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साइबरवॉरफेयर में कैसे इस्तेमाल होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

कर्नल इंदरजीत के अनुसार साइबरस्पेस में वॉर चल रही है, जिसे साइबरवॉरफेयर भी कहा जाता है. यह वर्चुअल युद्ध भी लोगों ने ही बनाया है. यह कहना गलत न होगा की जहां एक ओर टेक्नोलॉजी के बहुत से लाभ हैं, वहीं दूसरी ओर इसके बढ़ते नेगटिव इम्पैक्ट को नाकारा नहीं जा सकता. कर्नल इंदरजीत के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के साथ-साथ, इसे रोकने के लिये भी किया जा रहा है.

Ai, cyberwarfare
साइबरवॉरफेयर में कैसे इस्तेमाल होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
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Published : Dec 20, 2020, 10:22 AM IST

Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST

हैदराबादः आज कल हर इंफॉर्मेशन जैसे अपने बैंक अकाउंट्स, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि जैसे सभी जरूरी डिटेल्स, हम डिजिटली सेव करते है.आपकी यह निजी इंफॉर्मेशन इतने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायी जाती है. नतीजा, इससे इंफॉर्मेशन लीक होने का खतरा बढ़ जाता है.

हैकर्स आपकी इस पर्सनल इंफॉर्मेशन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह साइबरवॉरफेयर का एक प्रकार है. इसे अंजाम कोई भी दे सकता है, चाहे एक व्यक्ति हो या कुछ लोगों का समूह हो, प्राइवेट संस्थाएं हो या पूरा देश.

आप सोच नहीं सकते की रोजाना कितने साइबर अटैक्स होते है. हजारों की तादाद में हैकर्स, कम्प्यूटर्स और कई नेटवर्क्स पर अटैक करके डाटा चुरा लेते है. इस साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानव रहित ड्रोन्स, जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम्स, साइबर-अटैक्स जैसे सभी तरीकों का उपयोग किया जा रहा है. जितनी इंफॉर्मेशन हम डिजिटल प्लेटफॉर्मस पे डालते हैं उतने ही संकट के बादल मंडराने लगते है. क्योंकि हैकर्स हर पल आपके जरूरी डाटा को चुराने में लगे रहते है.

अब यह साइबर अटैक्स किसी व्यक्ति विशेष, बैंक्स, क्रेडिट कार्ड कंपनियों तक सीमित नहीं रह गए हैं. यह अटैक्स सरकारी संस्थाएं, देशों की सुरक्षा प्रणालियों आदि पर भी होने लगे हैं.

कर्नल इंदरजीत के मुताबिक, जब किसी देश में सब कुछ कुशलपूर्वक और शांति से चल रहा हो, तब ऐसे देशों में ही साइबर अटैक्स का खतरा बढ़ जाता है. इन अटैक्स में हैकर्स देश की पावर ग्रिड, वाटर ग्रिड, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और दूसरी जरूरी सेवाओं को निशाना बनाते हैं.

परिणाम स्वरुपः-

  • देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है.
  • बहुत बड़े स्तर पर चीटिंग होती हैं.
  • कई लोगों की जान चली जाती हैं.
  • करोड़ों अरबों रुपये का हेर फेर होता है.

साइबर अटैक्स और साइबर स्पेस में चल रहे युद्ध को एक और नये शब्द के साथ जोड़ा जा रहा हैं - साइबरवॉरफेयर. यह केवल एक शब्द नहीं हैं बल्कि अपने साथ लाया है तबाही. इतना ही नहीं, इस साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिए, हैकर्स कंप्यूटर सिस्टम्स और नेटवर्क को सबोटाज करते हैं. यानि की हैकर्स, कंप्यूटर सिस्टम्स और नेटवर्क को अपने कब्जे में करके, डाटा और अन्य जानकारी को हासिल करके तबाही मचाते हैं. इतना ही नहीं, साइबरवॉरफेयर में हैकर्स अटैक करने से पहले जासूसी कर सारी जानकारी भी प्राप्त कर लेते हैं. इसके पश्चात हैकर्स अटैक करने की प्रक्रिया बनाते हैं और इसे अजाम देने के लिए तरह-तरह के साइबरवेपन्स का प्रयोग किया जाता हैं.

कर्नल इंदरजीत के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के साथ-साथ, इसे रोकने के लिये भी किया जा रहा है.

