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जानें कब होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण और क्या होगा असर

2021 का पहला सोलर एक्लिप्स 10 जून को होगा और भारत के कुछ ही हिस्सों में दिखेगा. इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका, यूरोप, रूस, कनाडा आदि में दिखेगा. इस सूर्य ग्रहण से आर्थिक उन्नति बहुत धीरे गति से होते दिखेगी. इतना ही नहीं, सत्ता में रहने वाली सरकार में भी उथल पुथल मचने की पूरी सम्भावना बन सकती है.

साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण, सूर्य ग्रहण 2021
जाने कब होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण
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Published : Jan 11, 2021, 5:22 PM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

नई दिल्ली : एक्सपर्ट्स के अनुसार 2021 का पहला सोलर एक्लिप्स यानी सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को होगा. इसका असर उत्तरी दिशा में ज्यादा दिखेगा. भारत में अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर के कुछ हिस्सों में यह सूर्य ग्रहण दिखेगा.

इस सूर्य ग्रहण का असर इन देशों में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा:-

अमेरिका

यूरोप

एशिया

ग्रीनलैंड

रूस

कनाडा

जाने कब होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण

दिल्ली के एस्ट्रोलॉज पंकज खन्ना ने यह बताया की इस एक्लिप्स का असर कम से कम डेढ़ साल तक रहेगा. यह असर अगस्त 2022 तक रहेगा. इस दौरान आर्थिक उन्नति का विकास भी कम होता नजर आएगा. अगस्त 2022 के बाद, इस सूर्य ग्रहण का बुरा असर घटने लगेगा और यह सिलसिला दिसंबर 2022 तक चलता रहेगा.

पंकज खन्ना का यह भी कहना है की सूर्य ग्रहण के दौरान शनि ग्रह मकर राशि में होगा. इसी कारण, आर्थिक उन्नति धीमी गति से होती नजर आएगी. इस समय शनि ग्रह मजबूत होगा और तकनीकी विकास, तकनीक से जुड़ी खोज आदि को बढ़ावा होगा.

जहां एक तरफ शनि ग्रह के मजबूत होने से तकनीकी में विकास होता दिखेगा, वहीं दूसरी ओर सूर्य कमजोर होगा. इसका नतीजा यह होगा की जो सरकार सत्ता में होगी और उससे जुड़े लोगों के मध्य असुविधाजनक और कष्टप्रदायक माहौल बन सकता है.

सूर्य ग्रहण कैसे होता है

जब चन्द्रमा धरती और सूरज के बीच आ जाता है, तब चांद की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य ग्रहण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

जब चांद सूरज की थोड़ी से रोशनी को रोकता है, तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण (पार्शियल सोलर एक्लिप्स) कहा जाता है.

जब चांद सूरज की पूरी रोशनी रोक लेता है, तब पूरे सूर्यग्रहण (टोटल सोलर एक्लिप्स) की स्थिति बन जाती है.

जब चांद सूरज की रोशनी रोकता है, तब धरती पर चांद की परछाई पड़ती है और फिर सूर्य ग्रहण की स्थिति उत्पन होती है.

धरती के घूमने से, चांद की यह परछाई एक रास्ता बनती है, जिसे पाथ ऑफ टोटैलिटी कहा जाता है.

इन सब से इतना अंधेरा हो जाता है की, पूरे चांद होने पर भी रात लगने लगती है.

कभी-कभी समझ ही नहीं आता की यह सब क्या हो रहा है, इसलिए हम सब कशमकश में पड़ जाते हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी की इससे जानवर भी कंफ्यूज हो जाते हैं. पूरा अन्धकार वैज्ञानिकों के लिए लाभदायक साबित होता है. क्योंकि सूरज के वातावरण को स्टडी करने में आसानी होती है.

4 सूर्य ग्रहण चार किस्म के होते है :-

  • पूर्ण सूर्यग्रहण(टोटल सोलर एक्लिप्सेस)
  • आंशिक सूर्यग्रहण(पार्शियल सोलर एक्लिप्सेस)
  • एन्यूलर सूर्यग्रहण(एन्यूलर सोलर एक्लिप्सेस)
  • हाइब्रिड सूर्यग्रहण(हाइब्रिड सोलर एक्लिप्सेस)

लगभग 28% पूर्ण सूर्यग्रहण होता है, 35% आंशिक सूर्यग्रहण, 32% एन्यूलर सूर्यग्रहण और केवल 5% हाइब्रिड सूर्यग्रहण होता है.

