हैदराबाद: हर एक गुजरते दिन की तरह रोजर फेडरर का करियर-एंड करीब आ रहा है. ये बात टेनिस के फैंस बहुत अच्छे से जानते हैं कि फेडरर ने जितने भी दिन टेनिस की सेवा की उन्होंने हम सभी को अपने फोर हैंड से प्यार करने पर मजबूर किया वो प्यार सालों साल तक मुरझा नहीं सकता लेकिन तकलीफ जरूर दे सकता है.
2019 विंबलडन फाइनल में सभी टेनिस फैंस ने इस दर्द को महसूस किया जब फेडरर ट्रॉफी होल्डर जोकोविच के बांए तरफ एक शील्ड लेकर खड़े थे. जोकोविच ने उस वक्त विश्व पटल पर चर्चाओं को फलने फूलने का खूब मौका दिया था.
उस वक्त टेनिस फैंस को इस बात से कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा था कि यूके में कहीं किसी और शहर में आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल खेला जा रहा है और वहां भी संघर्ष की लड़ाई जारी है. उस दिन इंग्लैंड में कुछ भी हो सकता था.
जब दिन की शुरूआत हुई और नोवाक जोकोविच, रोजर फेडरर सेंटर कोर्ट पहुंचे तब वो दोनों ही काफी शांत लग रहे थे. ऐसा लगा रहा था कि वो दोनों ही उस वक्त इतिहास लिखने के करीब हैं.
स्टेज सज चुका था और दोनों ही अपनी- अपनी पोजिशन ले चुके थे. नोवाक जोकोविच रणनीति के अनुसार अपना गेम लेकर चल रहे थे और फेडरर सभी की उम्मीदों का बोझ लिए अपने 21वें ग्रैंड स्लैम की ओर कदम बढ़ा रहे थे.
पहला सेट, 7-6, जोकोविच ने टाई- ब्रेकर में फेडरर को पहला आघात पहुंचाया जिसके बाद वो फेडरर की कमबैक की आदत को जानते हुए पूरी तैयारी में थे. हालांकि जोकोविच की तैयारियां धरी रह गईं और अगले ही सेट में एक्शन का दोगुना रिएक्शन मिला. फेडरर ने 1-6 से दूसरा सेट जीत लिया. ये सिलसिला तीसरे और चौथे सेट तक चला. अब तक जोकोविच और फेडरर के बीच खेले जा रहे इस फाइनल मुकाबले की स्कोर लाइन 7-6(5), 1-6, 7-6(4), 4-6 की थी.
मुकाबला 5वें सेट तक पहुंचा और सभी को 2009 विंबलडन ओपन के फाइनल की याद आ गई. उस दिन फेडरर के सामने थे उनके राइवल एंडी रॉडिक. वो दिन भी विंबलडन के इतिहास के सबसे बड़े दिनों में से एक कहा जाता है जब फेडरर और रॉडिक ने लगभग 5 घंटों तक चले इस मुकाबलें में धैर्य का मतलब सिखाया था. वो दिन फेडरर की जिंदगी का सबसे जुझारू दिन था.
5वें सेट में जोकोविच और फेडरर ने एक नए तरह का गेम खेला जो पूरी तरह से उनका प्राकृतिक गेम था. नोवाक जोकोविच ने प्रेशर को झेलते हुए कोर्ट पर चहल कदमी तेज कर दी वहीं रोजर फेडरर ने धैर्य के साथ प्वाइंट लेना शुरू किया. अंत में लड़ाई सिर्फ प्वाइंट की रह गई थी. उस वक्त तक उन दोनों ही खिलाड़ियों की ग्रैंड स्लैम टैली का कोई मतलब नहीं रह गया था.
वो 5वां सेट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था. फेडरर प्वाइंट ले रहे थे और जोकोविच उसकी बराबरी कर रहे थे लेकिन हर रात की एक सुबह की तरह उस सेट का भी अंत आया और जोकोविच ने 5वें सेट के साथ टाइटल जीत लिया.
जोकोविच ने टेनिस के 'रॉक ऑफ जिबरालटार' को फाइनल में हराकर अपना 17वां ग्रैंड स्लैम टाइटल कमाया और फेडरर के हाथों से एक और ग्रैंड स्लैम टाइटल निकल गया.
2019 के विंबलडन फाइनल से भी सब 2009 के फाइनल जैसे रिजल्ट की उम्मीद कर रहे थे लेकिन ये जरूरी तो नहीं कि हर बार इतिहास अपने आपको दोहराए ही.
वो पल फेडरर फैंस के लिए उतना ही दिल तोड़ने वाला था जितना फेडरर के युवा दिनों में हुआ करता था. जब युवा फेडरर हर एक टाइटल के लिए जी तोड़ मेहनत करते थे लेकिन वो फाइनल में आकर हार जाते थे.
उस दिन एक बड़े जर्नलिस्ट ने अपने शब्दों में कहा था कि फेडरर फाइनल में दो प्वाइंट नहीं ले सके जिसके चलते जोकोविच ने फेडरर के सामने 4 प्वाइंट ले लिए और वो टाइटल होल्डर हुए. उस दिन फेडरर अंदर ही अंदर उबल रहे थे. इसके बावजूद वो शांत थे. वो वापस स्विटजरलैंड आए. अपनी पत्नी मिर्का और अपने बच्चों के साथ वो कारवान छुट्टियां मनाने निकल गए. उनको खुली हवा की जरूरत थी. महीनों बाद जाकर फेडरर ने एक इंटरव्यू के दौरान इस बात का खुलासा किया कि जोकोविच के हाथों तीसरी बार विंबलडन फाइनल हारना, जिसको उन्होंने 8 बार पहले भी जीता है, वो रूह को हिला कर रख देने वाला अनुभव था.
फेडरर के बारे में कहा जाता है कि वो शुगर रे लेनर्ड (अमेरिकन बॉक्सर) की तरह अपनी टॉप फॉर्म पर होने के बावजूद अपने आपको काबू में रखने की कला को जानते थे, उनमें बिना चोट खाए, घायल दिखने की अदा थी. वो बिना कुछ गवांए सब कुछ जीतना जानते थे, उन्हें सब दांव पर लगाकर फिर उसे कमाना आता था. यहीं बात उनको बेहद खूबसूरत और निर्दयी बनाती है और साबित करती है कि वो कितने महान हैं.
फेडरर अपनी शालीनता को हार के समय भी नहीं भूलाते. 2019 विंबलडन ऐसे ही कई किस्सो के चलते याद किया जाता है. विंबलडन 2019 का फाइनल आज टेनिस की दुनिया के सबसे बड़े फाइनल में से एक कहा जाता है और उसका कारण ये नहीं है कि वो नोवाक जोकोविच का 17वां ग्रैंड स्लैम है बल्कि वो इसलिए याद किया जाता है कि वो फेडरर का 21वां ग्रैंड स्लैम न हो सका था क्योंकि ये वो चैंपियनशिप थी जिसको फेडरर 2003 में ऑल इंग्लैंड जीतने से भी ज्यादा जीतना चाहते थे, शायद वो 2017 में मेलबर्न में खेले गए ऑस्ट्रेलियान ओपन फाइनल से भी ज्यादा जीतना चाहते थे. जबकि वो 6 महीने पहले ही घुटने की सर्जरी करवा कर लौटे थे और उन्होंने अपने गेम के टॉप पर चल रहे नडाल को हराकर इस उम्र में एक नया आगाज किया था.