जिनेवा : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख ने संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी का वित्तपोषण रोके जाने के अमेरिका के फैसले पर खेद जताया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस महामारी से निबटने में डब्ल्यूएचओ के प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी. हालांकि उन्होंने कथित कुप्रबंधन, कुछ गतिविधियों पर पर्दा डालने और गलत कदम उठाने के बारे में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शिकायतों को नजरंदाज कर दिया.
ट्रंप के वित्तपोषण रोकने की घोषणा के बाद डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस ए. गेब्रेयेसस ने एजेंसी का बचाव किया. ट्रंप ने दावा किया था कि डब्ल्यूएचओ चीन से विषाणु के नमूने हासिल करने में नाकाम रहा और उसने इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों का विरोध करने का 'विनाशकारी फैसला' किया.
दुनियाभर के देशों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ट्रंप के कदम पर चिंता जताई और आगाह किया कि इससे कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के खिलाफ प्रयास कमजोर हो सकते हैं. बिल गेट्स और माइकल ब्लूमबर्ग जैसे परोपकारियों ने यूरोपीय और अफ्रीकी नेताओं तथा स्वास्थ्य विशेषज्ञों के साथ सुर में सुर मिलाते हुए डब्लयूएचओ का पक्ष लिया और जोर दिया कि अमेरिका को संकट के समय में वित्तपोषण रोकना नहीं चाहिए.
टेड्रोस ने कहा कि इस महामारी से निबटने में डब्ल्यूएचओ के प्रदर्शन की समीक्षा की जाएगी, जो पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने की 'सामान्य प्रक्रिया' है.
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उन्होंने कहा, 'हम विश्व स्वास्थ्य संगठन का वित्तपोषण रोकने के अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर खेद जताते हैं. डब्ल्यूएचओ अमेरिकी वित्तपोषण वापस लेने के कारण हमारे काम पर पड़ने वाले असर की समीक्षा कर रहा है और हम किसी भी वित्तीय कमी को पूरा करने के लिए अपने साझेदारों के साथ काम करेंगे.'
उन्होंने कहा, 'अभी के लिए हमारा ध्यान विषाणु को रोकने और जिंदगियों को बचाने पर है.'
अमेरिका ने अप्रैल तक कोरोना वायरस से निबटने में मदद के लिए डब्यूएचओ द्वारा गठित आपात निधि में कम से कम 1.5 करोड़ डॉलर का शुरुआती योगदान दिया है.