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तो केजरीवाल सरकार बन गई सब्सिडी सरकार? जानिए दिल्ली में कौन-कौन सी सेवा है मुफ्त

दिल्ली सरकार द्वारा खूब प्रचारित डोर स्टेप डिलीवरी भी एक सब्सिडी स्कीम ही है, जिसके लिए जनता से मात्र 50 रुपए लिए जाते हैं. इसके अलावा, निजी खेल कूद अकादमियों में भी सरकारी स्कूलों के 50 फीसदी बच्चों को फ्री कोचिंग देने की योजना शुरू की गई, यह भी एक सब्सिडाइज्ड प्रोग्राम है.

अपने फ्री स्कीम्स के जरिए 'सब्सिडी सरकार' में बदलती दिल्ली सरकार
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Published : Jun 8, 2019, 11:01 PM IST

नई दिल्ली: पहले बिजली में सब्सिडी, फिर 20 हजार लीटर तक फ्री पानी और अब डीटीसी बसों और दिल्ली मेट्रो में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा का प्रस्ताव.

जनहित के नाम पर सब्सिडी लुटाने की दिल्ली सरकार की योजनाओं को सब्सिडी सरकार कहें तो इसमें कोई हैरान करने वाली बात नहीं होनी चाहिए.

सब्सिडी के कारण पूर्ण बहुमत से जीती थी
आम आदमी पार्टी ने 2013 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो 400 यूनिट तक के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को 50 फीसदी की छूट दी जाएगी और 20 हजार लीटर तक पानी फ्री किया जाएगा. इसके बाद पार्टी चुनाव जीती और उन्होंने अपने वादे को पूरा किया. फिर 2015 में इसी मुद्दे पर चुनाव लड़कर पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनाया.

उसके बाद अरविंद केजरीवाल के मन में यह बात बैठ गई कि इस बहुमत का बड़ा कारण सरकार की सब्सिडी वाली योजनाएं ही थीं. शायद यही कारण था कि 2015 में सत्ता में आने के बाद से आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने एक के बाद एक कई सब्सिडी वाली योजनाएं शुरू की और यह क्रम अभी भी जारी है.

14 सौ करोड़ सब्सिडी की जरूरत
बता दें कि 400 यूनिट तक की बिजली देने की योजना में दिल्ली सरकार करीब 16 सौ करोड़ की सब्सिडी दे रही है, वहीं पिछले वित्त वर्ष में 20 हजार लीटर पानी फ्री देने में दिल्ली सरकार को लगभग 400 करोड रुपए की सब्सिडी देनी पड़ी और अब महिलाओं के लिए मेट्रो और डीटीसी बसों को फ्री करने में लगभग 700 सौ करोड़ सब्सिडी की जरूरत पड़ेगी.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सब्सिडी
दिल्ली सरकार द्वारा सब्सिडी लुटाने का उदाहरण केवल इन योजनाओं तक ही सीमित नहीं है. दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक फ्री स्कीम की घोषणा की है. इस योजना के अंतर्गत सभी प्रकार की दवाओं और टेस्ट को सरकारी अस्पतालों में तो फ्री किया गया, इसके अलावा कुछ प्राइवेट अस्पतालों की भी सूची बनाई गई, जिनमें ये टेस्ट फ्री है.
बेशक, वे प्राइवेट अस्पताल उन आम लोगों से पैसे नहीं लेते जिन्हें सरकारी अस्पताल टेस्ट के लिए उनके पास रेफर करते हैं, लेकिन वे अपनी फीस तो वसूलते ही हैं, भले ही वो सरकार ही क्यों ना भरे.

डोर स्टेप डिलीवरी स्कीम
दिल्ली सरकार द्वारा खूब प्रचारित डोर स्टेप डिलीवरी भी एक सब्सिडी स्कीम ही है, जिसके लिए जनता से मात्र 50 रुपए लिए जाते हैं. इसके अलावा, निजी खेल कूद अकादमियों में भी सरकारी स्कूलों के 50 फीसदी बच्चों को फ्री कोचिंग देने की योजना शुरू की गई, यह भी एक सब्सिडाइज्ड प्रोग्राम है. इसी प्रकार मुख्यमंत्री तीर्थ योजना या अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन भी ऐसे सब्सिडी से जुड़े हैं.


