नई दिल्ली: राजधानी की मुख्य सड़कों पर प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से ई रिक्शा दौड़ रहे हैं. इसकी वजह से मुख्य सड़कों पर जाम तो लगता ही है, हादसे का खतरा भी बना रहता है. मुख्य मार्गों पर चल रहे ई रिक्शा के कारण बसों और कारों को चलने के लिए जगह नहीं मिल पाती है, जिससे जगह-जगह जाम लगता है. सबसे ज्यादा परेशानी सुबह और शाम को पीक आवर में होती है.
मुख्य मार्गों पर ई रिक्शा के 24 घंटे प्रतिबंध के बोर्ड लगे होने के बावजूद, इन पर ई रिक्शा सुबह से रात तक दौड़ते रहते हैं. इस बारे में डीसीपी ट्रैफिक (साउथ ईस्ट) ने बता की गई तो उन्होंने बताया कि ई रिक्शा के खिलाफ यातायात पुलिस द्वारा बराबर अभियान चलाया जाता है. सभी ट्रैफिक इंस्पेक्टर्स अपने-अपने सर्किल में ई रिक्शा को लेकर अभियान चलाते हैं.
2014 में लगा था प्रतिबंध: वर्ष 2014 में दिल्ली सरकार ने 236 सड़कों पर ई रिक्शा को प्रतिबंधित कर दिया था. कैटल ड्राइवर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट चरणजीत ने बताया कि, ई रिक्शा चालकों को मनमानी पर रोक लगाने को मांग को लेकर यातायात पुलिस से कई बार शिकायत की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई. अब एसोसिएशन की ओर से 23 जून को डीसीपी ट्रैफिक के ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया जाएगा.
राहगीरों और बड़े वाहनों के लिए मुसीबत: गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन से बत्रा हॉस्पिटल टी प्वाइंट को कनेक्ट करने वाले गुरु रविदास मार्ग, सरिता विहार, मदनपुर खादर, साकेत से मैदानगढ़ी, कालकाजी मंदिर से ओखला मोड़, स्वामी दयानंद मार्ग, नेताजी सुभाष मार्ग, सीमापुरी से मान सरोवर को कनेक्ट करने वाले जनरल जीटीबी रोड, सीमापुरी से दिलशाद गार्डन मेट्रो जाने वाली रोड, विकास मार्ग, पटपड़गंज रोड, सोनिया विहार पुश्ता रोड, पंखा रोड, जीटी करनाल रोड समेत राजधानी के लगभग सभी मुख्य मार्गों पर ई रिक्शा की कतार लगी रहती है.
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ज्यादातर मेट्रो स्टेशन के आसपास भी बड़ी संख्या में ई रिक्शा खड़े रहते हैं. इससे पैदल चलने वालों को ही नहीं बल्कि वहां से गुजरने वाले बड़े वाहनों को भी काफी फजीहत होती है. जामा मस्जिद, निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन, गोविंदपुरी मेट्रो स्टेशन और लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशनों पर ई रिक्शा की भरमार देखने को मिलती है. वहीं, सीलमपुर से मौजपुर की ओर जाने वाले आशाराम त्यागी मार्ग की भी यही स्थिति है. ई-रिक्शा चालकों के खिलाफ यातायात पुलिस अभियान तो चलाती है, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलता है.
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