नई दिल्ली: अमेरिका ने सोमालिया में सैकड़ों सैनिकों को पूरी तरह से तैनात करने के अपने फैसले का बचाव किया है. अमेरिका का कहना है कि हिंसक चरमपंथी इस्लामी समूह अल-शबाब व अल-कायदा के बढ़ते खतरे की वजह से ऐसा किया जा रहा है. हालांकि माना जा रहा है कि इसका रणनीतिक कारण अफ्रीका में बढ़ता चीनी प्रभाव भी हो सकता है.
सोमवार को पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन एफ किर्बी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा रक्षा विभाग को सोमालिया में छोटी लेकिन लगातार अमेरिकी सैन्य उपस्थिति रखने के लिए अधिकृत करने के निर्णय की घोषणा की थी. किर्बी ने कहा कि सोमालिया में अल-शबाब के हमले जारी हैं. वे इलाके में हमले करने में सक्षम हैं और हम जानते हैं कि अतीत में उन्होंने कम से कम क्षेत्र के बाहर हमला करने की मंशा और इच्छा व्यक्त की थी. जिसमें अमेरिकी हितों के खिलाफ हमले भी शामिल हैं.
चीन को मान रहे चुनौती: प्रेस कॉन्फ्रेंस में किर्बी ने कहा कि हम चीन को विभाग के लिए नंबर एक पेसिंग चुनौती मानते हैं. इसलिए हम उस पेसिंग चुनौती पर ध्यान केंद्रित करने जा रहे हैं जो कि चीन है. 21 जनवरी 2021 तक अमेरिका ने सोमालिया से लगभग 750 सैनिकों की अपनी उपस्थिति वापस ले ली थी, जिसने अल-शबाब के खिलाफ मोगादिशु की लड़ाई को सुविधाजनक और सहायता प्रदान की थी. सोमालिया में स्थायी आधार पर सैनिकों को भेजने का डेललपमेंट उन रिपोर्टों के बीच हो रहा है, जिसमें चीनी द्वारा जिबूती के बाद सोमालिया में अपना दूसरा सैन्य अड्डा स्थापित करने का लक्ष्य बनाने की जानकारी मिली है.
अब तक क्या हुआ: 18 मार्च को चीन ने सोमालिया को ट्रक, एम्बुलेंस और माइन डिटेक्टरों के अलावा रक्षा सहायता में 5 मिलियन डॉलर का उपहार दिया था. इसके बाद 22 मार्च को चीन के विदेश मंत्री और स्टेट काउंसलर वांग यी के बीच इस्लामाबाद में ओआईसी (इस्लामिक सहयोग संगठन) की बैठक के मौके पर अपने सोमाली समकक्ष अब्दिसैद मुसे अली से मुलाकात की थी. अफ्रीकी देश में अमेरिका की सैन्य उपस्थिति रही है लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा सोमालिया में लगभग 750 अमेरिकी सैनिकों की वापसी के कारण इसे कम कर दिया गया था. हाल के यूएस-सोमाली संबंधों ने अमेरिका और सोमालिया से स्वतंत्रता की मांग करने वाले स्व-घोषित अलग राज्य सोमालीलैंड के प्रतिनिधियों के बीच कथित निकटता सामने आई थी. दिलचस्प बात यह है कि 2020 में सोमालीलैंड ने ताइवान के साथ चीन के आक्रोश के बावजूद राजनयिक संबंध स्थापित किए थे.
बीजिंग से बढ़ती करीबी: हॉर्न ऑफ अफ्रीका का गठन करने वाले देशों में चीन के बढ़ते पैरों के निशान से अमेरिका की चिंता और बढ़ जाएगी. इरिट्रिया और इथोपिया बीजिंग के काफी करीब आ रहे हैं. सोमालिया की भौगोलिक स्थिति, जो एशिया और बाकी दुनिया को जोड़ने वाले जलमार्गों पर जबरदस्त छूट देती है, इसे एक महत्वपूर्ण सहयोगी बनाती है. सोमालिया में सक्रिय अमेरिकी हस्तक्षेप लगभग 30 वर्ष पुराना है. गृहयुद्ध को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के एक मिशन का नेतृत्व करते हुए अमेरिकी सैनिक पहली बार 1992 में सोमालिया में गए थे.
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अक्टूबर 1993 में अमेरिका ने शक्तिशाली सोमाली सरदार जनरल मोहम्मद फराह एडेड के सहयोगियों को पकड़ने के लिए राजधानी मोगादिशू पर कब्जा करने का प्रयास किया था. 2008 तक सोमालिया आतंकवाद पर वैश्विक युद्ध के तहत अमेरिकी सैन्य हस्तक्षेप के लिए एक सक्रिय क्षेत्र था. जो 9/11 के हमलों के बाद शुरू हुआ था. सौजन्य से चीन भी बहुत ही संक्षिप्त मौन के बाद अमेरिका हॉर्न ऑफ अफ्रीका में सक्रिय सैन्य तैनाती की अपनी नीति पर लौट रहा है.