नई दिल्ली : एक्सपर्ट्स के अनुसार 2021 का पहला सोलर एक्लिप्स यानी सूर्य ग्रहण 10 जून 2021 को होगा. इसका असर उत्तरी दिशा में ज्यादा दिखेगा. भारत में अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर के कुछ हिस्सों में यह सूर्य ग्रहण दिखेगा.

इस सूर्य ग्रहण का असर इन देशों में सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा:-

अमेरिका

यूरोप

एशिया

ग्रीनलैंड

रूस

कनाडा

जाने कब होगा साल का पहला सूर्य ग्रहण

दिल्ली के एस्ट्रोलॉज पंकज खन्ना ने यह बताया की इस एक्लिप्स का असर कम से कम डेढ़ साल तक रहेगा. यह असर अगस्त 2022 तक रहेगा. इस दौरान आर्थिक उन्नति का विकास भी कम होता नजर आएगा. अगस्त 2022 के बाद, इस सूर्य ग्रहण का बुरा असर घटने लगेगा और यह सिलसिला दिसंबर 2022 तक चलता रहेगा.

पंकज खन्ना का यह भी कहना है की सूर्य ग्रहण के दौरान शनि ग्रह मकर राशि में होगा. इसी कारण, आर्थिक उन्नति धीमी गति से होती नजर आएगी. इस समय शनि ग्रह मजबूत होगा और तकनीकी विकास, तकनीक से जुड़ी खोज आदि को बढ़ावा होगा.

जहां एक तरफ शनि ग्रह के मजबूत होने से तकनीकी में विकास होता दिखेगा, वहीं दूसरी ओर सूर्य कमजोर होगा. इसका नतीजा यह होगा की जो सरकार सत्ता में होगी और उससे जुड़े लोगों के मध्य असुविधाजनक और कष्टप्रदायक माहौल बन सकता है.

सूर्य ग्रहण कैसे होता है

जब चन्द्रमा धरती और सूरज के बीच आ जाता है, तब चांद की परछाई पृथ्वी पर पड़ती है और सूर्य ग्रहण की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

जब चांद सूरज की थोड़ी से रोशनी को रोकता है, तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण (पार्शियल सोलर एक्लिप्स) कहा जाता है.

जब चांद सूरज की पूरी रोशनी रोक लेता है, तब पूरे सूर्यग्रहण (टोटल सोलर एक्लिप्स) की स्थिति बन जाती है.

जब चांद सूरज की रोशनी रोकता है, तब धरती पर चांद की परछाई पड़ती है और फिर सूर्य ग्रहण की स्थिति उत्पन होती है.

धरती के घूमने से, चांद की यह परछाई एक रास्ता बनती है, जिसे पाथ ऑफ टोटैलिटी कहा जाता है.

इन सब से इतना अंधेरा हो जाता है की, पूरे चांद होने पर भी रात लगने लगती है.

कभी-कभी समझ ही नहीं आता की यह सब क्या हो रहा है, इसलिए हम सब कशमकश में पड़ जाते हैं. आपको यह जानकार हैरानी होगी की इससे जानवर भी कंफ्यूज हो जाते हैं. पूरा अन्धकार वैज्ञानिकों के लिए लाभदायक साबित होता है. क्योंकि सूरज के वातावरण को स्टडी करने में आसानी होती है.

4 सूर्य ग्रहण चार किस्म के होते है :-

  • पूर्ण सूर्यग्रहण(टोटल सोलर एक्लिप्सेस)
  • आंशिक सूर्यग्रहण(पार्शियल सोलर एक्लिप्सेस)
  • एन्यूलर सूर्यग्रहण(एन्यूलर सोलर एक्लिप्सेस)
  • हाइब्रिड सूर्यग्रहण(हाइब्रिड सोलर एक्लिप्सेस)

लगभग 28% पूर्ण सूर्यग्रहण होता है, 35% आंशिक सूर्यग्रहण, 32% एन्यूलर सूर्यग्रहण और केवल 5% हाइब्रिड सूर्यग्रहण होता है.

Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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