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Defamation Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने सांसद मनोज तिवारी को दी राहत, मानहानि मामले में कार्रवाई न करने का आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने सांसद मनोज तिवारी को राहत दे दी. दरअसल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में निचली अदालत को कार्रवाई न करने का आदेश दिया है.

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Published : May 10, 2023, 4:16 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. साथ ही याचिका को नवंबर में आगे के विचार के लिए सूचीबद्ध किया है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने यह देखते हुए आदेश पारित किया कि भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता, हंस राज हंस और मनजिंदर सिंह सिरसा जैसे अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई या तो रद्द कर दी गई है या स्थगित कर दी गई, इसलिए वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई और कदम नहीं उठाया जाना चाहिए.

मनोज तिवारी समेत 5 नेताओं पर दर्ज है मानहानि केस: सिसोदिया ने मनोज तिवारी और पांच अन्य भाजपा नेताओं पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि वह दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नई कक्षाओं के निर्माण से संबंधित लगभग 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) की अदालत ने नवंबर 2019 में मामले में समन जारी किया था.

अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने केस खत्म करने की मनोज तिवारी की अपील खारिज कर दी थी. अधिवक्ता बांसुरी स्वराज आज तिवारी के लिए आगे आईं और तर्क दिया कि शीर्ष अदालत के आदेश के बाद से परिस्थितियों में बदलाव आया है, क्योंकि केंद्रीय एजेंसियां ​​अब भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया की जांच कर रही हैं.

ये भी पढ़ें: Delhi Liquor Scam: मनीष सिसोदिया के खिलाफ ED की सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर सुनवाई 19 मई तक टली

मनोज तिवारी की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग: वकील ने कहा कि सिसोदिया ने यह दावा करते हुए आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था कि उनके पास बेदाग चरित्र और एक शानदार प्रतिष्ठा है. वकील ऋषिकेश कुमार सिसोदिया के लिए उपस्थित हुए और तर्क दिया कि मनोज तिवारी की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है.

कुमार ने कहा कि ये सभी दलीलें पिछले मामलों में पहले ही ली जा चुकी हैं और बाद में कोई तथ्य नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि कार्रवाई पर रोक प्रतिकूल होगी, क्योंकि इस मामले में लगभग पांच वर्षों से कोई प्रगति नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें: सपा विधायक और बीजेपी प्रत्याशी के पति के बीच हुई जमकर मारपीट, वीडियो वायरल

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में भाजपा सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है. साथ ही याचिका को नवंबर में आगे के विचार के लिए सूचीबद्ध किया है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने यह देखते हुए आदेश पारित किया कि भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता, हंस राज हंस और मनजिंदर सिंह सिरसा जैसे अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई या तो रद्द कर दी गई है या स्थगित कर दी गई, इसलिए वर्तमान याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई और कदम नहीं उठाया जाना चाहिए.

मनोज तिवारी समेत 5 नेताओं पर दर्ज है मानहानि केस: सिसोदिया ने मनोज तिवारी और पांच अन्य भाजपा नेताओं पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जब उन्होंने आरोप लगाया था कि वह दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नई कक्षाओं के निर्माण से संबंधित लगभग 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल थे. अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) की अदालत ने नवंबर 2019 में मामले में समन जारी किया था.

अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने केस खत्म करने की मनोज तिवारी की अपील खारिज कर दी थी. अधिवक्ता बांसुरी स्वराज आज तिवारी के लिए आगे आईं और तर्क दिया कि शीर्ष अदालत के आदेश के बाद से परिस्थितियों में बदलाव आया है, क्योंकि केंद्रीय एजेंसियां ​​अब भ्रष्टाचार के लिए सिसोदिया की जांच कर रही हैं.

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मनोज तिवारी की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग: वकील ने कहा कि सिसोदिया ने यह दावा करते हुए आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया था कि उनके पास बेदाग चरित्र और एक शानदार प्रतिष्ठा है. वकील ऋषिकेश कुमार सिसोदिया के लिए उपस्थित हुए और तर्क दिया कि मनोज तिवारी की याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है.

कुमार ने कहा कि ये सभी दलीलें पिछले मामलों में पहले ही ली जा चुकी हैं और बाद में कोई तथ्य नहीं हैं. उन्होंने आगे कहा कि कार्रवाई पर रोक प्रतिकूल होगी, क्योंकि इस मामले में लगभग पांच वर्षों से कोई प्रगति नहीं हुई है.

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