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वैज्ञानिकों ने वुहान प्रयोगशाला से कोविड-19 वायरस के बाहर आने की धारणा की और जांच करने को कहा

महामारी के इतिहास उल्लेख करते हुए वैज्ञानिकों ने याद किया कि किस तरह 30 दिसंबर, 2019 को प्रोग्राम फॉर मॉनिटरिंग इमर्जिंग डिजीज ने दुनिया को चीन के वुहान में अज्ञात कारणों से होने वाले निमोनिया के बारे में सूचित किया था.

perception of covid19 virus coming out
कोविड-19 वायरस के बाहर आने की धारणा की और जांच
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Published : May 15, 2021, 4:49 AM IST

लंदन: ब्रिटेन और अमेरिका के प्रमुख वैज्ञानिकों के एक समूह ने शुक्रवार को कोविड​​-19 महामारी की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए और अधिक जांच का आह्वान किया जिसमें चीन के वुहान शहर स्थित प्रयोगशाला से वायरस के दुर्घटनावश बाहर आने की धारणा भी शामिल है. इन वैज्ञानिकों में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रतिरक्षाविज्ञान एवं संक्रामक रोग विशेषज्ञ भारतीय मूल के रवींद्र गुप्ता शामिल हैं.

'साइंस' पत्रिका में प्रकाशित एक पत्र में हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और एमआईटी जैसे दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य के प्रकोपों ​​के जोखिम को कम करने के लिए वैश्विक रणनीतियों बनाने के वास्ते यह जानना जरूरी है कि कोविड-19 कैसे उभरा. इन विशेषज्ञों ने आगाह किया कि जब तक पर्याप्त आंकड़े न हों तब तक प्राकृतिक तरीके से और प्रयोगशाला से वायरस के फैलने के बारे में परिकल्पनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

उन्होंने लिखा है कि प्रासंगिक विशेषज्ञता वाले वैज्ञानिकों के रूप में, हम डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, अमेरिका और 13 अन्य देशों एवं यूरोपीय संघ से सहमत हैं कि इस महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक स्पष्टता प्राप्त करना आवश्यक और संभव है. जब तक पर्याप्त आंकड़े न हों तब तक प्राकृतिक तरीके से और प्रयोगशाला से वायरस के फैलने के बारे में परिकल्पनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

महामारी के इतिहास उल्लेख करते हुए वैज्ञानिकों ने याद किया कि किस तरह 30 दिसंबर, 2019 को प्रोग्राम फॉर मॉनिटरिंग इमर्जिंग डिजीज ने दुनिया को चीन के वुहान में अज्ञात कारणों से होने वाले निमोनिया के बारे में सूचित किया था. इससे कारक प्रेरक एजेंट सीवीयर एक्यूट रेसपीरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (एसएआरएस-सीओवी-2) की पहचान हुई थी. मई 2020 में, विश्व स्वास्थ्य सभा ने अनुरोध किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक एसएआरएस-सीओवी-2 की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए भागीदारों के साथ काम करें.

नवंबर 2020 में, चीन-डब्ल्यूएचओ के संयुक्त अध्ययन के लिए संदर्भ की शर्तें जारी की गईं. अध्ययन के पहले चरण के लिए जानकारी, आंकड़े और नमूने एकत्र किए गए थे और टीम द्वारा संक्षेप में प्रस्तुत किए गए थे. हालांकि प्राकृतिक या किसी प्रयोगशाला से दुर्घटना वायरस के प्रसार के समर्थन में कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं था, टीम ने चमगादड़ों से इस वायरस के मनुष्यों में फैलने के बारे में 'संभावना’ जतायी जबकि किसी प्रयोगशाला से यह फैलने को टबेहद असंभवट करार दिया.

पढ़ें: लंदन में वी के कृष्ण मेनन की 125वीं जयंती मनाई गई

उन्होंने आगाह किया कि इसके अलावा, दो सिद्धांतों को संतुलित विचार नहीं दिया गया. विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस की टिप्पणी की ओर इशारा किया कि रिपोर्ट में प्रयोगशाला दुर्घटना का समर्थन करने वाले साक्ष्य पर विचार अपर्याप्त था और संभावना का पूरी तरह से मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान करने की पेशकश की. वैज्ञानिकों ने कहा कि एक उचित जांच पारदर्शी, उद्देश्यपूर्ण, आंकड़ा-संचालित, व्यापक विशेषज्ञता वाली, स्वतंत्र निरीक्षण के अधीन होनी चाहिए और हितों के टकराव के प्रभाव को कम करने के लिए जिम्मेदारी से प्रबंधन होना चाहिए. सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को अपने रिकॉर्ड सार्वजनिक करने चाहिए.