कुछ क्षेत्रों में साइबर अटैक्स का खतरा ज्यादा होता हैं:-

  • स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएं
  • उत्पादन क्षेत्र
  • वित्तीय सेवाएं
  • सरकारी संस्थाएं
  • शिक्षा(प्राणाली और संस्थाएं आदि)

किस-किस तरह से सरकारी संस्थाओं पर साइबर अटैक्स किये जाते हैं :-

  • डाटा स्क्रैपिंग(आपके कंप्यूटर सिस्टम से एक दूसरा प्रोग्राम सारी जानकारी चुरा लेता हैं)
  • कीस्ट्रोक थेफ्ट(कीबोर्ड की हैकिंग, पासवर्ड और अन्य जरूरी जानकरी की चोरी की जाती हैं)
  • डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक्स(आपकी वेबसाइट और ऑनलाइन सर्विसेज पर इतना ट्रैफिक आ जाता हैं. जिससे आपका सर्वर सही से काम नहीं करता. यहीं से हैं साइबर अटैक की शुरुआत.)
  • वर्म्स एंड ट्रोजन हॉर्सेज(बिना किसी की मदद के वर्म्स एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर जाते है. लेकिन ट्रोजन हॉर्सेज एक रियल एप्लिकेशन की तरह दिखते हैं.यह इतने हानिकारक होते हैं कि आपकी सारी जरूरी जानकारी हैक हो जाती है.)
  • रिमोट पोर्ट स्कैनिंग(ओपन, क्लोज्ड और फिल्टर्ड नेटव्रक पॉइंट्स को स्कैन करके, अटैक करता है)
  • मैलवेयर (एक सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम्स, जो आपके डेटा को नुकसान पहुंचता है.)
  • APT ( बड़े पैमाने पर APTअटैक्स होते हैं. कुछ समय तक, यह पता नहीं चलता है कि यह अटैक हुआ है.)
  • स्पूफिंग(हैकर्स एक नकली पहचान बना कर, साइबर अटैक के समय पैसों की मांग करते है.)
  • पिंग फ्लड्स(नकली रिक्वेस्ट्स के मेल आते हैं. इनका जवाब देने पर आप साइबर अटैक का शिकार बन जाते हैं.)
  • स्मरफिंग( हैकर्स अटैक करके,पैसे का हर फेर करते हैं.)
  • फिशिंग(कई ऐसे इमेल्स, मैसेजेस आते हैं, जो लगता हैं की किसी सही व्यक्ति से आ रहे हैं. हांलाकि ऐसा नहीं होता है. यह आपकी सारी जरूरी जानकरी जैसे की आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स, पासवर्ड आदि लेकर आपको शिकार बना लेते हैं.) फिशिंग के साथ-साथ, इव्जड्रॉपिंग ऑफ ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क्स(तारों की चोरी) को भी हैकर्स अंजाम देते हैं

कर्नल इंदरजीत के अनुसार, हैकर्स बड़े पैमाने पर डेटा चुराते हैं.इस डेटा को लंबे समय तक रखा जाता है. किस लिए रखा जाता है, किन कारणों के लिए रखा जाता है, इसकी सही जानकारी नहीं है.

कर्नल इंदरजीत का यह भी कहना हैं कि फिशिंग अटैक्स बहुत कॉमन हैं. सही जानकारी होना जरुरी है.आंख बंद करके किसी पर भी विश्वास करना सही नहीं होगा.

इनके अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जहां एक तरफ यह सारे साइबर क्राइम होते हैं, वहीं यह साइबर क्राइम को रोकने एक लिए, एक जरूरी हथियार भी बन सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित, चैटबोट का उपयोग करके भी हैकर्स साइबर अटैक को अंजाम देते है. आपकी ब्राउजिंग हस्ट्री, इमेल्स और ट्वीट्स का इस्तेमाल करके, चैटबोट आपको फेक निजी मैसेजेस भेजता है.

साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिए, रुस और चीन सबसे ज्यादा तैयार देशों में से हैं. यह एक चिंता का विषय है. इसका नतीजा यह है कि 30 से अधिक देश, साइबरवॉरफेयर से बचने लिए खुद को तैयार करने में लगे है.

कर्नल इंदरजीत ने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइबर आर्मस की शुरुआत हो चुकी है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ दूसरी इंफॉर्मेशन टेक्नेलॉजिस, जैसे कि, क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि का इस्तेमाल किया जाता है. इसका नतीजा यह होगा कि अटैक और बचाव की नितियों और तरीको में बदलाव आएगा. इतना ही नहीं, साइबर सिक्योरिटी के नये पहलूओं की शुरुआत होगी.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों का गलत इस्तेमाल, किसी भी देश की मिलिट्री व्यवस्था को बिगांड सकता है. इतना ही नहीं, साइबर अटैक का खतरा दूसरी जरुरी व्यवस्थाओं पर बना रहता है जैसे कि, बैंकिंग सिस्टम, हवाई अड्डे पर उन कंप्यूटर पर जिसमें हवाई जहाजों के आने-जाने की रिकॉर्ड रहता है,अस्पताल के रिकार्ड, किसी भी देश के न्यूक्लियर पॉवर रिएक्टर्स, पॉवर ग्रिड, आदि.

