मेलबर्न : आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने ऑस्ट्रेलियाई लोगों की जान खतरे में ना डालने का संकल्प लेते हुए मंगलवार को कहा कि उनकी सरकार द्वारा कड़े कदम उठाए जाने से कोविड-19 से करीब 30 हजार लोगों की जान बचाई गई.
क्वीन्सलैंड में एक संवाददाता सम्मेलन में मॉरिसन ने वायरस के नए स्वरूप को एक बड़ा खतरा भी बताया. उन्होंने कहा कि विश्वभर में लगाए जा रहे टीके शायद वायरस के नए स्वरूप से निपटने के लिए कारगर नहीं है. हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया कि वह वर्तमान में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा सलाह के आधार पर ही निर्णय ले रहे हैं.
उन्होंने कहा, वैश्विक महामारी का प्रकोप जारी है. वह अपना स्वरूप बदल रहा है. इस साल, जब आप विकासशील देशों में वैश्विक महामारी का कहर देखते हैं, तो इसके साथ उसके एक नए स्वरूप, एक नए प्रकार का खतरा और बड़ जाता है.
प्रधानमंत्री ने कहा, मैं ऑस्ट्रेलियाई लोगों की जिंदगी खतरे में नहीं डालूंगा. मैं ऐसा नहीं करने वाला और मैं यह सुनिश्चित करना चाहूंगा कि हमारा शासनकाल ऐसा रहा है, जिसमें अभी तक देश में 30 हजार लोगों की जिंदगियां बचाई गई और अब वैश्विक महामारी के कहर से पहले की तुलना मे अधिक ऑस्ट्रेलियाई लोग काम पर जा रहे हैं. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मौजूदा स्थिति की तुलना वैश्विक परिस्थितियों से भी की.
अमेरिकी विश्वविद्यालय जॉन्स हॉपकिन्स के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में अभी तक कोरोना वायरस के कुल 29,988 मामले सामने आए हैं और संक्रमण से 910 लोगों की मौत हुई है.
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ऑस्ट्रेलिया ने पिछले साल मार्च में कोरोना वायरस के कहर के बीच पूरे विश्व के लिए अपनी सीमाएं बंद कर दी थी. केवल उसके नागरिक और स्थायी निवासी को ही कोविड-19 सीमा नियमों का पालन करते हुए देश में आने की अनुमति थी.
भारत में कोविड-19 के तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया ने 27 अप्रैल को भारत से आने वाले सभी यात्री विमानों पर 15 मई तक के लिए रोक लगा दी थी.
मॉरिसन नीत सरकार ने भारत में कोविड-19 की दूसरी लहर के कहर के मद्देनजर देश से यात्रियों के आने पर अस्थायी रोक लगा दी है. इस नियम का उल्लंघन करने वाले को पांच साल की जेल और 66,000 ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का जुर्माना लगाए जाने की चेतावनी भी दी गई है. इस कदम की काफी आलोचना की गई थी. तब से भारत से केवल प्रत्यावर्तन उड़ानें जारी हैं.