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फिल्म 'जय भीम' के बढ़ते विवाद पर निर्देशक ने मांगी माफी, जानिए पूरा मामला - Jai Bhim

फिल्म 'जय भीम' तमिल और तेलुगु सहित अन्य भाषाओं में 1 नवंबर को रिलीज़ हुई. 'जय भीम' पर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है, जहां वन्नियार संगम और समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि फिल्म में उन्हें खराब तरीके से चित्रित किया गया है. फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन-प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया था.

फिल्म 'जय भीम'
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Published : Nov 21, 2021, 8:09 PM IST

चेन्नई : अभिनेता सूर्या अभिनीत फिल्म 'जय भीम' के निर्देशक ज्ञानवेल ने कहा कि उनका किसी विशेष समुदाय को आहत करने का कोई इरादा नहीं था और जिन्हें भी उससे ठेस पहुंची उसके लिए वह खेद प्रकट करते हैं.

तमिल और तेलुगु सहित अन्य भाषाओं में 1 नवंबर को रिलीज़ हुई 'जय भीम' पर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है, जहां वन्नियार संगम और समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि फिल्म में उन्हें खराब तरीके चित्रित किया गया है. फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन-प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया था.

ज्ञानवेल ने इस बात पर जोर दिया कि फिल्म के निर्माण में 'किसी व्यक्ति या समुदाय का अपमान करने का थोड़ा सा भी विचार' नहीं था. उन्होंने कहा, 'जिन्हें भी इससे ठेस पहुंची उनके प्रति मैं दिल से खेद व्यक्त करता हूं.' फिल्म निर्देशक ने विवाद के मद्देनजर सूर्या को हुई कठिनाई के लिए भी खेद व्यक्त किया, जो फिल्म के मुख्य अभिनेता और जय भीम के निर्माता हैं.

इस विवाद की जड़ एक दुष्ट पुलिस उप-निरीक्षक को 'गुरु' (गुरुमूर्ति) के रूप में नामित करके और एक दृश्य में पृष्ठभूमि में, एक कैलेंडर में समुदाय के उग्र अग्नि पॉट प्रतीक को और अग्रभाग में निर्दोष आदिवासी व्यक्ति को मौत के घाट उतारने वाले पुलिस एसआई को दिखाया जाना है. जिसे वन्नियार समुदाय की कथित बदनामी बताया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: कंपनी ने नहीं हटाया एड तो अमिताभ बच्चन ने भेजा लीगल नोटिस, जानें क्या है मामला

ज्ञानवेल ने एक बयान में दावा किया, 'मुझे नहीं पता था कि पृष्ठभूमि में लटकाए गए कैलेंडर को एक समुदाय के संदर्भ के रूप में समझा जाएगा. इसे किसी विशेष समुदाय के संदर्भ का प्रतीक बनाने का हमारा इरादा नहीं था और इसका मकसद वर्ष 1995 की अवधि को प्रतिबिंबित करना था.'

ये भी पढे़ं: अनुष्का की संगीत सेरेमनी में आलिया ने खूब लगाए ठुमके, पोस्ट किया वीडियो

चेन्नई : अभिनेता सूर्या अभिनीत फिल्म 'जय भीम' के निर्देशक ज्ञानवेल ने कहा कि उनका किसी विशेष समुदाय को आहत करने का कोई इरादा नहीं था और जिन्हें भी उससे ठेस पहुंची उसके लिए वह खेद प्रकट करते हैं.

तमिल और तेलुगु सहित अन्य भाषाओं में 1 नवंबर को रिलीज़ हुई 'जय भीम' पर तमिलनाडु में विवाद खड़ा हो गया है, जहां वन्नियार संगम और समुदाय के सदस्यों ने आरोप लगाया कि फिल्म में उन्हें खराब तरीके चित्रित किया गया है. फिल्म को ओटीटी प्लेटफॉर्म अमेजन-प्राइम वीडियो पर रिलीज किया गया था.

ज्ञानवेल ने इस बात पर जोर दिया कि फिल्म के निर्माण में 'किसी व्यक्ति या समुदाय का अपमान करने का थोड़ा सा भी विचार' नहीं था. उन्होंने कहा, 'जिन्हें भी इससे ठेस पहुंची उनके प्रति मैं दिल से खेद व्यक्त करता हूं.' फिल्म निर्देशक ने विवाद के मद्देनजर सूर्या को हुई कठिनाई के लिए भी खेद व्यक्त किया, जो फिल्म के मुख्य अभिनेता और जय भीम के निर्माता हैं.

इस विवाद की जड़ एक दुष्ट पुलिस उप-निरीक्षक को 'गुरु' (गुरुमूर्ति) के रूप में नामित करके और एक दृश्य में पृष्ठभूमि में, एक कैलेंडर में समुदाय के उग्र अग्नि पॉट प्रतीक को और अग्रभाग में निर्दोष आदिवासी व्यक्ति को मौत के घाट उतारने वाले पुलिस एसआई को दिखाया जाना है. जिसे वन्नियार समुदाय की कथित बदनामी बताया जा रहा है.

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ज्ञानवेल ने एक बयान में दावा किया, 'मुझे नहीं पता था कि पृष्ठभूमि में लटकाए गए कैलेंडर को एक समुदाय के संदर्भ के रूप में समझा जाएगा. इसे किसी विशेष समुदाय के संदर्भ का प्रतीक बनाने का हमारा इरादा नहीं था और इसका मकसद वर्ष 1995 की अवधि को प्रतिबिंबित करना था.'

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