एक तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से साइबर अटैक्स को अंजाम दिया जाता है. वहीं दूसरी तरफ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इन अटैक्स से बचने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. यह साइबर अटैक और बचाह की प्रक्रिया, हर समय चलती रहती है.

मैलवेयर द्वारा किए जाने वाले बड़े अटैक्स को पहचानने और इन अटैक्स को रोकने की क्षमता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में है. पारंपरिक टेक्नेलॉजी से इन साइबर अटैक्स को ज्यादातर रोका नहीं जा सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और अन्य ऑटोमेशन(स्वचालित) तरीकें, कई एप्लिकेशन के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जैसे कि पैटर्न अनालिसिस, जो होने वाले साइबर अटैक्स से जुड़ी जानकारी दे सकता है. इस जानकारी को एनालाइज करके, साइबर अटैक्स से बचने के लिए एक सही रणनिति बना सकते हैं.

किसी भी सॉफ्टवेयर की सुरक्षा में कमी होने पर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उसे खोजने में मदद कर सकता है, जैसे जीरो-डे वल्नरबिलिटीज

मशीन लर्निंग, अलग-अलग मैलवेयर की पहचान करने और उन्हें रोकने में सक्षम है, जैसेः- बाइओस मैलवेयर, मास्टर बूट रिकार्ड मैलवेयर, हाइपरवाइजर मैलवेयर और ऐसे मैलवेयर जो मैमोरी में इंजेक्ट(अंदर डाले जा सके) किए जा सकें.

अगर कोई आपके यूजर आईडी, पासवर्ड आदि से लॉगइन करता है, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आपको इसकी जानकारी मिल जाती है.

यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, हैकर्स द्वारा अटैक और इन अटैक्स से बचाव, दोनों ही सूरतों में किया जाएगा.

कर्नल इंदरजीत नें बताया कि साइबर अटैक्स करने और साइबर अटैक्स बचने के लिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नए-नए तरीकों इस्तेमाल किए जाएंगे.

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साइबरवॉरफेयर में कैसे इस्तेमाल होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
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साइबरवॉरफेयर में कैसे इस्तेमाल होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

पढ़ेंः जेब्रोनिक्स ने लॉन्च किए दो वायरलेस ईयरबड्स, जानें फीचर्स

हैदराबादः आज कल हर इंफॉर्मेशन जैसे अपने बैंक अकाउंट्स, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि जैसे सभी जरूरी डिटेल्स, हम डिजिटली सेव करते है.आपकी यह निजी इंफॉर्मेशन इतने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायी जाती है. नतीजा, इससे इंफॉर्मेशन लीक होने का खतरा बढ़ जाता है.

हैकर्स आपकी इस पर्सनल इंफॉर्मेशन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह साइबरवॉरफेयर का एक प्रकार है. इसे अंजाम कोई भी दे सकता है, चाहे एक व्यक्ति हो या कुछ लोगों का समूह हो, प्राइवेट संस्थाएं हो या पूरा देश.

आप सोच नहीं सकते की रोजाना कितने साइबर अटैक्स होते है. हजारों की तादाद में हैकर्स, कम्प्यूटर्स और कई नेटवर्क्स पर अटैक करके डाटा चुरा लेते है. इस साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानव रहित ड्रोन्स, जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम्स, साइबर-अटैक्स जैसे सभी तरीकों का उपयोग किया जा रहा है. जितनी इंफॉर्मेशन हम डिजिटल प्लेटफॉर्मस पे डालते हैं उतने ही संकट के बादल मंडराने लगते है. क्योंकि हैकर्स हर पल आपके जरूरी डाटा को चुराने में लगे रहते है.

अब यह साइबर अटैक्स किसी व्यक्ति विशेष, बैंक्स, क्रेडिट कार्ड कंपनियों तक सीमित नहीं रह गए हैं. यह अटैक्स सरकारी संस्थाएं, देशों की सुरक्षा प्रणालियों आदि पर भी होने लगे हैं.

कर्नल इंदरजीत के मुताबिक, जब किसी देश में सब कुछ कुशलपूर्वक और शांति से चल रहा हो, तब ऐसे देशों में ही साइबर अटैक्स का खतरा बढ़ जाता है. इन अटैक्स में हैकर्स देश की पावर ग्रिड, वाटर ग्रिड, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज और दूसरी जरूरी सेवाओं को निशाना बनाते हैं.