लंदन: ब्रिटेन और अमेरिका के प्रमुख वैज्ञानिकों के एक समूह ने शुक्रवार को कोविड​​-19 महामारी की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए और अधिक जांच का आह्वान किया जिसमें चीन के वुहान शहर स्थित प्रयोगशाला से वायरस के दुर्घटनावश बाहर आने की धारणा भी शामिल है. इन वैज्ञानिकों में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रतिरक्षाविज्ञान एवं संक्रामक रोग विशेषज्ञ भारतीय मूल के रवींद्र गुप्ता शामिल हैं.

'साइंस' पत्रिका में प्रकाशित एक पत्र में हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड और एमआईटी जैसे दुनिया के प्रमुख विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने कहा कि भविष्य के प्रकोपों ​​के जोखिम को कम करने के लिए वैश्विक रणनीतियों बनाने के वास्ते यह जानना जरूरी है कि कोविड-19 कैसे उभरा. इन विशेषज्ञों ने आगाह किया कि जब तक पर्याप्त आंकड़े न हों तब तक प्राकृतिक तरीके से और प्रयोगशाला से वायरस के फैलने के बारे में परिकल्पनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

उन्होंने लिखा है कि प्रासंगिक विशेषज्ञता वाले वैज्ञानिकों के रूप में, हम डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, अमेरिका और 13 अन्य देशों एवं यूरोपीय संघ से सहमत हैं कि इस महामारी की उत्पत्ति के बारे में अधिक स्पष्टता प्राप्त करना आवश्यक और संभव है. जब तक पर्याप्त आंकड़े न हों तब तक प्राकृतिक तरीके से और प्रयोगशाला से वायरस के फैलने के बारे में परिकल्पनाओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

महामारी के इतिहास उल्लेख करते हुए वैज्ञानिकों ने याद किया कि किस तरह 30 दिसंबर, 2019 को प्रोग्राम फॉर मॉनिटरिंग इमर्जिंग डिजीज ने दुनिया को चीन के वुहान में अज्ञात कारणों से होने वाले निमोनिया के बारे में सूचित किया था. इससे कारक प्रेरक एजेंट सीवीयर एक्यूट रेसपीरेटरी सिंड्रोम कोरोना वायरस 2 (एसएआरएस-सीओवी-2) की पहचान हुई थी. मई 2020 में, विश्व स्वास्थ्य सभा ने अनुरोध किया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक एसएआरएस-सीओवी-2 की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए भागीदारों के साथ काम करें.

नवंबर 2020 में, चीन-डब्ल्यूएचओ के संयुक्त अध्ययन के लिए संदर्भ की शर्तें जारी की गईं. अध्ययन के पहले चरण के लिए जानकारी, आंकड़े और नमूने एकत्र किए गए थे और टीम द्वारा संक्षेप में प्रस्तुत किए गए थे. हालांकि प्राकृतिक या किसी प्रयोगशाला से दुर्घटना वायरस के प्रसार के समर्थन में कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं था, टीम ने चमगादड़ों से इस वायरस के मनुष्यों में फैलने के बारे में 'संभावना’ जतायी जबकि किसी प्रयोगशाला से यह फैलने को टबेहद असंभवट करार दिया.

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उन्होंने आगाह किया कि इसके अलावा, दो सिद्धांतों को संतुलित विचार नहीं दिया गया. विशेषज्ञों ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस की टिप्पणी की ओर इशारा किया कि रिपोर्ट में प्रयोगशाला दुर्घटना का समर्थन करने वाले साक्ष्य पर विचार अपर्याप्त था और संभावना का पूरी तरह से मूल्यांकन करने के लिए अतिरिक्त संसाधन प्रदान करने की पेशकश की. वैज्ञानिकों ने कहा कि एक उचित जांच पारदर्शी, उद्देश्यपूर्ण, आंकड़ा-संचालित, व्यापक विशेषज्ञता वाली, स्वतंत्र निरीक्षण के अधीन होनी चाहिए और हितों के टकराव के प्रभाव को कम करने के लिए जिम्मेदारी से प्रबंधन होना चाहिए. सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को अपने रिकॉर्ड सार्वजनिक करने चाहिए.

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