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यूक्रेन के 90 के दशक के बारे में दुनिया को बताना चाहता था: 'राइनो' के फिल्मकार ने कहा - आईएफएफआई

अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (IFFI) में यूक्रेन के फिल्मकार ओलेह सेंत्सोव (Ukrainian filmmaker Oleh Sentsov) की फिल्म 'राइनो' दिखाई गई. यूक्रेन के फिल्मकार ओलेह सेंत्सोव ने कहा कि 'राइनो' बनाने के पीछे उनका मकसद लोगों को यह भी याद दिलाना था कि उन्हें अतीत में हुई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए.

फिल्मकार ओलेह सेंत्सोव
फिल्मकार ओलेह सेंत्सोव
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Published : Nov 24, 2021, 6:36 PM IST

पणजी: यूक्रेन के फिल्मकार ओलेह सेंत्सोव ने कहा कि 'राइनो' बनाने के पीछे उनका लक्ष्य दुनिया को अपने देश के अशांत समय की कहानी बताना था. उन्होंने कहा कि इस फिल्म का मकसद लोगों को यह भी याद दिलाना था कि उन्हें अतीत में हुई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए.

यह फिल्म अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में दिखाई गई. इसमें यूक्रेन की 1990 की अपराध की दुनिया की कहानी है जब सोवियत संघ के विघटन के बाद देश स्वतंत्र हुआ था. इसमें राइनो नाम के एक अपराधी के उत्थान और पतन की कहानी है.

1990 में सत्ता से उपजे शून्य के बीच अंडरवर्ल्ड का जबरदस्त उभार हुआ था और राइनो को इस दुनिया में सफलता मिली थी. इस अवधि को 'वाइल्ड नाइन्टीज' भी कहा जाता है.

सेंस्तोव ने एजेंसी के एक साक्षात्कार में बताया, 'यूक्रेन के इतिहास की यह संक्षिप्त अवधि थी लेकिन इसने हमारे देश को और हमारे देश के लोगों को बदल दिया. इस फिल्म के जरिए मैं पूरी दुनिया को दिखाना चाहता था, उन बुरे दिनों में हमने जीवन कैसे जिया.'

ये भी पढ़ें: अर्शी खान ने भगवान का किया शुक्रिया, बोलीं- 'मुझे नहीं लगी कोई अंदरूनी चोट'

फिल्मकार का दावा है कि यूक्रेन में 'वाइल्ड नाइन्टीज' पर कोई फिल्म नहीं बनी है और वह उस समय को पर्दे पर उतारना चाहते थे. उन्होंने बताया कि यह फिल्म वास्तविक घटनाक्रम पर आधारित है.

ये भी पढ़ें: प्रियंका चोपड़ा ने पति से तलाक की अफवाहों पर लगाया विराम, वीडियो शेयर कर कसा तंज

(इनपुट-भाषा)

पणजी: यूक्रेन के फिल्मकार ओलेह सेंत्सोव ने कहा कि 'राइनो' बनाने के पीछे उनका लक्ष्य दुनिया को अपने देश के अशांत समय की कहानी बताना था. उन्होंने कहा कि इस फिल्म का मकसद लोगों को यह भी याद दिलाना था कि उन्हें अतीत में हुई गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए.

यह फिल्म अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में दिखाई गई. इसमें यूक्रेन की 1990 की अपराध की दुनिया की कहानी है जब सोवियत संघ के विघटन के बाद देश स्वतंत्र हुआ था. इसमें राइनो नाम के एक अपराधी के उत्थान और पतन की कहानी है.

1990 में सत्ता से उपजे शून्य के बीच अंडरवर्ल्ड का जबरदस्त उभार हुआ था और राइनो को इस दुनिया में सफलता मिली थी. इस अवधि को 'वाइल्ड नाइन्टीज' भी कहा जाता है.

सेंस्तोव ने एजेंसी के एक साक्षात्कार में बताया, 'यूक्रेन के इतिहास की यह संक्षिप्त अवधि थी लेकिन इसने हमारे देश को और हमारे देश के लोगों को बदल दिया. इस फिल्म के जरिए मैं पूरी दुनिया को दिखाना चाहता था, उन बुरे दिनों में हमने जीवन कैसे जिया.'

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फिल्मकार का दावा है कि यूक्रेन में 'वाइल्ड नाइन्टीज' पर कोई फिल्म नहीं बनी है और वह उस समय को पर्दे पर उतारना चाहते थे. उन्होंने बताया कि यह फिल्म वास्तविक घटनाक्रम पर आधारित है.

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(इनपुट-भाषा)

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