


इसलिए खास है अरावली: प्रदूषण और शोर-शराबे से परेशान दिल्ली वासियों के लिए कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां जाकर प्रकृति को करीब से महसूस किया जा सकता है. तरह-तरह के पेड़-पौधे, फूल, लताएं और चिड़ियों की चहक मन को शांति और सुकून प्रदान करते हैं. अरावली पर्वत श्रृंखला दिल्ली को प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही स्वच्छ हवा भी प्रदान करती है. अरावली की पहाड़ियों पर तरह-तरह के पेड़-पौधे हैं. इसमें शोधार्थियों, छात्र-छात्राओं व पर्यटक समूहों के घूमने की भी व्यवस्था है.

इसे भी पढ़ें: DJB CEO Residence Issue: 'जिस इमारत को तोड़कर सीईओ का आवास बनाया गया वह गेस्ट हाउस था', इंजीनियरों ने दिया जवाब

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के असोला भाटी वन्यजीव अभ्यारण्य में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है. अरावली पर्वत श्रृंखला के तहत आने वाले असोला भाटी अभ्यारण्य की जैव विविधता पर काम कर रहे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने 16 हजार फोटो सैंपल के साथ जारी सर्वे रिपोर्ट में दावा किया है. असोला भाटी में मौजूद तेंदुओं की औसत संख्या मध्य प्रदेश, राजस्थान और जम्मू कश्मीर के रिजर्व फारेस्ट से भी ज्यादा है.

यह सर्वे बीएनएचएस के शोधार्थियों सोहेल मदान, आलोक कुमार, गीता यादव और सुमित डूकिया ने तैयार की है. जून 2021 से जून 2022 तक के दौरान किए गए इस सर्वे में असोला भाटी वन्य जीव अभयारण्य के साथ ही फरीदाबाद के पाली, संजय कालोनी के साथ लगे जंगल और अलावा गुरुग्राम फरीदाबाद हाइवे के आसपास के क्षेत्र को शामिल किया गया है. इन इलाकों में लोगों का आना जाना रहता है. इन हिस्सों में 21 जगहों पर कैमरे लगाए गए थे, जिनमें से 11 जगहों पर तेंदुए की उपस्थिति देखी गई है. जहां तेंदुए दिखे हैं वहां पर स्कैट और लकड़बग्घे भी देखे गए हैं.

लकड़बग्घे भी बड़ी सांख्य में मौजूद: सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अरावली में खाद्य श्रृंंखला में सबसे ऊपर तेंदुआ और दूसरे नंबर पर लकड़बग्घे हैं. अरावली में ये भी बड़ी संख्या में हैं. जंगल में मरे जानवरों या फिर तेंदुओं का शिकार बने जानवरों के अवशेष को खाकर खतम करने लकड़बग्घे सहायक होते हैं.

असोला में मौजूद हैं यह जानवर: असोला में जंगली बिल्ली, कुत्ते, घरेलू बिल्ली, गाय, भैंस, बकरी, चित्तीदार हिरण, काला हिरण, सांभर हिरण, सिवेट की दो प्रजातियां, सुनहरा सियार, खरगोश, सुअर, नीलगाय, नेवले की तीन प्रजातियां, हॉग हिरण, रीसस बंदर, भारतीय क्रेस्टेड साही, सुअर और बकरों की प्रजातियां भी कैमरों में दर्ज की गई हैं. घने जंगलों में भी इंसानी उपस्थिति कैमरों में रिकार्ड हुई है.

गाय, भैंस और घरेलू बिल्ली की मौजूदगी भी इंसानी उपस्थिति का संकेत है. इंसानी दखल कम होने पर ही जैव पारिस्थितिकी पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. यदि दखल बढ़ेगा तो जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष और जानवरों की संख्या कम होने जैसी स्थिति भी सामने आ सकती है.

प्रति 100 वर्ग किमी में तेंदुओं की संख्या

राष्ट्रीय उद्यानप्रति 100 वर्ग किमी में तेंदुए
संजय गांधी नेशनल पार्क, मुंबई26.34
अरावली फारेस्ट4.5
बांधवगढ़, मध्य प्रदेश3.03
सरिस्का, राजस्थान3.01
दाचीगाम, जम्मू एवं कश्मीर3.03


इसलिए खास है अरावली: प्रदूषण और शोर-शराबे से परेशान दिल्ली वासियों के लिए कुछ ऐसी जगहें भी हैं, जहां जाकर प्रकृति को करीब से महसूस किया जा सकता है. तरह-तरह के पेड़-पौधे, फूल, लताएं और चिड़ियों की चहक मन को शांति और सुकून प्रदान करते हैं. अरावली पर्वत श्रृंखला दिल्ली को प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही स्वच्छ हवा भी प्रदान करती है. अरावली की पहाड़ियों पर तरह-तरह के पेड़-पौधे हैं. इसमें शोधार्थियों, छात्र-छात्राओं व पर्यटक समूहों के घूमने की भी व्यवस्था है.

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