नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने दावा किया है कि जो राज्य नए पंजीकृत भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के संविधान के अनुसार अपने संविधान में संशोधन नहीं करेंगे उन्हें बोर्ड चुनाव में मतदान का अधिकार नहीं दिया जाएगा, लेकिन इसके बावजूद संशोधन की प्रक्रिया के आगे बढ़ने से पहले लगभग 10 राज्य संघ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं.
बीसीसीआई में चुनाव के 22 अक्टूबर को होने की उम्मीद है.
सीओए ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश क्रिकेट संघ, छत्तीसगढ़ राज्य क्रिकेट संघ, बंगाल क्रिकेट संघ, गोवा क्रिकेट संघ, हरियाणा क्रिकेट संघ, झारखंड राज्य क्रिकेट संघ, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ, मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ, राजस्थान क्रिकेट संघ और तमिलनाडु क्रिकेट संघ को अभी भी नए बीसीसीआई संविधान के अनुसार अपने संविधान में संशोधन करना है.
सीओए के दस्तावेजों में कहा गया है कि 14 राज्य संघ हैं जिन्होंने अब तक निर्वाचन अधिकारियों की नियुक्ति नहीं की है. इन 14 में से सौराष्ट्र क्रिकेट संघ, बड़ौदा क्रिकेट संघ, जम्मू और कश्मीर क्रिकेट संघ, ओडिशा क्रिकेट संघ भी शामिल है.
उत्तराखंड के क्रिकेट एसोसिएशन को पूर्ण सदस्य के रूप में सदस्य संघ में शामिल किया गया है और सीओए उनके संविधान में आवश्यक संशोधनों का संचार करेगा.
सीओए ने दावा किया है कि जो संघ संशोधन नहीं करेंगे उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं दिया जाएगा जबकि बीसीसीआई के वकील और राज्य संघों का मानना है कि ये शीर्ष अदालत को तय करना है.
उन्हें लगता है कि जब तक शीर्ष अदालत राज्य संघों और उनके मुद्दों की सुनवाई नहीं करती, तब तक सीओए इस पर फैसला नहीं ले सकता है.
राज्य संघ के वकील अमोल चिताले ने कहा,"बीसीसीआई के नए संविधान को सुप्रीम कोर्ट ने पास किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य संघों को अपने संविधान को बीसीसीआई के संविधान के आधार पर ही बनाना होगा. सभी राज्य संघों ने या तो अपने संविधान में संशोधन किया और उसे पंजीकृत कराया या फिर उसे भंग करते हुए बीसीसीआई के संविधान को लागू किया. यही संविधान सीओए को भेजे गए हैं ताकि वो इस बात की जांच कर सके कि वे सही तरीके से तैयार किए गए हैं या नहीं. इस पर सीओए ने कुछ ऐसे प्वाइंट्स का जिक्र करते हुए उन्हें राज्य संघों को भेज दिया कि कुछ मामलों में उनका संविधान बीसीसीआई के संविधान से मेल नहीं खाता है."
बीसीसीआई वकील गुंजन ऋषि ने कहा कि ये हालात इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि 'सिमिलर लाइंस' का राज्य संघों ने अपने हिसाब से अलग-अलग अर्थ लगाया. सीओए ने बाद में साफ किया कि इसका मतलब जस का तस है लेकिन इसके बावजूद राज्य संघ इसे लेकर स्थिति साफ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से पास गए. इसी बीच, सीओए ने तमाम शंकाओं के बीच ये अर्थ लगा लिया कि राज्य संघ सुप्रीम कोर्ट द्वारा पास किए गए संविधान के आधार पर काम करने के लिए तैयार नहीं हैं.