मॉस्को : रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवेलनी को प्रोबेशन के शर्तों के उल्लंघन का दोषी करार देते हुए मास्को की एक अदालत ने उन्हें जेल में रखने का आदेश दिया है. नवेलनी को ढाई साल से अधिक की जेल की सजा सुनाई गई है.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आलोचक नवेलनी (44) को जर्मनी से लौटने पर 17 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था. नर्व एजेंट (जहर) के हमले के बाद वह जर्मनी में पांच महीने से उपचार करा रहे थे.
उन्होंने अपने ऊपर हुए नर्व एजेंट से हमले के लिए रूस की सरकार को दोषी बताया था. हालांकि, रूस की सरकार ने उनके आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि जहर दिए जाने के सबूत नहीं मिले.
इससे पहले नवेलनी ने अपने खिलाफ मास्को की अदालत में चल रही सुनवाई की आलोचना की. उन्होंने कहा कि सरकार लाखों लोगों को डराने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है. वहीं, अभियोजन ने अदालत से नवेलनी को नियमों के उल्लंघन के लिए जेल की सजा देने का अनुरोध किया था.
अदालत में नवेलनी ने अपनी गिरफ्तारी के पीछे पुतिन के डर और घृणा को वजह बताते हुए कहा कि रूस के नेता को इतिहास जहर देने के वाले के तौर पर जानेगा. उन्होंने अदालत में कहा, लक्ष्य लोगों को डराने का है. वे एक आदमी को जेल में डालकर लाखों लोगों को डराना चाहते हैं.
रूस के अभियोजन ने आरोप लगाया है कि नवेलनी ने 2014 में धन शोधन में दोषसिद्धि के तहत साढे तीन साल की अपनी निलंबित सजा की शर्तों का उल्लंघन किया. हालांकि, नवेलनी ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया. अभियोजन ने सिमोनोवस्की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से उन्हें सजा देने का अनुरोध किया.
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नवेलनी ने कहा कि मानवाधिकारों के लिए यूरोप की अदालत ने व्यवस्था दी थी कि 2014 में उनकी दोषसिद्धि गैर कानूनी थी और रूस उन्हें मुआवजे का भुगतान करे.
नवेलनी और उनके वकीलों ने कहा कि चूंकि वह जर्मनी में उपचार करा रहे थे इसलिए निजी तौर पर रूसी अधिकारियों के सामने रिपोर्ट नहीं कर पाए. नवेलनी ने मंगलवार को हुई सुनवाई में कहा, उपचार पूरा होने के बाद मैं वापस मॉस्को आ गया. मैं और क्या कर सकता था?
नवेलनी को जेल भेजे जाने के बाद पिछले दो सप्ताहांत पर समूचे रूस में व्यापक प्रदर्शन हुआ और पुतिन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए लोगों ने नवेलनी को रिहा किए जाने की मांग की.
पुलिस ने रविवार को मॉस्को में 1900 से ज्यादा लोगों सहित देश भर से कुल 5750 लोगों को हिरासत में लिया. ज्यादातर लोगों को अदालती समन सौंपे जाने के बाद रिहा कर दिया गया.