राजकोष बोझ
भले ही इन फ्री और सब्सिडाइज्ड स्कीम्स के जरिए आम आदमी पार्टी खुद से जनता को जोड़ सके, लेकिन यह तो तय है कि इसका बोझ राजकोष पर पड़ता है और वह किसी न किसी तरह से जनता से जुड़ा है.

नई दिल्ली: पहले बिजली में सब्सिडी, फिर 20 हजार लीटर तक फ्री पानी और अब डीटीसी बसों और दिल्ली मेट्रो में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा का प्रस्ताव.

जनहित के नाम पर सब्सिडी लुटाने की दिल्ली सरकार की योजनाओं को सब्सिडी सरकार कहें तो इसमें कोई हैरान करने वाली बात नहीं होनी चाहिए.

सब्सिडी के कारण पूर्ण बहुमत से जीती थी
आम आदमी पार्टी ने 2013 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो 400 यूनिट तक के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को 50 फीसदी की छूट दी जाएगी और 20 हजार लीटर तक पानी फ्री किया जाएगा. इसके बाद पार्टी चुनाव जीती और उन्होंने अपने वादे को पूरा किया. फिर 2015 में इसी मुद्दे पर चुनाव लड़कर पूर्ण बहुमत के साथ दिल्ली में सरकार बनाया.

उसके बाद अरविंद केजरीवाल के मन में यह बात बैठ गई कि इस बहुमत का बड़ा कारण सरकार की सब्सिडी वाली योजनाएं ही थीं. शायद यही कारण था कि 2015 में सत्ता में आने के बाद से आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने एक के बाद एक कई सब्सिडी वाली योजनाएं शुरू की और यह क्रम अभी भी जारी है.

14 सौ करोड़ सब्सिडी की जरूरत
बता दें कि 400 यूनिट तक की बिजली देने की योजना में दिल्ली सरकार करीब 16 सौ करोड़ की सब्सिडी दे रही है, वहीं पिछले वित्त वर्ष में 20 हजार लीटर पानी फ्री देने में दिल्ली सरकार को लगभग 400 करोड रुपए की सब्सिडी देनी पड़ी और अब महिलाओं के लिए मेट्रो और डीटीसी बसों को फ्री करने में लगभग 700 सौ करोड़ सब्सिडी की जरूरत पड़ेगी.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी सब्सिडी
दिल्ली सरकार द्वारा सब्सिडी लुटाने का उदाहरण केवल इन योजनाओं तक ही सीमित नहीं है. दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक फ्री स्कीम की घोषणा की है. इस योजना के अंतर्गत सभी प्रकार की दवाओं और टेस्ट को सरकारी अस्पतालों में तो फ्री किया गया, इसके अलावा कुछ प्राइवेट अस्पतालों की भी सूची बनाई गई, जिनमें ये टेस्ट फ्री है.
बेशक, वे प्राइवेट अस्पताल उन आम लोगों से पैसे नहीं लेते जिन्हें सरकारी अस्पताल टेस्ट के लिए उनके पास रेफर करते हैं, लेकिन वे अपनी फीस तो वसूलते ही हैं, भले ही वो सरकार ही क्यों ना भरे.

डोर स्टेप डिलीवरी स्कीम
दिल्ली सरकार द्वारा खूब प्रचारित डोर स्टेप डिलीवरी भी एक सब्सिडी स्कीम ही है, जिसके लिए जनता से मात्र 50 रुपए लिए जाते हैं. इसके अलावा, निजी खेल कूद अकादमियों में भी सरकारी स्कूलों के 50 फीसदी बच्चों को फ्री कोचिंग देने की योजना शुरू की गई, यह भी एक सब्सिडाइज्ड प्रोग्राम है. इसी प्रकार मुख्यमंत्री तीर्थ योजना या अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन भी ऐसे सब्सिडी से जुड़े हैं.


