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भारत के साथ बेहतर संबंधों की दौड़ में पिछड़ रहा है ब्रिटेन : ब्रिटिश संसदीय रिपोर्ट

ब्रिटिश संसद में ब्रिटेन-भारत सप्ताह 2019 की शुरुआत से पहले एक रिपोर्ट जारी की गई है. इस रिपोर्ट में दोनों देशों के संबंधों को लेकर ब्रिटेन को चेताया गया है. पढ़ें ब्रिटेन संसदीय जांच रिपोर्ट में क्या कहा गया.....

महारानी एलिजाबेथ और पीएम मोदी
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Published : Jun 24, 2019, 10:45 PM IST

लंदन: ब्रिटेन की संसद में भारत से संबंधों को लेकर एक जांच रिपोर्ट जारी की है. ब्रिटिश संसदीय जांच रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत और प्रभाव के मुताबिक अपनी रणनीतियों में बदलाव करने में असफल रहा है. संसदीय जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन भारत के साथ बेहतर संबंधों की दौड़ में पिछड़ रहा है.

ब्रिटेन-भारत सप्ताह 2019 की शुरुआत से पहले ब्रिटिश संसद में पहले 'भारत दिवस' के अवसर पर 'बिल्डिंग ब्रिजेज : रीअवेकनिंग यूके-इंडिया टाइज' नाम से यह रिपोर्ट आयी है. दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से बेहतर बनाने का मायने रखने वाली इस रिपोर्ट में भारतीय पर्यटकों, छात्रों और पेशेवरों के लिए बेहतर वीजा और आव्रजन नीति बनाकर संबंधों में सुधार लाने को कहा गया है. रिपोर्ट में ब्रिटेन पर आरोप लगाया गया है कि वह द्विपक्षीय संबंधों के अवसर गंवा रहा है.

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऊभरते भारत के साथ बेहतर संबंधों की वैश्विक दौड़ में ब्रिटेन पिछड़ रहा है... भारत के साथ ब्रिटिश संबंधों की हालिया कहानी गंवाए गए अवसर की गाथा है.'

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पीएम मोदी और ब्रिटेन की महारानी

उसमें कहा गया है, 'भारत के साथ संबंधों में बेहतरी के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, खास तौर से उसे भारतीयों के लिए ब्रिटेन की यात्रा, यहां काम करना और पढ़ाई करना आसान बनाना होगा.'

वीजा के मामले में, रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जैस गैर-लोकतांत्रिक देश के मुकाबले भारत को ज्यादा कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है.

पढ़ें-बर्मिंघम में पाक के अत्याचारों पर चर्चा के लिए कश्मीरी नेताओं ने की बैठक

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी आव्रजन नीतियों के पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता है जिनके कारण भारतीय छात्रों और पर्यटकों का आकर्षण देश के प्रति खत्म हो रहा है. छात्र और पर्यटक ना सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं बल्कि उनके जरिए दीर्घकालीक द्विपक्षीय संबंध भी विकसित होते हैं.

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ब्रिटेन की महारानी से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी.

संसदीय रिपोर्ट में हालांकि यह माना गया है कि सभी लिहाज से ब्रिटेन इस द्विपक्षीय संबंध से लाभ लेने की स्थिति में है लेकिन उसने चेतावनी भी दी है कि दोनों देशों अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि नयी दिल्ली को सही संदेश नहीं पहुंच रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ने की तैयारियां कर रहा है, अब संबंधों में सुधार का वक्त आ गया है. हम आधुनिक साझेदारी के लिए ऐतिहासिक संबंधों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

लंदन: ब्रिटेन की संसद में भारत से संबंधों को लेकर एक जांच रिपोर्ट जारी की है. ब्रिटिश संसदीय जांच रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत और प्रभाव के मुताबिक अपनी रणनीतियों में बदलाव करने में असफल रहा है. संसदीय जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन भारत के साथ बेहतर संबंधों की दौड़ में पिछड़ रहा है.

ब्रिटेन-भारत सप्ताह 2019 की शुरुआत से पहले ब्रिटिश संसद में पहले 'भारत दिवस' के अवसर पर 'बिल्डिंग ब्रिजेज : रीअवेकनिंग यूके-इंडिया टाइज' नाम से यह रिपोर्ट आयी है. दोनों देशों के बीच संबंधों को फिर से बेहतर बनाने का मायने रखने वाली इस रिपोर्ट में भारतीय पर्यटकों, छात्रों और पेशेवरों के लिए बेहतर वीजा और आव्रजन नीति बनाकर संबंधों में सुधार लाने को कहा गया है. रिपोर्ट में ब्रिटेन पर आरोप लगाया गया है कि वह द्विपक्षीय संबंधों के अवसर गंवा रहा है.

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऊभरते भारत के साथ बेहतर संबंधों की वैश्विक दौड़ में ब्रिटेन पिछड़ रहा है... भारत के साथ ब्रिटिश संबंधों की हालिया कहानी गंवाए गए अवसर की गाथा है.'

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पीएम मोदी और ब्रिटेन की महारानी

उसमें कहा गया है, 'भारत के साथ संबंधों में बेहतरी के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने होंगे, खास तौर से उसे भारतीयों के लिए ब्रिटेन की यात्रा, यहां काम करना और पढ़ाई करना आसान बनाना होगा.'

वीजा के मामले में, रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जैस गैर-लोकतांत्रिक देश के मुकाबले भारत को ज्यादा कड़े नियमों का पालन करना पड़ता है.

