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BAI पर भड़कीं साइना नेहवाल, सरेआम लगाए गंभीर आरोप - एशियाई खेल

गोल्ड मेडल विजेता रहीं साइना नेहवाल ने चयन ट्रायल की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए उन्हें दोनों से बाहर करने के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ की जमकर आलोचना की.

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Published : Apr 15, 2022, 8:27 PM IST

नई दिल्ली: साइना नेहवाल का राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के लिए चयन ट्रायल में नहीं खेलने का फैसला अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन में पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से चल रही उनकी शानदार यात्रा के खत्म होने की शुरुआत हो सकता है. पूर्व नंबर एक साइना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला बैडमिंटन की सिरमौर रही हैं, उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों (2018 ग्लास्गो, 2010 नई दिल्ली और 2006 मेलबर्न) में तीन बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है.

इसमें जरा सा भी शक नहीं है कि हिसार में जन्मीं यह खिलाड़ी पेशेवर सर्किट में अपने शानदार प्रदर्शन से फिर वही जादू बिखेर सकती है. लेकिन भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के ट्रायल्स में नहीं हिस्सा लेने का फैसला बहु स्पर्धाओं के खेल जैसे राष्ट्रमंडल खेल, एशियाड, ओलंपिक और उबर कप में उनके प्रतिनिधित्व के मौके को खत्म कर सकता है.

दो बार राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता साइना ने बर्मिंघम में अपने खिताब का बचाव करने की उम्मीद लगाई थीं. लेकिन इसे जल्दबाजी में लिया हुआ फैसला या फिर अपनी बात नहीं बता पाने की कमी कहें, उनका यह सपना अब साकार होता नहीं दिख रहा. गुरुवार को निराश साइना ने ट्विटर पर बीएआई पर उनके ई-मेल का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया और साथ ही उनके ट्रायल्स कराने के पीछे के तर्क पर सवाल भी उठाए.

यह भी पढ़ें: क्रिकेट से संन्यास पर मिताली राज का बड़ा बयान

महासंघ ने हालांकि इस पर चुप्पी बनाए रखी है, जिससे संकेत मिल रहा है कि महिला एकल में बदलाव का दौर शुरू हो गया है और अब ध्यान केवल युवा पीढ़ी पर ही होगा जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया जाएगा. एक पूर्व कोच ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, उसने देश के लिए काफी कुछ हासिल किया है. लेकिन पिछले दो साल में उसने कुछ ज्यादा नहीं किया है. वह चोट के अपने मुद्दों को भी सुलझा नहीं सकी हैं.

उन्होंने कहा, लगातार चोटों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना मुश्किल है. इसलिए उसे इस बात को स्वीकार करना होगा और इन मुद्दों पर नाराज नहीं होना चाहिए. उनके इस खेल में योगदान से कोई भी इनकार नहीं कर सकता. लेकिन मैं उसे इस तरह कड़वाहट भरा होते हुए नहीं देखना चाहता. बीएआई ने राष्ट्रमंडल खेलों, थॉमस और उबेर कप और एशियाई खेलों के लिए टीम चुनने के लिए दो अप्रैल को चयन ट्रायल कराया था.

इस ट्रायल से शीर्ष 15 खिलाड़ियों को छूट दी गई थी, बाकी के शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों ने शुक्रवार से शुरू हुए ट्रायल्स में हिस्सा लेने पर सहमति दे दी थी, जिसमें टोक्यो ओलंपियन बी साई प्रणीत और तीन बार की राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता अश्विनी पोनप्पा शामिल थीं जो 16 से 50 रैंकिंग के बीच हैं.

यह भी पढ़ें: IPL 2022: आईपीएल के बायो-बबल में कोरोना की एंट्री, DC के फिजियो पॉजिटिव

लेकिन 23वीं रैंकिंग पर काबिज साइना ने इसमें हिस्सा नहीं लिया, वह अपने शरीर को ज्यादा मेहनत से बचाना चाहती थीं. क्योंकि वह यूरोप में लगातार तीन टूर्नामेंट खेलने के बाद लौटी थीं और और एशियाई चैम्पियनशिप भी 26 अप्रैल से शुरू हो रही है. साइना भी अपनी जगह सही हैं, क्योंकि वह पिछले कुछ समय से शारीरिक रूप से सर्वश्रेष्ठ स्तर पर नहीं रही हैं. वह लगातार चोटों के कारण अपनी शीर्ष फिटनेस में नहीं आ पा रही हैं, जो उनके नतीजों में भी साफ दिखता है.

लेकिन बीएआई लंदन खेलों की कांस्य पदक विजेता केा कोई छूट नहीं देना चाहता और उसने स्पष्ट कर दिया कि ट्रायल्स में हिस्सेदारी इन बड़े टूर्नामेंट के लिये टीम चयन में जरूरी होगी. पूर्व कोच ने कहा, वह इसे एक और हफ्ते भर के टूर्नामेंट के तौर पर ले सकती थी और इसमें खेल सकती थी. मैं समझता हूं कि दो हफ्ते का समय आदर्श नहीं है लेकिन इस व्यस्त कार्यक्रम में विंडो की जगह ही नहीं है. उन्होंने कहा, यह नया प्रबंधन है और मुझे नहीं लगता कि वे ट्रायल्स कराकर गलत कर रहे हैं.

