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आनंद बख्शी के सुपरहिट गाने: 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर 'परदेसियों से न अंखिया मिलाना'

हिन्दी सिनेमा जगत में अगर यह इंसान ना होते तो शायद कई संगीतकार, गायक और अभिनेता आज इतने प्रसिद्ध ना होते. इनके लिखे गाने गाकर ही किशोर कुमार सरीखे गायकों ने अपनी पहचान बनाई, इन्हीं के गीतों ने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे स्टार को सुपरस्टार बनाया. यह हैं गीतकार आनंद बख्शी.

सुनिए आनंद बख्शी के ये सुपहिट गाने
सुनिए आनंद बख्शी के ये सुपहिट गाने
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Published : Jul 21, 2021, 1:09 PM IST

Updated : Jul 23, 2021, 7:30 AM IST

हैदराबाद : आनंद बख्शी का जन्म 21 जुलाई, 1920 को रावलपिंडी में हुआ. जब वह महज दस साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया था. विभाजन के बाद उनका परिवार 1947 में भारत चला आया. भारत में उनका परिवार लखनऊ आया लेकिन लखनऊ में आनंद जी का मन नहीं लगा और वह घर छोड़ कर मुंबई आ गए. मुंबई पहुंच कर उन्होंने रॉयल इंडियन नेवी में कैडेट के पद पर दो वर्षों तक काम किया. बाद में एक विवाद के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. इसके बाद 1947 से 1956 तक उन्होंने सेना में भी नौकरी की.

हिन्दी सिनेमा जगत में अगर यह इंसान ना होते तो शायद कई संगीतकार, गायक और अभिनेता आज इतने प्रसिद्ध ना होते. इनके लिखे गाने गाकर ही किशोर कुमार सरीखे गायकों ने अपनी पहचान बनाई, इन्हीं के गीतों ने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे स्टार को सुपरस्टार बनाया. यह हैं गीतकार आनंद बख्शी.

यूं तो आनंद बख्शी को गायक बनना था लेकिन उनकी किस्मत ने असली रंग दिखाया गीतकार की भूमिका में. चार दशकों से अधिक समय के अपने कॅरियर में कई सुपरहिट गीत देने वाले हरफनमौला गीतकार आनंद बख्‍शी ने कई सितारों, निर्देशकों और संगीतकारों की किस्मत चमकाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

जिस समय वह सेना में थे उस समय वह हर समय गाना लिखते और उन्हें सुनाया करते थे. उनके दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि वह फिल्मों में अपना भाग्य आजमाएं और उन्होंने वही किया.

आनंद बख्‍शी को पहली बार भगवान दादा ने अपनी फिल्‍म बड़ा आदमी (1956) के लिए गीत लिखने को कहा. लेकिन इससे उन्‍हें सफलता नहीं मिली. 'मेंहदी लगी मेरे हाथ (1962)' और 'जब-जब फूल खिले(1965)' की सफलता मिलने तक उन्‍हें संघर्ष करना पड़ा. इन फिल्‍मों के प्रदर्शन के साथ ही उनको लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई. 'परदेसियों से न अंखिया मिलानाट और 'यह समा है प्यार का' जैसे लाजवाब गीतों ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया.

ये भी पढे़ं : Dial 100 Trailer: रात भर की कहानी में Manoj Bajpayee का दमदार अभिनय, हैरान कर देगा नीना की एक्टिंग

वर्ष 1967 में प्रदर्शित सुनील दत्त और नूतन अभिनीत फिल्म 'मिलन' के गाने सावन का महीना पवन करे शोर.. युग युग तक हम गीत मिलन के गाते रहेंगे. राम करे ऐसा हो जाये.. जैसे सदाबहार गानों के जरिये वह गीतकार के रूप में बहुत ऊंचे उठ गए.

