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दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना तट पर छठ पूजा प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने यमुना तट पर छठ पूजा प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाया गया.

दिल्ली हाईकोर्ट
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 8, 2023, 7:41 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के तट पर छठ पूजा मनाने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने टिप्पणी की कि प्रतिबंध यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए लगाया गया था. उन्होंने इस याचिका को खारिज करने के अपने इरादे का संकेत दिया. तब याचिकाकर्ताओं के वकील ने मामले को वापस लेने का फैसला किया.

न्यायमूर्ति प्रसाद दो संगठनों, छठ पूजा संघर्ष समिति और पूर्वांचल जागृति मंच द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. इन संगठनों ने 9 अक्टूबर, 2021 की दिल्ली सरकार की अधिसूचना को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया. यह तर्क दिया गया कि अधिसूचना, जिसने दिल्ली में यमुना के तट पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया और दिल्ली के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया. अदालत को बताया कि इस आदेश से 30-40 लाख लोग प्रभावित हैं.

अदालत को यह भी बताया गया कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा अभी भी यमुना के तट पर त्योहार मना रहे हैं. प्रतिवादी नंबर एक दिल्ली सरकार ने बिना किसी अधिकार के कोविड-19 अवधि के दौरान उपरोक्त अधिसूचना को अधिसूचित किया था. यह आगे प्रस्तुत किया गया है कि प्रतिवादी नंबर 1 ने उचित नियमों का उल्लेख नहीं किया है जो उन्हें 30-40 लाख की पूजा पर रोक लगाने का अधिकार देता है.

हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि लोगों के लिए छठ पूजा करने के लिए शहर के सभी वार्डों में तालाब बनाए गए हैं. इसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज करने की इच्छा व्यक्त की, जिसके बाद याचिका वापस ले ली गई. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील विनय एस दुबे पेश हुए.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में यमुना नदी के तट पर छठ पूजा मनाने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने टिप्पणी की कि प्रतिबंध यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए लगाया गया था. उन्होंने इस याचिका को खारिज करने के अपने इरादे का संकेत दिया. तब याचिकाकर्ताओं के वकील ने मामले को वापस लेने का फैसला किया.

न्यायमूर्ति प्रसाद दो संगठनों, छठ पूजा संघर्ष समिति और पूर्वांचल जागृति मंच द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. इन संगठनों ने 9 अक्टूबर, 2021 की दिल्ली सरकार की अधिसूचना को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया. यह तर्क दिया गया कि अधिसूचना, जिसने दिल्ली में यमुना के तट पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया और दिल्ली के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया. अदालत को बताया कि इस आदेश से 30-40 लाख लोग प्रभावित हैं.

अदालत को यह भी बताया गया कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा अभी भी यमुना के तट पर त्योहार मना रहे हैं. प्रतिवादी नंबर एक दिल्ली सरकार ने बिना किसी अधिकार के कोविड-19 अवधि के दौरान उपरोक्त अधिसूचना को अधिसूचित किया था. यह आगे प्रस्तुत किया गया है कि प्रतिवादी नंबर 1 ने उचित नियमों का उल्लेख नहीं किया है जो उन्हें 30-40 लाख की पूजा पर रोक लगाने का अधिकार देता है.

हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि लोगों के लिए छठ पूजा करने के लिए शहर के सभी वार्डों में तालाब बनाए गए हैं. इसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज करने की इच्छा व्यक्त की, जिसके बाद याचिका वापस ले ली गई. याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील विनय एस दुबे पेश हुए.

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