राजकोष बोझ
भले ही इन फ्री और सब्सिडाइज्ड स्कीम्स के जरिए आम आदमी पार्टी खुद से जनता को जोड़ सके, लेकिन यह तो तय है कि इसका बोझ राजकोष पर पड़ता है और वह किसी न किसी तरह से जनता से जुड़ा है.

Intro:पहले बिजली में सब्सिडी, फिर 20 हजार लीटर तक फ्री पानी और अब डीटीसी बसों और दिल्ली मेट्रो में महिलाओं के लिए फ्री यात्रा. जनहित के नाम पर सब्सिडी लुटाने की दिल्ली सरकार की योजनाओं के मद्देनजर अगर इस सरकार को सब्सिडी सरकार कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए.


Body:नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने 2013 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि अगर पार्टी सत्ता में आती है, तो 400 यूनिट तक के बिजली बिल में उपभोक्ताओं को 50 फ़ीसदी की छूट दी जाएगी और 20 हजार लीटर तक पानी फ्री किया जाएगा. इसके बाद पार्टी चुनाव जीती, 49 दिन की सरकार चली और फिर 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को ऐतिहासिक बहुमत मिला.

उसके बाद अरविंद केजरीवाल के मन में यह बात बैठ गई कि इस बहुमत का बड़ा कारण सरकार की सब्सिडी वाली योजनाएं ही थीं. शायद यही कारण था कि 2015 में सत्ता में आने के बाद से आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार ने एक के बाद एक कई सब्सिडी वाली योजनाएं शुरू की और यह क्रम अभी भी जारी है. 400 यूनिट तक की बिजली देने की योजना में दिल्ली सरकार करीब 16 सौ करोड़ की सब्सिडी दे रही है, वहीं पिछले वित्त वर्ष में 20 हजार लीटर पानी फ्री देने में दिल्ली सरकार को लगभग 400 करोड रुपए की सब्सिडी देनी पड़ी और अब महिलाओं के लिए मेट्रो और डीटीसी बसों को फ्री करने में लगभग 14 सौ करोड़ सब्सिडी की जरूरत पड़ेगी.

दिल्ली सरकार द्वारा सब्सिडी लुटाने का उदाहरण केवल इन योजनाओं तक ही सीमित नहीं है. दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक फ्री स्कीम की घोषणा की है. इस योजना के अंतर्गत सभी प्रकार की दवाओं और टेस्ट को सरकारी अस्पतालों में तो फ्री किया ही गया, इसके अलावा कुछ प्राइवेट अस्पतालों की भी सूची बनाई गई, जिनमें ये टेस्ट फ्री थे. बेशक, वे प्राइवेट अस्पताल उन आम लोगों से पैसे नहीं लेते जिन्हें सरकारी अस्पताल टेस्ट के लिए उनके पास रेफर करते हैं, लेकिन वे अपनी फीस तो वसूलते ही हैं, भले ही सरकार से लें.

दिल्ली सरकार द्वारा खूब प्रचारित डोर स्टेप डिलीवरी भी एक फ्री स्कीम की है, जिसके लिए जनता से मात्र 50 रुपए लिए जाते हैं. इसके अलावा, निजी खेल कूद अकादमियों में भी सरकारी स्कूलों के 50 फीसदी बच्चों को फ्री कोचिंग देने की योजना शुरू की गई, यह भी एक सब्सिडाइज्ड प्रोग्राम है. इसी प्रकार मुख्यमंत्री तीर्थ योजना या अन्य धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन भी ऐसे सब्सिडी से जुड़े हैं.


Conclusion:भले ही इन फ्री और सब्सिडाइज्ड स्कीम्स के जरिए आम आदमी पार्टी खुद से जनता को जोड़ सके, लेकिन यह तो तय है कि इसका बोझ राजकोष पर पड़ता है और वह किसी न किसी तरह से जनता से जुड़ा है.
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