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Pakistan Cops Killed: 2023 की पहली तिमाही में खैबर पख्तूनख्वा में 127 पुलिसकर्मी मारे गए - खैबर पख्तूनख्वा के 127 पुलिसकर्मी मारे गए

पाकिस्तान में आतंकवाद एक बार फिर सिर उठा रहा है. पिछले कुछ महीनों में, देश में कानून और व्यवस्था की स्थिति खासतौर से खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में काफी बिगड़ गई है. आतंकवादी समूहों ने लगभग देश भर में कई हमलों को अंजाम दिया है.

Pakistan Cops Killed
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Apr 5, 2023, 11:23 AM IST

पेशावर (पाकिस्तान) : आतंकवाद पाकिस्तान के लिए भारत के साथ छद्म युद्ध लड़ने का हथियार रहा है. लेकिन अब आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि उसकी बिल्ली उसी से म्याऊं करने लगी है. द न्यूज इंटरनेशनल कि एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में जनवरी से मार्च तक, खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में विभिन्न आतंकी हमलों में 100 से अधिक पुलिस अधिकारियों की मौत हुई है.

पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या 127 है. इनमें 116 अधिकारी सिर्फ जनवरी में मारे गये हैं. फरवरी और मार्च में क्रमश: दो और नौ पुलिस अधिकारियों की मौत आतंकी मुठभेड़ में हुई है. मरने वालों में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) से लेकर निचले स्तर के अधिकारी शामिल हैं. द न्यूज इंटरनेशनल कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की शुरू के तीन महीनों में कम से कम चार डीएसपी मारे गये हैं.

पढ़ें : Imran in Burqa : ये है पाकिस्तान की जेड प्लस सुरक्षा व्यवस्था, बुर्के में इमरान खान !

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस पर ये हमले अधिकतर खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के दक्षिणी जिलों में हुए हैं. सबसे ताजा वारदात दो हफ्ते पहले का बताया जा रहा है. जब लक्की मरवत में एक घात लगा कर किये गये हमले में एक डीएसपी सहित तीन और पुलिस अधिकारी मारे गये थे. इस हमले में एक बख्तरबंद गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल शुरुआती तीन महीनों में ही केपी में मरने वालों की संख्या पिछले कई सालों के रिकॉर्ड को पार कर चुका है.

रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2021 में 59 पुलिस कर्मियों की मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी. इससे पहले के साल-दर-साल के हिसाब से देखें तो 2020 में 28, 2019 में 38, 2018 में 30 और 2017 में 36 पुलिस कर्मियों की मौत ड्यूटी के दौरान हुई थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में पुलिस चौंकियों पर सीधे हमले की घटनाओं में इजाफा हुआ है. अब आतंकी ग्रेनेड और भारी हथियारों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

पढ़ें : Pakistan Crisis : करेंसी डीलरों ने पाक को दी 24 अरब डॉलर कर्ज की पेशकश, ये है वजह

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ वार्ता टूटने के बाद आतंकवादी समूह ने अपने हमलों को तेज कर दिया है. खासतौर से केपी और अफगानिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है. बलूचिस्तान में विद्रोहियों की प्रतिबंधित टीटीपी के साथ सांठगांठ की खबरें भी आ रही हैं.

संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस चौकियों और स्टेशनों में बल की संख्या बढ़ाई जा रही है. भारी हथियार और रात में पेट्रोलिंग के लिए इमेजिंग स्कोप मुहैया कराये जा रहे हैं. पुलिस स्टेशनों की इमारतों पर होने वाले हमलों के असर को कम करने के लिए उन्हें विशेष रूप से संरक्षित किया जा रहा है.
अख्तर हयात खान, पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), केपी


(एएनआई)

पढ़ें : Pak Economic Crisis : रमजान में राहत की उम्मीद नहीं, IMF के साथ समझौते में देरी से गहरा रहा आर्थिक संकट

पेशावर (पाकिस्तान) : आतंकवाद पाकिस्तान के लिए भारत के साथ छद्म युद्ध लड़ने का हथियार रहा है. लेकिन अब आंकड़ों को देखकर ऐसा लगता है कि उसकी बिल्ली उसी से म्याऊं करने लगी है. द न्यूज इंटरनेशनल कि एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में जनवरी से मार्च तक, खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में विभिन्न आतंकी हमलों में 100 से अधिक पुलिस अधिकारियों की मौत हुई है.

पुलिस के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या 127 है. इनमें 116 अधिकारी सिर्फ जनवरी में मारे गये हैं. फरवरी और मार्च में क्रमश: दो और नौ पुलिस अधिकारियों की मौत आतंकी मुठभेड़ में हुई है. मरने वालों में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) से लेकर निचले स्तर के अधिकारी शामिल हैं. द न्यूज इंटरनेशनल कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 की शुरू के तीन महीनों में कम से कम चार डीएसपी मारे गये हैं.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस पर ये हमले अधिकतर खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के दक्षिणी जिलों में हुए हैं. सबसे ताजा वारदात दो हफ्ते पहले का बताया जा रहा है. जब लक्की मरवत में एक घात लगा कर किये गये हमले में एक डीएसपी सहित तीन और पुलिस अधिकारी मारे गये थे. इस हमले में एक बख्तरबंद गाड़ी भी क्षतिग्रस्त हो गई थी. रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल शुरुआती तीन महीनों में ही केपी में मरने वालों की संख्या पिछले कई सालों के रिकॉर्ड को पार कर चुका है.

रिपोर्ट में कहा गया कि साल 2021 में 59 पुलिस कर्मियों की मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी. इससे पहले के साल-दर-साल के हिसाब से देखें तो 2020 में 28, 2019 में 38, 2018 में 30 और 2017 में 36 पुलिस कर्मियों की मौत ड्यूटी के दौरान हुई थी. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में पुलिस चौंकियों पर सीधे हमले की घटनाओं में इजाफा हुआ है. अब आतंकी ग्रेनेड और भारी हथियारों का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.

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डॉन की रिपोर्ट के अनुसार नवंबर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ वार्ता टूटने के बाद आतंकवादी समूह ने अपने हमलों को तेज कर दिया है. खासतौर से केपी और अफगानिस्तान की सीमा से लगे इलाकों में पुलिस को निशाना बनाया जा रहा है. बलूचिस्तान में विद्रोहियों की प्रतिबंधित टीटीपी के साथ सांठगांठ की खबरें भी आ रही हैं.

संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस चौकियों और स्टेशनों में बल की संख्या बढ़ाई जा रही है. भारी हथियार और रात में पेट्रोलिंग के लिए इमेजिंग स्कोप मुहैया कराये जा रहे हैं. पुलिस स्टेशनों की इमारतों पर होने वाले हमलों के असर को कम करने के लिए उन्हें विशेष रूप से संरक्षित किया जा रहा है.
अख्तर हयात खान, पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी), केपी


(एएनआई)

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