परिणाम स्वरुपः-

  • देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ जाती है.
  • बहुत बड़े स्तर पर चीटिंग होती हैं.
  • कई लोगों की जान चली जाती हैं.
  • करोड़ों अरबों रुपये का हेर फेर होता है.

साइबर अटैक्स और साइबर स्पेस में चल रहे युद्ध को एक और नये शब्द के साथ जोड़ा जा रहा हैं - साइबरवॉरफेयर. यह केवल एक शब्द नहीं हैं बल्कि अपने साथ लाया है तबाही. इतना ही नहीं, इस साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिए, हैकर्स कंप्यूटर सिस्टम्स और नेटवर्क को सबोटाज करते हैं. यानि की हैकर्स, कंप्यूटर सिस्टम्स और नेटवर्क को अपने कब्जे में करके, डाटा और अन्य जानकारी को हासिल करके तबाही मचाते हैं. इतना ही नहीं, साइबरवॉरफेयर में हैकर्स अटैक करने से पहले जासूसी कर सारी जानकारी भी प्राप्त कर लेते हैं. इसके पश्चात हैकर्स अटैक करने की प्रक्रिया बनाते हैं और इसे अजाम देने के लिए तरह-तरह के साइबरवेपन्स का प्रयोग किया जाता हैं.

कर्नल इंदरजीत के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के साथ-साथ, इसे रोकने के लिये भी किया जा रहा है.

कुछ क्षेत्रों में साइबर अटैक्स का खतरा ज्यादा होता हैं:-

  • स्वास्थ्य सम्बन्धी सेवाएं
  • उत्पादन क्षेत्र
  • वित्तीय सेवाएं
  • सरकारी संस्थाएं
  • शिक्षा(प्राणाली और संस्थाएं आदि)

किस-किस तरह से सरकारी संस्थाओं पर साइबर अटैक्स किये जाते हैं :-

  • डाटा स्क्रैपिंग(आपके कंप्यूटर सिस्टम से एक दूसरा प्रोग्राम सारी जानकारी चुरा लेता हैं)
  • कीस्ट्रोक थेफ्ट(कीबोर्ड की हैकिंग, पासवर्ड और अन्य जरूरी जानकरी की चोरी की जाती हैं)
  • डिस्ट्रिब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक्स(आपकी वेबसाइट और ऑनलाइन सर्विसेज पर इतना ट्रैफिक आ जाता हैं. जिससे आपका सर्वर सही से काम नहीं करता. यहीं से हैं साइबर अटैक की शुरुआत.)
  • वर्म्स एंड ट्रोजन हॉर्सेज(बिना किसी की मदद के वर्म्स एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर जाते है. लेकिन ट्रोजन हॉर्सेज एक रियल एप्लिकेशन की तरह दिखते हैं.यह इतने हानिकारक होते हैं कि आपकी सारी जरूरी जानकारी हैक हो जाती है.)
  • रिमोट पोर्ट स्कैनिंग(ओपन, क्लोज्ड और फिल्टर्ड नेटव्रक पॉइंट्स को स्कैन करके, अटैक करता है)
  • मैलवेयर (एक सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम्स, जो आपके डेटा को नुकसान पहुंचता है.)
  • APT ( बड़े पैमाने पर APTअटैक्स होते हैं. कुछ समय तक, यह पता नहीं चलता है कि यह अटैक हुआ है.)
  • स्पूफिंग(हैकर्स एक नकली पहचान बना कर, साइबर अटैक के समय पैसों की मांग करते है.)
  • पिंग फ्लड्स(नकली रिक्वेस्ट्स के मेल आते हैं. इनका जवाब देने पर आप साइबर अटैक का शिकार बन जाते हैं.)
  • स्मरफिंग( हैकर्स अटैक करके,पैसे का हर फेर करते हैं.)
  • फिशिंग(कई ऐसे इमेल्स, मैसेजेस आते हैं, जो लगता हैं की किसी सही व्यक्ति से आ रहे हैं. हांलाकि ऐसा नहीं होता है. यह आपकी सारी जरूरी जानकरी जैसे की आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स, पासवर्ड आदि लेकर आपको शिकार बना लेते हैं.) फिशिंग के साथ-साथ, इव्जड्रॉपिंग ऑफ ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क्स(तारों की चोरी) को भी हैकर्स अंजाम देते हैं

कर्नल इंदरजीत के अनुसार, हैकर्स बड़े पैमाने पर डेटा चुराते हैं.इस डेटा को लंबे समय तक रखा जाता है. किस लिए रखा जाता है, किन कारणों के लिए रखा जाता है, इसकी सही जानकारी नहीं है.