पढ़ें-बर्मिंघम में पाक के अत्याचारों पर चर्चा के लिए कश्मीरी नेताओं ने की बैठक

संसदीय रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी आव्रजन नीतियों के पक्ष में कोई तर्क नहीं दिया जा सकता है जिनके कारण भारतीय छात्रों और पर्यटकों का आकर्षण देश के प्रति खत्म हो रहा है. छात्र और पर्यटक ना सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं बल्कि उनके जरिए दीर्घकालीक द्विपक्षीय संबंध भी विकसित होते हैं.

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ब्रिटेन की महारानी से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी.

संसदीय रिपोर्ट में हालांकि यह माना गया है कि सभी लिहाज से ब्रिटेन इस द्विपक्षीय संबंध से लाभ लेने की स्थिति में है लेकिन उसने चेतावनी भी दी है कि दोनों देशों अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग इसलिए नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि नयी दिल्ली को सही संदेश नहीं पहुंच रहा है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे में जब ब्रिटेन यूरोपीय संघ छोड़ने की तैयारियां कर रहा है, अब संबंधों में सुधार का वक्त आ गया है. हम आधुनिक साझेदारी के लिए ऐतिहासिक संबंधों पर भरोसा नहीं कर सकते हैं.

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PRI GEN INT
.LONDON FGN18
UK-INDIA-LD REPORT
UK falling behind in race to engage with India, warns UK Parliament inquiry
By Aditi Khanna
(Eds: Adding more quotes)
         London, Jun 24 (PTI) The UK is falling behind in the global race to engage with India because it has failed to adjust its strategy to fit India's enhanced influence and power on the world stage, a new UK parliamentary inquiry report concluded on Monday.
         'Building Bridges: Reawakening UK-India ties', released to coincide with the first-ever India Day in the Houses of Parliament to mark the launch of UK-India Week 2019, called for a reset of ties through better visa and immigration policies for Indian tourists, students and professionals as it accuses the UK government of missed opportunities in the bilateral relationship.
         "The UK is falling behind in the global race to engage with a rising India...The story of the UK's recent relationship with India is primarily one of missed opportunities," the report said.
         "There are certain practical steps the government must take to reset its relationship with India, in particular making it easier for Indians to visit the UK and to work or study here," it noted.
         On the issue of visas, it expressed concern that India seems to face tougher norms than a non-democratic country like China.
         "There is no excuse for the migration policies that have led the UK to lose ground in attracting Indian students and tourists who not only contribute to our economy but build lasting bilateral ties.
         "The FCO (Foreign and Commonwealth Office) should ensure that the goal of improving the overall relationship with India is woven into the broader government migration policy.
          "Something has gone wrong, if it is more difficult for citizens of a strategically important democracy that shares our values, language and history to visit or study in the UK than those of an autocracy such as China," the report said.
         While the inquiry acknowledged that in all fundamental respects the UK is well placed to capitalise on a mutually beneficial relationship with India, it warned that the relationship between the two democracies is not fulfilling its potential because the right message is not going out to New Delhi.
         "As the UK prepares to leave the EU, it is time to reset this relationship. We cannot afford to be complacent or rely on historical connections to deliver a modern partnership," it said.
         The report followed the year-long "Global Britain and India" inquiry, launched by the House of Commons' cross-party Foreign Affairs Committee (FAC) in July last year to explore the India-UK relationship in the context of Britain's impending exit from the European Union (EU).
         Through a series of oral and written submissions from a diverse range of organisations and individuals working within the UK-India corridor, the influential parliamentary committee concluded that the UK must prioritise talks with India and do more to lay the groundwork for an eventual free trade agreement.
         The Indian Ocean is identified as a vital arena for closer defence and security cooperation between the two countries.
         "The FCO should take care to ensure that stronger economic ties with China are not at the expense of a deeper partnership with India," it warned.
         Tom Tugendhat, Conservative Party MP and Chair of the FAC, raised the issue of the UK government's failure to formally apologise for the Jallianwala Bagh massacre during the British Raj in time for its 100th anniversary in April this year as an "important symbolic opportunity" which was missed.
         He said: "As new powers challenge the structure of global trade and dispute resolution, we cannot miss the opportunity to partner with India. Trade, security, a shared commitment to the rules-based international system these are all factors in our growing and evolving partnership.
         "The government needs to make sure the UK is making its support for India clear, reawakening the ties between us and building bridges that are made to last."
         Asked to choose between Boris Johnson or Jeremy Hunt, the two prime ministerial contenders battling it out to replace UK Prime Minister Theresa May, as the ideal candidate to implement the findings of the report, Tugendhat said, "Both of them can, having both been foreign secretaries and interacted with India closely. We need somebody who is able sit down with Prime Minister Modi and build a proper strategic relationship."
         Lord Jitesh Gadhia, the Indian-origin peer in the House of Lords who has clashed with Lord Norman Tebbit over the so-called cricket test of loyalty for the Indian diaspora in the UK, welcomed the "candid" report.
         "This report proves that we have moved on from the Tebbit test to the Tugendhat test. While the previous test set in the 1990s was about proving your loyalty, this is rightly about maximising the potential of multiple identities," said Gadhia, behind India Day in the Houses of Parliament.
         The report's findings are expected to feature heavily during the course of UK-India Week, organised by the UK-based media house, India Inc, which includes a high-profile Leaders' Summit in Buckinghamshire, south-east England.
         "UK-India Week 2019 will no doubt deliberate upon many of the issues flagged by this comprehensive inquiry, not least the need for Britain to prioritise talks with India across sectors and issues, and effectively press the reset button to unleash a truly winning partnership," said Manoj Ladwa, the organiser of UK-India Week.
         "Recent figures of Indian companies increasing investments in the UK and creating many thousands of new jobs, demonstrates loud and clear, that Brexit or no Brexit, India backs Britain. It is now for the UK to raise its game," he said. PTI AK
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