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निजीकरण के खिलाफ डीटीसी कर्मचारी यूनियन ने किया विरोध प्रर्दशन, दिल्ली सरकार पर साधा निशाना

डीटीसी के कर्मचारियों ने डीटीसी में प्राइवेटाइजेशन को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर शनिवार को प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि दिल्ली सरकार अपने निजी फायदे के लिए दिल्ली की सरकारी बसों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में सौंप रही है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.

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Published : Mar 25, 2023, 4:22 PM IST

डीटीसी कर्मचारियों का प्रदर्शन

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में जहां आम आदमी पार्टी एक तरफ लोगों को रोजगार और पक्की नौकरी देने की बात करती है, वहीं डीटीसी के कर्मचारियों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. डीटीसी के कर्मचारियों ने इसको लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर शनिवार को प्रदर्शन किया. डीटीसी कर्मचारियों का कहना है कि दिल्ली सरकार अपने निजी फायदे के लिए दिल्ली की सरकारी बसों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में सौंप रही है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं. अगर सभी डीटीसी की बसें प्राइवेट कंपनियों को सौंप दी जाएंगी तो फिर हमारी नौकरी का क्या होगा? प्राइवेटाइजेशन करना गलत है. सरकार ने हमें पक्की नौकरी देने का वादा किया था.

उनका कहना था कि हम पिछले कई सालों से बस में ड्राइवर हैं. कंडक्टर हैं. हमें पक्का नहीं किया जा रहा और दूसरी तरफ डीटीसी की बसों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों सौंपा जा रहा है. हम सभी डीटीसी यूनियन के लोग इसी बात का विरोध कर रहे हैं और दिल्ली सरकार को जगाने आए हैं कि वह हमारी बातें माने और जो वादे दिल्ली की जनता और हम लोगों से किए थे, उन्हें पूरा करे.

प्रदर्शन कर रहे DTC के कर्मचारियों का कहना है कि एक तरफ तो दिल्ली सरकार केंद्र की सरकार पर निशाना साधती है कि वह प्राइवेटाइजेशन कर रही है, लेकिन खुद दिल्ली सरकार डीटीसी बसों को प्राइवेटाइजेशन कर रही है. हम कर्मचारी पिछले 10 और 15 सालों से डीटीसी की बस चला रहे हैं. हमारी कोई तरीका नहीं बढ़ाई गई है और हमारे सामने जो नए कर्मचारी आए हैं, उन्हें 20,000 से ऊपर तनख्वाह दी जा रही है, लेकिन हम पुराने कर्मचारियों को सिर्फ 14 से 15 हजार मासिक वेतन ही मिल रहा है, जिसमें कई प्रकार की कटौती भी की जाती है.

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि जब अपनी आवाज उठाते हैं तो विभागीय जांच बैठा दी जाती है और कई कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ता है. एक तरफ लोगों के पास नौकरी नहीं है, दूसरी तरफ दिल्ली सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बसों को प्राइवेट कंपनी को दे रहे हैं. सरकार का फायदा करने के लिए रिश्तेदारों को निजी कंपनियों को ठेका दिया जा रहा है. अब तो मेंटेनेंस का कार्य प्राइवेट कंपनियों को दिया गया है. हर एक चीज जब प्राइवेट कंपनियों के हाथ में सौंप दी जाएगी तो प्राइवेट कंपनी से नौकरी से निकाले जाने का खतरा बढ़ सकता है.

ये भी पढ़ेंः Delhi Free Bijli Subsidy: LG पर अरविंद केजरीवाल का तंज, बोले- मत कहना कि टूट रही हैं मर्यादाएं

दिल्ली के जंतर-मंतर पर करीब 50 से अधिक डीटीसी के कर्मचारियों ने प्रोटेस्ट किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की कि जब सरकार कहती है कि हमारी दिल्ली सरकार फायदे में है और डीटीसी बस फायदे में चल रही है. लोगों को फ्री में टिकट दी जा रही है तो फिर प्राइवेट हाथों में डीटीसी बसों को क्यों दिया जा रहा है? अगर प्राइवेट कंपनियों को डीटीसी बस दे दी जाएंगी तो वही पुराना हाल होगा. इससे पब्लिक को भी नुकसान होगा. प्राइवेट बस के मालिक अपनी मनमानी तरीके से किराया रखेंगे और पैसा वसूल करेंगे. जहां एक तरफ सरकार कहती है कि डीटीसी फायदे में चल रही है और महिलाओं को फ्री टिकट दी जा रही है तो फिर हमारे साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? हम निजीकरण के खिलाफ विरोध कर रहे हैं और अपनी प्रदर्शन जारी रखेंगे.

