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जाफर ने सही काम किया, खिलाड़ियों को उनकी मेंटरशिप की याद आएगी : अनिल कुंबले

जाफर ने कहा था कि टीम चयन में चयन समिति और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) के सचिव माहिम वर्मा का बहुत हस्तक्षेप था. उन्होंने ये भी कहा कि वो उत्तराखंड की कोचिंग के लिए पूरी तरह से समर्पित थे, और अपने इस्तीफे के ईमेल में, उन्होंने साझा किया कि उन्होंने बांग्लादेश के बल्लेबाजी कोच की पेशकश सहित विभिन्न कोचिंग भूमिकाओं को ठुकरा दिया था.

Jaffer did right thing, players will miss his mentorship, says Kumble
Jaffer did right thing, players will miss his mentorship, says Kumble
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Published : Feb 11, 2021, 3:55 PM IST

नई दिल्ली [भारत]: पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने गुरुवार को वसीम जाफर के उत्तराखंड के मुख्य कोच के रूप में पद छोड़ने के फैसले का समर्थन किया और कहा कि पूर्व बल्लेबाज की मेंटरशिप को मिस करना खिलाड़ियों का नुकसान होगा.

जाफर ने कहा था कि टीम चयन में चयन समिति और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) के सचिव माहिम वर्मा का बहुत हस्तक्षेप था. उन्होंने ये भी कहा कि वो उत्तराखंड की कोचिंग के लिए पूरी तरह से समर्पित थे, और अपने इस्तीफे के ईमेल में, उन्होंने साझा किया कि उन्होंने बांग्लादेश के बल्लेबाजी कोच की पेशकश सहित विभिन्न कोचिंग भूमिकाओं को ठुकरा दिया था.

Jaffer did right thing, players will miss his mentorship, says Kumble
अनिल कुंबले

जाफर ने एक मीडिया हाउस से कहा, "ये बहुत निराशाजनक है और ये बहुत दुखद है. ईमानदारी से कहूं, मैंने इतनी तीव्रता के साथ काम किया है और मैं उत्तराखंड का कोच बनने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं. मैं हमेशा योग्य उम्मीदवारों को आगे बढ़ाना चाहता था. ऐसा लग रहा था कि मैं लड़ रहा था. हर छोटी चीज के लिए. चयनकर्ताओं का इतना हस्तक्षेप था, कभी-कभी गैर-योग्य खिलाड़ियों को जबरदस्ती धक्का दिया जाता था, "

उन्होंने आगे कहा, "सचिव माहिम वर्मा का बहुत हस्तक्षेप है, उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी के लिए टीम का चयन किया और मुझे लूप में नहीं रखा गया. उन्होंने कप्तान को बदल दिया, 11 खिलाड़ियों को बदल दिया गया, अगर चीजों को इस तरह से लेकर जाना है, तो कोई कैसे काम कर सकता है? मैं ये नहीं कह रहा हूं कि मैं टीम का चयन करूंगा, लेकिन अगर आप मेरी सिफारिश नहीं लेते हैं फिर मेरे होने का क्या मतलब है, "

कुंबले ने ट्विटर पर जाफर की पोस्ट का जवाब दिया, "आपके साथ हूं वसीम. सही काम किया. दुर्भाग्य से, ये खिलाड़ी हैं जो आपकी मेंटरशिप को मिस करेंगे."

जाफर को पिछले साल जून में उत्तराखंड के कोच के रूप में नियुक्त किया गया था. कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सीएयू के कुछ अधिकारियों ने भी जाफर के खिलाफ सांप्रदायिक आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि घरेलू क्रिकेट टीम के भीतर वो एक धार्मिक विभाजन पैदा कर रहे थे. हालांकि, उन्होंने इसे पूरी तरह से "निराधार" करार दिया और कहा कि अगर ऐसा कर रहे होते, तो वह इस्तीफा नहीं देते, बल्कि उन्हें बर्खास्त कर दिया जाता.

नई दिल्ली [भारत]: पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले ने गुरुवार को वसीम जाफर के उत्तराखंड के मुख्य कोच के रूप में पद छोड़ने के फैसले का समर्थन किया और कहा कि पूर्व बल्लेबाज की मेंटरशिप को मिस करना खिलाड़ियों का नुकसान होगा.

जाफर ने कहा था कि टीम चयन में चयन समिति और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड (CAU) के सचिव माहिम वर्मा का बहुत हस्तक्षेप था. उन्होंने ये भी कहा कि वो उत्तराखंड की कोचिंग के लिए पूरी तरह से समर्पित थे, और अपने इस्तीफे के ईमेल में, उन्होंने साझा किया कि उन्होंने बांग्लादेश के बल्लेबाजी कोच की पेशकश सहित विभिन्न कोचिंग भूमिकाओं को ठुकरा दिया था.

Jaffer did right thing, players will miss his mentorship, says Kumble
अनिल कुंबले

जाफर ने एक मीडिया हाउस से कहा, "ये बहुत निराशाजनक है और ये बहुत दुखद है. ईमानदारी से कहूं, मैंने इतनी तीव्रता के साथ काम किया है और मैं उत्तराखंड का कोच बनने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हूं. मैं हमेशा योग्य उम्मीदवारों को आगे बढ़ाना चाहता था. ऐसा लग रहा था कि मैं लड़ रहा था. हर छोटी चीज के लिए. चयनकर्ताओं का इतना हस्तक्षेप था, कभी-कभी गैर-योग्य खिलाड़ियों को जबरदस्ती धक्का दिया जाता था, "

उन्होंने आगे कहा, "सचिव माहिम वर्मा का बहुत हस्तक्षेप है, उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी के लिए टीम का चयन किया और मुझे लूप में नहीं रखा गया. उन्होंने कप्तान को बदल दिया, 11 खिलाड़ियों को बदल दिया गया, अगर चीजों को इस तरह से लेकर जाना है, तो कोई कैसे काम कर सकता है? मैं ये नहीं कह रहा हूं कि मैं टीम का चयन करूंगा, लेकिन अगर आप मेरी सिफारिश नहीं लेते हैं फिर मेरे होने का क्या मतलब है, "

कुंबले ने ट्विटर पर जाफर की पोस्ट का जवाब दिया, "आपके साथ हूं वसीम. सही काम किया. दुर्भाग्य से, ये खिलाड़ी हैं जो आपकी मेंटरशिप को मिस करेंगे."

जाफर को पिछले साल जून में उत्तराखंड के कोच के रूप में नियुक्त किया गया था. कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, सीएयू के कुछ अधिकारियों ने भी जाफर के खिलाफ सांप्रदायिक आरोप लगाए हैं, उन्होंने कहा कि घरेलू क्रिकेट टीम के भीतर वो एक धार्मिक विभाजन पैदा कर रहे थे. हालांकि, उन्होंने इसे पूरी तरह से "निराधार" करार दिया और कहा कि अगर ऐसा कर रहे होते, तो वह इस्तीफा नहीं देते, बल्कि उन्हें बर्खास्त कर दिया जाता.

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