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इस निर्देशक का लोहा पूरी दुनिया ने माना......जिनके घर खुद चलकर आया था ऑस्कर अवार्ड!

Happy Birthday Satyajit Ray: देश के बेस्ट डॉयरेक्टरों में से एक सत्यजीत रे के जन्मदिन पर चलिए जानते हैं उनसे जुड़ी कहीं और कुछ अनकही बातें!....

Pic Courtesy: File Photo
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Published : May 2, 2019, 9:38 AM IST

मुंबई : देश के सबसे महान फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के बारे में काफी लोग नहीं जानते होंगे कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत महज एक चित्रकार के तौर पर की थी. सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921को हुआ था. उनकी जन्मतिथि पर हम आपसे उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से शेयर करने जा रहे हैं.

सत्यजीत रे का जन्म कला और साहित्य के जगत कोलकाता में हुआ था. बहुत कम लोग जानते होंगे कि सत्यजीत रे ने करियर की शुरुआत एक चित्रकार के तौर पर की थी. बाद में फ्रांसिसी फिल्म निर्देशक जॉ रन्वार से मिलने और लंदन में इतालवी फिल्म लाद्री दी बिसिक्लेत फिल्म बाइसिकल चोर देखने के बाद फिल्म निर्देशन की ओर उनका रुझान हुआ.

निर्देशन में आने के बाद उन्होंने पीछ मुड़कर नहीं देखा और भारत के सर्वोच्च फिल्म निर्देशक के रूप में सामने आए. सत्यजीत रे की पहली फिल्म 'पथेर पांचाली' थी. इसके बाद सत्यजीत ने फिल्मों की लाइन लगा दी. सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया.

भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था.

सत्यजीत रे की निजी जिंदगी भी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं रही. सत्यजीत रे की पत्नी बिजोया ने अपनी किताब "माणिक एंड आई" में इन अनुभवों को शेयर किया है. 1992 में सत्यजीत रे के निधन तक लिखी गई उनकी निजी डायरी पर आधारित इस किताब को पेंग्विन इंडिया ने प्रकाशित किया है.

बिजोया ने बताया कि कैसे हम दोनों 8 साल तक डेटिंग करते रहे और फिर चुपचाप शादी कर ली. इसके बाद एक योजना बनाकर दोनों परिवारों को राजी किया. उन्होंने बताया कि वह और माणिक बचपन से ही दोस्त थे, लेकिन 1940 के आसपास वह दोनों एक दूसरे के ज्यादा करीब आए.

सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ-साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया. भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था.

इसके करीब एक महीने के भीतर ही 23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. यह चमकता हुआ सितारा आज भी सिनेमा जगत और लोगों के दिलों पर राज करता है.

मुंबई : देश के सबसे महान फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के बारे में काफी लोग नहीं जानते होंगे कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत महज एक चित्रकार के तौर पर की थी. सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921को हुआ था. उनकी जन्मतिथि पर हम आपसे उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से शेयर करने जा रहे हैं.

सत्यजीत रे का जन्म कला और साहित्य के जगत कोलकाता में हुआ था. बहुत कम लोग जानते होंगे कि सत्यजीत रे ने करियर की शुरुआत एक चित्रकार के तौर पर की थी. बाद में फ्रांसिसी फिल्म निर्देशक जॉ रन्वार से मिलने और लंदन में इतालवी फिल्म लाद्री दी बिसिक्लेत फिल्म बाइसिकल चोर देखने के बाद फिल्म निर्देशन की ओर उनका रुझान हुआ.

निर्देशन में आने के बाद उन्होंने पीछ मुड़कर नहीं देखा और भारत के सर्वोच्च फिल्म निर्देशक के रूप में सामने आए. सत्यजीत रे की पहली फिल्म 'पथेर पांचाली' थी. इसके बाद सत्यजीत ने फिल्मों की लाइन लगा दी. सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया.

भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था.

सत्यजीत रे की निजी जिंदगी भी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं रही. सत्यजीत रे की पत्नी बिजोया ने अपनी किताब "माणिक एंड आई" में इन अनुभवों को शेयर किया है. 1992 में सत्यजीत रे के निधन तक लिखी गई उनकी निजी डायरी पर आधारित इस किताब को पेंग्विन इंडिया ने प्रकाशित किया है.

बिजोया ने बताया कि कैसे हम दोनों 8 साल तक डेटिंग करते रहे और फिर चुपचाप शादी कर ली. इसके बाद एक योजना बनाकर दोनों परिवारों को राजी किया. उन्होंने बताया कि वह और माणिक बचपन से ही दोस्त थे, लेकिन 1940 के आसपास वह दोनों एक दूसरे के ज्यादा करीब आए.

सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ-साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया. भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था.

इसके करीब एक महीने के भीतर ही 23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. यह चमकता हुआ सितारा आज भी सिनेमा जगत और लोगों के दिलों पर राज करता है.

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मुंबई : देश के सबसे महान फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे के बारे में काफी लोग नहीं जानते होंगे कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत महज एक चित्रकार के तौर पर की थी. सत्यजीत रे का जन्म 2 मई 1921को हुआ था. उनकी जन्मतिथि पर हम आपसे उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से शेयर करने जा रहे हैं.

सत्यजीत रे का जन्म कला और साहित्य के जगत कोलकाता में हुआ था. बहुत कम लोग जानते होंगे कि सत्यजीत रे ने करियर की शुरुआत एक चित्रकार के तौर पर की थी. बाद में फ्रांसिसी फिल्म निर्देशक जॉ रन्वार से मिलने और लंदन में इतालवी फिल्म लाद्री दी बिसिक्लेत फिल्म बाइसिकल चोर देखने के बाद फिल्म निर्देशन की ओर उनका रुझान हुआ. 

निर्देशन में आने के बाद उन्होंने पीछ मुड़कर नहीं देखा और भारत के सर्वोच्च फिल्म निर्देशक के रूप में सामने आए. सत्यजीत रे की पहली फिल्म 'पथेर पांचाली' थी. इसके बाद सत्यजीत ने फिल्मों की लाइन लगा दी. सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया.

भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था.

सत्यजीत रे की निजी जिंदगी भी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं रही. सत्यजीत रे की पत्नी बिजोया ने अपनी किताब "माणिक एंड आई" में इन अनुभवों को शेयर किया है. 1992 में सत्यजीत रे के निधन तक लिखी गई उनकी निजी डायरी पर आधारित इस किताब को पेंग्विन इंडिया ने प्रकाशित किया है.

बिजोया ने बताया कि कैसे हम दोनों 8 साल तक डेटिंग करते रहे और फिर चुपचाप शादी कर ली. इसके बाद एक योजना बनाकर दोनों परिवारों को राजी किया. उन्होंने बताया कि वह और माणिक बचपन से ही दोस्त थे, लेकिन 1940 के आसपास वह दोनों एक दूसरे के ज्यादा करीब आए.

सत्यजीत को फिल्मों के लिए कई राष्ट्रीय के साथ-साथ 11 अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया. भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने का श्रेय सत्यजीत रे को ही जाता है. फिल्मी जगत के सबसे बेहतरीन निर्देशकों में शुमार रे को 1992 में लाइफटाइम अचीवमेंट की श्रेणी में ऑस्कर से सम्मानित किया गया था. 

इसके करीब एक महीने के भीतर ही 23 अप्रैल 1992 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. यह चमकता हुआ सितारा आज भी सिनेमा जगत और लोगों के दिलों पर राज करता है. 

 


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