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भारत डिजिटल क्रांति में अग्रणी, उसकी वित्तीय समावेशन यात्रा दूसरों के लिए मिसाल : संरा अधिकारी

संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा है कि भारत डिजिटल क्रांति में अग्रणी है. इसके अलावा वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने की भारत की यात्री अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल साबित हो सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

संयुक्त राष्ट्र
United Nations
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Published : May 5, 2023, 6:27 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : भारत डिजिटल क्रांति में अग्रणी है और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने की उसकी यात्रा अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल साबित हो सकती है. संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों ने यह बात कही. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज (UN Ambassador Ruchira Kamboj) ने गुरुवार को 'वित्तीय समावेशन पर भारत की गोलमेज चर्चा' में कहा कि भारत वित्तीय समावेशन को गंभीरता से लेता है और इससे लोगों का सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है.

उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने की भारत की यात्रा अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल साबित हो सकती है.' संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा आयोजित इस चर्चा का मकसद सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में वित्तीय समावेशन की भूमिका की अहमियत दर्शाना था. इस चर्चा में संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी, राजदूत, राजनयिक और विश्लेषक शामिल हुए.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने चर्चा में दिए मुख्य संबोधन में कहा कि भारत ने वित्तीय समावेशन के विचार को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई है. पूर्व में भारत के जी20 शेरपा रह चुके पनगढ़िया ने कहा, 'वित्तीय समावेशन, आर्थिक समावेशन और विकास-ये सभी साथ-साथ चलते हैं, और बदले में स्वास्थ्य और एसडीजी जैसी चीजों को भी प्रभावित करते हैं. ये सभी बहुत ही अंतर-संबंधित और परस्पर जुड़े हुए तत्व हैं तथा भारत आज अपने अनुभव के बलबूते अन्य विकासशील देशों को बहुत कुछ दे सकता है.'

वहीं, कंबोज ने कहा कि दुनिया एजेंडा-2030 और एसडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आधे रास्ते में है. उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से, अभी तक का रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं है. एसडीजी प्रगति रिपोर्ट दर्शाती है कि सतत विकास लक्ष्य के तहत निर्धारित महज 12 फीसदी लक्ष्य ट्रैक पर हैं। 50 फीसदी लक्ष्यों पर प्रगति बहुत धीमी और अपर्याप्त है.' कंबोज ने दावा किया कि इसे देखते हुए वित्तीय समावेशन की अहमियत बढ़ जाती है और यह समावेशी विकास और समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा, 'अगर हमें एजेंडा-2030 और एसडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करना है, तो वित्तीय समावेशन अपरिहार्य है. वित्तीय समावेशन लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है और सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने के लिए अनिवार्य है.' चर्चा में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की अवर महासचिव और सहायक प्रशासक उषा राव-मोनारी ने कहा कि वह भारत की कहानी से बहुत प्रोत्साहित हैं.

उन्होंने कहा, 'जब आप भारत की बात कर रहे हैं, तो मैं गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि भारत डिजिटल क्रांति का नेतृत्व कर रहा है. सीधे शब्दों में कहें, तो दुनिया में रियल टाइम में होने वाले लगभग 40 प्रतिशत डिजिटल भुगतान भारत में होते हैं.'

ये भी पढ़ें - सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के कश्मीर राग पर भारत ने कहा: ये बेकार टिप्पणियां हैं

(पीटीआई-भाषा)

संयुक्त राष्ट्र : भारत डिजिटल क्रांति में अग्रणी है और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने की उसकी यात्रा अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल साबित हो सकती है. संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों और अर्थशास्त्रियों ने यह बात कही. संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज (UN Ambassador Ruchira Kamboj) ने गुरुवार को 'वित्तीय समावेशन पर भारत की गोलमेज चर्चा' में कहा कि भारत वित्तीय समावेशन को गंभीरता से लेता है और इससे लोगों का सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण हुआ है.

उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने की भारत की यात्रा अन्य विकासशील देशों के लिए मिसाल साबित हो सकती है.' संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई मिशन द्वारा आयोजित इस चर्चा का मकसद सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की प्राप्ति में वित्तीय समावेशन की भूमिका की अहमियत दर्शाना था. इस चर्चा में संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी, राजदूत, राजनयिक और विश्लेषक शामिल हुए.

कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने चर्चा में दिए मुख्य संबोधन में कहा कि भारत ने वित्तीय समावेशन के विचार को आकार देने में अग्रणी भूमिका निभाई है. पूर्व में भारत के जी20 शेरपा रह चुके पनगढ़िया ने कहा, 'वित्तीय समावेशन, आर्थिक समावेशन और विकास-ये सभी साथ-साथ चलते हैं, और बदले में स्वास्थ्य और एसडीजी जैसी चीजों को भी प्रभावित करते हैं. ये सभी बहुत ही अंतर-संबंधित और परस्पर जुड़े हुए तत्व हैं तथा भारत आज अपने अनुभव के बलबूते अन्य विकासशील देशों को बहुत कुछ दे सकता है.'

वहीं, कंबोज ने कहा कि दुनिया एजेंडा-2030 और एसडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में आधे रास्ते में है. उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्य से, अभी तक का रिपोर्ट कार्ड अच्छा नहीं है. एसडीजी प्रगति रिपोर्ट दर्शाती है कि सतत विकास लक्ष्य के तहत निर्धारित महज 12 फीसदी लक्ष्य ट्रैक पर हैं। 50 फीसदी लक्ष्यों पर प्रगति बहुत धीमी और अपर्याप्त है.' कंबोज ने दावा किया कि इसे देखते हुए वित्तीय समावेशन की अहमियत बढ़ जाती है और यह समावेशी विकास और समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

उन्होंने कहा, 'अगर हमें एजेंडा-2030 और एसडीजी के तहत निर्धारित लक्ष्यों को हासिल करना है, तो वित्तीय समावेशन अपरिहार्य है. वित्तीय समावेशन लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक है और सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने के लिए अनिवार्य है.' चर्चा में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की अवर महासचिव और सहायक प्रशासक उषा राव-मोनारी ने कहा कि वह भारत की कहानी से बहुत प्रोत्साहित हैं.

उन्होंने कहा, 'जब आप भारत की बात कर रहे हैं, तो मैं गर्व के साथ कहना चाहती हूं कि भारत डिजिटल क्रांति का नेतृत्व कर रहा है. सीधे शब्दों में कहें, तो दुनिया में रियल टाइम में होने वाले लगभग 40 प्रतिशत डिजिटल भुगतान भारत में होते हैं.'

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(पीटीआई-भाषा)

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