नई दिल्ली: साइना नेहवाल का राष्ट्रमंडल खेलों और एशियाई खेलों के लिए चयन ट्रायल में नहीं खेलने का फैसला अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन में पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से चल रही उनकी शानदार यात्रा के खत्म होने की शुरुआत हो सकता है. पूर्व नंबर एक साइना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला बैडमिंटन की सिरमौर रही हैं, उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों (2018 ग्लास्गो, 2010 नई दिल्ली और 2006 मेलबर्न) में तीन बार भारत का प्रतिनिधित्व किया है.

इसमें जरा सा भी शक नहीं है कि हिसार में जन्मीं यह खिलाड़ी पेशेवर सर्किट में अपने शानदार प्रदर्शन से फिर वही जादू बिखेर सकती है. लेकिन भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के ट्रायल्स में नहीं हिस्सा लेने का फैसला बहु स्पर्धाओं के खेल जैसे राष्ट्रमंडल खेल, एशियाड, ओलंपिक और उबर कप में उनके प्रतिनिधित्व के मौके को खत्म कर सकता है.

दो बार राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता साइना ने बर्मिंघम में अपने खिताब का बचाव करने की उम्मीद लगाई थीं. लेकिन इसे जल्दबाजी में लिया हुआ फैसला या फिर अपनी बात नहीं बता पाने की कमी कहें, उनका यह सपना अब साकार होता नहीं दिख रहा. गुरुवार को निराश साइना ने ट्विटर पर बीएआई पर उनके ई-मेल का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया और साथ ही उनके ट्रायल्स कराने के पीछे के तर्क पर सवाल भी उठाए.

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महासंघ ने हालांकि इस पर चुप्पी बनाए रखी है, जिससे संकेत मिल रहा है कि महिला एकल में बदलाव का दौर शुरू हो गया है और अब ध्यान केवल युवा पीढ़ी पर ही होगा जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया जाएगा. एक पूर्व कोच ने गोपनीयता की शर्त पर पीटीआई से कहा, उसने देश के लिए काफी कुछ हासिल किया है. लेकिन पिछले दो साल में उसने कुछ ज्यादा नहीं किया है. वह चोट के अपने मुद्दों को भी सुलझा नहीं सकी हैं.

उन्होंने कहा, लगातार चोटों से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना मुश्किल है. इसलिए उसे इस बात को स्वीकार करना होगा और इन मुद्दों पर नाराज नहीं होना चाहिए. उनके इस खेल में योगदान से कोई भी इनकार नहीं कर सकता. लेकिन मैं उसे इस तरह कड़वाहट भरा होते हुए नहीं देखना चाहता. बीएआई ने राष्ट्रमंडल खेलों, थॉमस और उबेर कप और एशियाई खेलों के लिए टीम चुनने के लिए दो अप्रैल को चयन ट्रायल कराया था.

इस ट्रायल से शीर्ष 15 खिलाड़ियों को छूट दी गई थी, बाकी के शीर्ष भारतीय खिलाड़ियों ने शुक्रवार से शुरू हुए ट्रायल्स में हिस्सा लेने पर सहमति दे दी थी, जिसमें टोक्यो ओलंपियन बी साई प्रणीत और तीन बार की राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता अश्विनी पोनप्पा शामिल थीं जो 16 से 50 रैंकिंग के बीच हैं.

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लेकिन 23वीं रैंकिंग पर काबिज साइना ने इसमें हिस्सा नहीं लिया, वह अपने शरीर को ज्यादा मेहनत से बचाना चाहती थीं. क्योंकि वह यूरोप में लगातार तीन टूर्नामेंट खेलने के बाद लौटी थीं और और एशियाई चैम्पियनशिप भी 26 अप्रैल से शुरू हो रही है. साइना भी अपनी जगह सही हैं, क्योंकि वह पिछले कुछ समय से शारीरिक रूप से सर्वश्रेष्ठ स्तर पर नहीं रही हैं. वह लगातार चोटों के कारण अपनी शीर्ष फिटनेस में नहीं आ पा रही हैं, जो उनके नतीजों में भी साफ दिखता है.

लेकिन बीएआई लंदन खेलों की कांस्य पदक विजेता केा कोई छूट नहीं देना चाहता और उसने स्पष्ट कर दिया कि ट्रायल्स में हिस्सेदारी इन बड़े टूर्नामेंट के लिये टीम चयन में जरूरी होगी. पूर्व कोच ने कहा, वह इसे एक और हफ्ते भर के टूर्नामेंट के तौर पर ले सकती थी और इसमें खेल सकती थी. मैं समझता हूं कि दो हफ्ते का समय आदर्श नहीं है लेकिन इस व्यस्त कार्यक्रम में विंडो की जगह ही नहीं है. उन्होंने कहा, यह नया प्रबंधन है और मुझे नहीं लगता कि वे ट्रायल्स कराकर गलत कर रहे हैं.

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