इसके बाद बख्शी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने अपने कैरियर में अमर प्रेम, एक दूजे के लिए, सरगम, बाबी, हरे रामा हरे कृष्णा, शोले, अपनापन, हम, मोहरा, दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, परदेस, ताल और मोहब्बतें जैसी 300 से अधिक फिल्मों में एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत लिखें

हैदराबाद : आनंद बख्शी का जन्म 21 जुलाई, 1920 को रावलपिंडी में हुआ. जब वह महज दस साल के थे तभी उनकी मां का निधन हो गया था. विभाजन के बाद उनका परिवार 1947 में भारत चला आया. भारत में उनका परिवार लखनऊ आया लेकिन लखनऊ में आनंद जी का मन नहीं लगा और वह घर छोड़ कर मुंबई आ गए. मुंबई पहुंच कर उन्होंने रॉयल इंडियन नेवी में कैडेट के पद पर दो वर्षों तक काम किया. बाद में एक विवाद के कारण उन्हें नौकरी छोड़नी पड़ी. इसके बाद 1947 से 1956 तक उन्होंने सेना में भी नौकरी की.

हिन्दी सिनेमा जगत में अगर यह इंसान ना होते तो शायद कई संगीतकार, गायक और अभिनेता आज इतने प्रसिद्ध ना होते. इनके लिखे गाने गाकर ही किशोर कुमार सरीखे गायकों ने अपनी पहचान बनाई, इन्हीं के गीतों ने राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे स्टार को सुपरस्टार बनाया. यह हैं गीतकार आनंद बख्शी.

यूं तो आनंद बख्शी को गायक बनना था लेकिन उनकी किस्मत ने असली रंग दिखाया गीतकार की भूमिका में. चार दशकों से अधिक समय के अपने कॅरियर में कई सुपरहिट गीत देने वाले हरफनमौला गीतकार आनंद बख्‍शी ने कई सितारों, निर्देशकों और संगीतकारों की किस्मत चमकाने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

जिस समय वह सेना में थे उस समय वह हर समय गाना लिखते और उन्हें सुनाया करते थे. उनके दोस्तों ने उन्हें सलाह दी कि वह फिल्मों में अपना भाग्य आजमाएं और उन्होंने वही किया.

आनंद बख्‍शी को पहली बार भगवान दादा ने अपनी फिल्‍म बड़ा आदमी (1956) के लिए गीत लिखने को कहा. लेकिन इससे उन्‍हें सफलता नहीं मिली. 'मेंहदी लगी मेरे हाथ (1962)' और 'जब-जब फूल खिले(1965)' की सफलता मिलने तक उन्‍हें संघर्ष करना पड़ा. इन फिल्‍मों के प्रदर्शन के साथ ही उनको लोकप्रियता मिलनी शुरू हो गई. 'परदेसियों से न अंखिया मिलानाट और 'यह समा है प्यार का' जैसे लाजवाब गीतों ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया.

ये भी पढे़ं : Dial 100 Trailer: रात भर की कहानी में Manoj Bajpayee का दमदार अभिनय, हैरान कर देगा नीना की एक्टिंग

वर्ष 1967 में प्रदर्शित सुनील दत्त और नूतन अभिनीत फिल्म 'मिलन' के गाने सावन का महीना पवन करे शोर.. युग युग तक हम गीत मिलन के गाते रहेंगे. राम करे ऐसा हो जाये.. जैसे सदाबहार गानों के जरिये वह गीतकार के रूप में बहुत ऊंचे उठ गए.

इसके बाद बख्शी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उन्होंने अपने कैरियर में अमर प्रेम, एक दूजे के लिए, सरगम, बाबी, हरे रामा हरे कृष्णा, शोले, अपनापन, हम, मोहरा, दिलवाले दुलहनिया ले जाएंगे, दिल तो पागल है, परदेस, ताल और मोहब्बतें जैसी 300 से अधिक फिल्मों में एक से बढ़कर एक सुपरहिट गीत लिखें

Last Updated : Jul 23, 2021, 7:30 AM IST
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