कर्नल इंदरजीत का यह भी कहना हैं कि फिशिंग अटैक्स बहुत कॉमन हैं. सही जानकारी होना जरुरी है.आंख बंद करके किसी पर भी विश्वास करना सही नहीं होगा.

इनके अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जहां एक तरफ यह सारे साइबर क्राइम होते हैं, वहीं यह साइबर क्राइम को रोकने एक लिए, एक जरूरी हथियार भी बन सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित, चैटबोट का उपयोग करके भी हैकर्स साइबर अटैक को अंजाम देते है. आपकी ब्राउजिंग हस्ट्री, इमेल्स और ट्वीट्स का इस्तेमाल करके, चैटबोट आपको फेक निजी मैसेजेस भेजता है.

साइबरवॉरफेयर को अंजाम देने के लिए, रुस और चीन सबसे ज्यादा तैयार देशों में से हैं. यह एक चिंता का विषय है. इसका नतीजा यह है कि 30 से अधिक देश, साइबरवॉरफेयर से बचने लिए खुद को तैयार करने में लगे है.

कर्नल इंदरजीत ने यह भी कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइबर आर्मस की शुरुआत हो चुकी है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ दूसरी इंफॉर्मेशन टेक्नेलॉजिस, जैसे कि, क्लाउड कंप्यूटिंग, बिग डेटा, इंटरनेट ऑफ थिंग्स आदि का इस्तेमाल किया जाता है. इसका नतीजा यह होगा कि अटैक और बचाव की नितियों और तरीको में बदलाव आएगा. इतना ही नहीं, साइबर सिक्योरिटी के नये पहलूओं की शुरुआत होगी.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और अन्य तकनीकों का गलत इस्तेमाल, किसी भी देश की मिलिट्री व्यवस्था को बिगांड सकता है. इतना ही नहीं, साइबर अटैक का खतरा दूसरी जरुरी व्यवस्थाओं पर बना रहता है जैसे कि, बैंकिंग सिस्टम, हवाई अड्डे पर उन कंप्यूटर पर जिसमें हवाई जहाजों के आने-जाने की रिकॉर्ड रहता है,अस्पताल के रिकार्ड, किसी भी देश के न्यूक्लियर पॉवर रिएक्टर्स, पॉवर ग्रिड, आदि.

एक तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से साइबर अटैक्स को अंजाम दिया जाता है. वहीं दूसरी तरफ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इन अटैक्स से बचने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. यह साइबर अटैक और बचाह की प्रक्रिया, हर समय चलती रहती है.

मैलवेयर द्वारा किए जाने वाले बड़े अटैक्स को पहचानने और इन अटैक्स को रोकने की क्षमता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में है. पारंपरिक टेक्नेलॉजी से इन साइबर अटैक्स को ज्यादातर रोका नहीं जा सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और अन्य ऑटोमेशन(स्वचालित) तरीकें, कई एप्लिकेशन के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जैसे कि पैटर्न अनालिसिस, जो होने वाले साइबर अटैक्स से जुड़ी जानकारी दे सकता है. इस जानकारी को एनालाइज करके, साइबर अटैक्स से बचने के लिए एक सही रणनिति बना सकते हैं.

किसी भी सॉफ्टवेयर की सुरक्षा में कमी होने पर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस उसे खोजने में मदद कर सकता है, जैसे जीरो-डे वल्नरबिलिटीज

मशीन लर्निंग, अलग-अलग मैलवेयर की पहचान करने और उन्हें रोकने में सक्षम है, जैसेः- बाइओस मैलवेयर, मास्टर बूट रिकार्ड मैलवेयर, हाइपरवाइजर मैलवेयर और ऐसे मैलवेयर जो मैमोरी में इंजेक्ट(अंदर डाले जा सके) किए जा सकें.

अगर कोई आपके यूजर आईडी, पासवर्ड आदि से लॉगइन करता है, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से आपको इसकी जानकारी मिल जाती है.

यह कहना गलत नहीं होगा कि भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, हैकर्स द्वारा अटैक और इन अटैक्स से बचाव, दोनों ही सूरतों में किया जाएगा.

कर्नल इंदरजीत नें बताया कि साइबर अटैक्स करने और साइबर अटैक्स बचने के लिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नए-नए तरीकों इस्तेमाल किए जाएंगे.

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साइबरवॉरफेयर में कैसे इस्तेमाल होता है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
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Last Updated : Feb 16, 2021, 7:31 PM IST
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