कोलकाता: भारतीय पुरुष फुटबॉल टीम के स्ट्राइकर जेजे लालपेखलुआ का मानना है कि इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) के आ जाने से भारतीय फुटबॉलरों को अधिक महत्व दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लीग में खेलने से खिलाड़ियों को वित्तीय सुरक्षा भी मिली है, जिससे चोटिल होने के दौरान उन्हें मानसिक रूप से इससे उबरने में मदद मिली है.
आईएसएल में चेन्नइयन एफसी के लिए खेलने वाले लालपेखलुआ अप्रैल 2019 में चेन्नइयन के लिए पिछला मैच खेला था, उसके बाद घुटने की चोट के कारण वो पूरे सीजन से बाहर रहे हैं.
लालपेखलुआ ने आईएसएल मीडिया से कहा, "हम एक परिवार चलाते हैं और हमारी अन्य प्रतिबद्धताएं भी हैं. मैं एक साल तक नहीं खेल सका लेकिन पैसा समय पर आ रहा था. इसके लिए मुझे क्लब का शुक्रिया अदा करना है. इससे मुझे ठीक होने में मदद मिली. हमने क्लब को सब कुछ दिया और मुझे लगता है कि हम इसके बाद भी ध्यान देने के योग्य हैं."
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🗞️ Make the most of #HeroISL, says @ChennaiyinFC's @jejefanai to young 🇮🇳 footballers!
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लालपेखलुआ ने चेन्नइयन एफसी के लिए पांच सीजन में 23 गोल किए हैं. उन्होंने कहा, "जब आप चोटिल होते हैं तो मानसिक और शारीरिक रूप से खिलाड़ी के लिए बहुत मुश्किल होता है. क्लब और खिलाड़ियों को एक साथ काम करना पड़ता है. क्लबों ने अब खिलाड़ियों को बहुत अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है. अतीत में, ऐसे समय हुए हैं जब खिलाड़ी विफल रहे हैं. चेाटिल होने पर अपने क्लब से समर्थन प्राप्त करें, ये खिलाड़ी के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है."
लालपेखलुआ ने 18 साल की उम्र में पुणे एफसी के साथ 2009 में अपने करियर की शुरूआत की थी. उन्होंने कहा कि 2014 में आईएसएल के आने के बाद से भारतीय फुटबॉल में व्यावसायिकता का स्तर बेहतर हो गया है.
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इन दिनों भारतीय फुटबॉल बहुत बदल गया है. हालात दिन-ब-दिन बेहतर होते जा रहे हैं और मुझे उम्मीद है कि ये और बेहतर होगा. आईएसएल में, क्लब खिलाड़ियों का बेहतर समर्थन करते हैं जब आप चोटिल होते हैं या किसी भी कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं. ये क्लब और खिलाड़ियों दोनों के लिए विकसित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है."