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सामूहिक रोग प्रतिरोधक शक्ति के लिए प्रभावी टीके की आवश्यकता

डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा हमें सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए. वैश्विक आबादी के रूप में अभी हम उस स्थिति के कहीं आस-पास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है. पढ़ें पूरी खबर...

डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान
डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान
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Published : Aug 18, 2020, 9:46 PM IST

लंदनः विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि विश्व अभी कहीं भी कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने जैसी स्थिति में नहीं है.

सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हार्ड इम्यूनिटी) विशेष तौर पर टीकाकरण के माध्यम से हासिल की जाती है और अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी में घातक विषाणु को शिकस्त देने वाली एंटीबॉडीज होनी चाहिए.

लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधी आबादी में भी कोरोना वायरस से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता हो तो एक रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है.

डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा हमें सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वैश्विक आबादी के रूप में अभी हम उस स्थिति के कहीं आस-पास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है. यह कोई समाधान नहीं है और न ही यह ऐसा कोई समाधान है जिसकी तरफ हमें देखना चाहिए. आज तक हुए अधिकतर अध्ययनों में यही बात सामने आई है कि केवल 10 से 20 प्रतिशत आबादी में ही संबंधित एंटीबॉडीज हैं.

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस एलवार्ड ने कहा कि किसी कोविड-19 टीके के साथ व्यापक टीकाकरण का उद्देश्य विश्व की 50 प्रतिशत से काफी अधिक आबादी को इसके दायरे में लाने का होगा.

यह भी पढ़ें - कोरोना : देश में बन रहीं तीन वैक्सीन, एक का परीक्षण तीसरे चरण में

लंदनः विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि विश्व अभी कहीं भी कोरोना वायरस के खिलाफ सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने जैसी स्थिति में नहीं है.

सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता (हार्ड इम्यूनिटी) विशेष तौर पर टीकाकरण के माध्यम से हासिल की जाती है और अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि वायरस के प्रसार को रोकने के लिए कम से कम 70 प्रतिशत आबादी में घातक विषाणु को शिकस्त देने वाली एंटीबॉडीज होनी चाहिए.

लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आधी आबादी में भी कोरोना वायरस से लड़ने वाली रोग प्रतिरोधक क्षमता हो तो एक रक्षात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकता है.

डब्ल्यूएचओ के आपातकालीन मामलों के प्रमुख डॉक्टर माइकल रेयान ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस सिद्धांत को खारिज करते हुए कहा हमें सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता हासिल करने की उम्मीद में नहीं रहना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वैश्विक आबादी के रूप में अभी हम उस स्थिति के कहीं आस-पास भी नहीं हैं जो वायरस के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है. यह कोई समाधान नहीं है और न ही यह ऐसा कोई समाधान है जिसकी तरफ हमें देखना चाहिए. आज तक हुए अधिकतर अध्ययनों में यही बात सामने आई है कि केवल 10 से 20 प्रतिशत आबादी में ही संबंधित एंटीबॉडीज हैं.

डब्ल्यूएचओ महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. ब्रूस एलवार्ड ने कहा कि किसी कोविड-19 टीके के साथ व्यापक टीकाकरण का उद्देश्य विश्व की 50 प्रतिशत से काफी अधिक आबादी को इसके दायरे में लाने का होगा.

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