ये भई पढ़ेंः Rahul Gandhi disqualification: राहुल गांधी की संसद सदस्यता समाप्त होने के खिलाफ SC में याचिका दायर

डीटीसी कर्मचारियों का प्रदर्शन

नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में जहां आम आदमी पार्टी एक तरफ लोगों को रोजगार और पक्की नौकरी देने की बात करती है, वहीं डीटीसी के कर्मचारियों ने दिल्ली सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. डीटीसी के कर्मचारियों ने इसको लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर शनिवार को प्रदर्शन किया. डीटीसी कर्मचारियों का कहना है कि दिल्ली सरकार अपने निजी फायदे के लिए दिल्ली की सरकारी बसों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों में सौंप रही है, जिसका हम विरोध कर रहे हैं. अगर सभी डीटीसी की बसें प्राइवेट कंपनियों को सौंप दी जाएंगी तो फिर हमारी नौकरी का क्या होगा? प्राइवेटाइजेशन करना गलत है. सरकार ने हमें पक्की नौकरी देने का वादा किया था.

उनका कहना था कि हम पिछले कई सालों से बस में ड्राइवर हैं. कंडक्टर हैं. हमें पक्का नहीं किया जा रहा और दूसरी तरफ डीटीसी की बसों को प्राइवेट कंपनियों के हाथों सौंपा जा रहा है. हम सभी डीटीसी यूनियन के लोग इसी बात का विरोध कर रहे हैं और दिल्ली सरकार को जगाने आए हैं कि वह हमारी बातें माने और जो वादे दिल्ली की जनता और हम लोगों से किए थे, उन्हें पूरा करे.

प्रदर्शन कर रहे DTC के कर्मचारियों का कहना है कि एक तरफ तो दिल्ली सरकार केंद्र की सरकार पर निशाना साधती है कि वह प्राइवेटाइजेशन कर रही है, लेकिन खुद दिल्ली सरकार डीटीसी बसों को प्राइवेटाइजेशन कर रही है. हम कर्मचारी पिछले 10 और 15 सालों से डीटीसी की बस चला रहे हैं. हमारी कोई तरीका नहीं बढ़ाई गई है और हमारे सामने जो नए कर्मचारी आए हैं, उन्हें 20,000 से ऊपर तनख्वाह दी जा रही है, लेकिन हम पुराने कर्मचारियों को सिर्फ 14 से 15 हजार मासिक वेतन ही मिल रहा है, जिसमें कई प्रकार की कटौती भी की जाती है.

उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि जब अपनी आवाज उठाते हैं तो विभागीय जांच बैठा दी जाती है और कई कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोना पड़ता है. एक तरफ लोगों के पास नौकरी नहीं है, दूसरी तरफ दिल्ली सरकार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बसों को प्राइवेट कंपनी को दे रहे हैं. सरकार का फायदा करने के लिए रिश्तेदारों को निजी कंपनियों को ठेका दिया जा रहा है. अब तो मेंटेनेंस का कार्य प्राइवेट कंपनियों को दिया गया है. हर एक चीज जब प्राइवेट कंपनियों के हाथ में सौंप दी जाएगी तो प्राइवेट कंपनी से नौकरी से निकाले जाने का खतरा बढ़ सकता है.

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दिल्ली के जंतर-मंतर पर करीब 50 से अधिक डीटीसी के कर्मचारियों ने प्रोटेस्ट किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग की कि जब सरकार कहती है कि हमारी दिल्ली सरकार फायदे में है और डीटीसी बस फायदे में चल रही है. लोगों को फ्री में टिकट दी जा रही है तो फिर प्राइवेट हाथों में डीटीसी बसों को क्यों दिया जा रहा है? अगर प्राइवेट कंपनियों को डीटीसी बस दे दी जाएंगी तो वही पुराना हाल होगा. इससे पब्लिक को भी नुकसान होगा. प्राइवेट बस के मालिक अपनी मनमानी तरीके से किराया रखेंगे और पैसा वसूल करेंगे. जहां एक तरफ सरकार कहती है कि डीटीसी फायदे में चल रही है और महिलाओं को फ्री टिकट दी जा रही है तो फिर हमारे साथ भेदभाव क्यों किया जा रहा है? हम निजीकरण के खिलाफ विरोध कर रहे हैं और अपनी प्रदर्शन जारी रखेंगे.

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