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सुप्रीम कोर्ट ने AICF सचिव को 15 अगस्त तक पद पर बने रहने की अनुमति दी - Secretary Bharat Singh Chauhan

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के सचिव भरत सिंह चौहान को 15 अगस्त तक इस पद पर बने रहने की अनुमति दी, ताकि शतरंज ओलंपियाड का आयोजन बिना किसी परेशानी के हो सके. क्योंकि देश की प्रतिष्ठा सर्वोपरि है.

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Published : Jun 8, 2022, 5:15 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के सचिव भरत सिंह चौहान को जुलाई से अगस्त के बीच होने वाले शतरंज ओलंपियाड के मद्देनजर 15 अगस्त तक पद पर बने रहने की अनुमति दी. जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, देश और देश के गौरव को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

बेंच ने अंतरिम व्यवस्था में चौहान को 15 अगस्त तक सचिव एआईसीएफ के रूप में कार्य जारी रखने की अनुमति दी. भारत 44वें शतरंज ओलंपियाड की मेजबानी कर रहा है, जो 28 जुलाई से 10 अगस्त तक होगा. दिल्ली उच्च न्यायालय ने चौहान को पदाधिकारी के रूप में कार्रवाई करने से रोक दिया था. चौहान ने अगले आदेश तक एआईसीएफ के सचिव के रूप में कार्य करने से रोकने के लिए उच्च न्यायालय को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया.

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मामले में दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा, भारत संघ और अपीलकर्ता को आज से चार सप्ताह के भीतर दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष विस्तृत हलफनामा दाखिल करने दें. वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने प्रस्तुत किया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया. क्योंकि चौहान को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं मिला.

पीठ ने कहा कि देश 28 जुलाई से 10 अगस्त 2022 तक देश में प्रतिष्ठित शतरंज ओलंपियाड आयोजित कर रहा है और इस आयोजन को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने वाले पक्षों के अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय चार सप्ताह के भीतर सभी संबंधितों को अवसर देने के बाद एक नया आदेश पारित करेगा.

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एक अंतरिम आदेश में उम्मीदवार रवींद्र डोंगरे की याचिका पर आया था. जहां उच्च न्यायालय ने चौहान को एआईसीएफ के सचिव के रूप में कार्य करने से रोक दिया था. चौहान के खिलाफ राष्ट्रीय खेल संहिता के उल्लंघन सहित कई आरोप लगाए गए थे. एआईसीएफ चुनावों में डोंगरे कथित तौर पर चौहान से हार गए. दावा किया गया था कि चौहान 17 साल से अधिक समय से सत्ता में हैं. हालांकि, कोड पदाधिकारियों को आठ साल से अधिक समय तक पद धारण करने की अनुमति नहीं देता है.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अखिल भारतीय शतरंज महासंघ (एआईसीएफ) के सचिव भरत सिंह चौहान को जुलाई से अगस्त के बीच होने वाले शतरंज ओलंपियाड के मद्देनजर 15 अगस्त तक पद पर बने रहने की अनुमति दी. जस्टिस एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, देश और देश के गौरव को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

बेंच ने अंतरिम व्यवस्था में चौहान को 15 अगस्त तक सचिव एआईसीएफ के रूप में कार्य जारी रखने की अनुमति दी. भारत 44वें शतरंज ओलंपियाड की मेजबानी कर रहा है, जो 28 जुलाई से 10 अगस्त तक होगा. दिल्ली उच्च न्यायालय ने चौहान को पदाधिकारी के रूप में कार्रवाई करने से रोक दिया था. चौहान ने अगले आदेश तक एआईसीएफ के सचिव के रूप में कार्य करने से रोकने के लिए उच्च न्यायालय को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया.

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मामले में दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा, भारत संघ और अपीलकर्ता को आज से चार सप्ताह के भीतर दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष विस्तृत हलफनामा दाखिल करने दें. वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने प्रस्तुत किया कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन नहीं किया गया. क्योंकि चौहान को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं मिला.

पीठ ने कहा कि देश 28 जुलाई से 10 अगस्त 2022 तक देश में प्रतिष्ठित शतरंज ओलंपियाड आयोजित कर रहा है और इस आयोजन को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि यह आदेश उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर करने वाले पक्षों के अधिकारों और तर्कों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना होगा. शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय चार सप्ताह के भीतर सभी संबंधितों को अवसर देने के बाद एक नया आदेश पारित करेगा.

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एक अंतरिम आदेश में उम्मीदवार रवींद्र डोंगरे की याचिका पर आया था. जहां उच्च न्यायालय ने चौहान को एआईसीएफ के सचिव के रूप में कार्य करने से रोक दिया था. चौहान के खिलाफ राष्ट्रीय खेल संहिता के उल्लंघन सहित कई आरोप लगाए गए थे. एआईसीएफ चुनावों में डोंगरे कथित तौर पर चौहान से हार गए. दावा किया गया था कि चौहान 17 साल से अधिक समय से सत्ता में हैं. हालांकि, कोड पदाधिकारियों को आठ साल से अधिक समय तक पद धारण करने की अनुमति नहीं देता है.

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