कोलंबो : श्रीलंकाई सरकार ने देश में मवेशियों के वध पर रोक लगाने वाले प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी. हालांकि, सरकार ने उन लोगों के लिए बीफ आयात करने का फैसला किया है, जो इसका सेवन करते हैं.
श्रीलंका के कैबिनेट प्रवक्ता और जन मीडिया मंत्री के. रामबुकवेल्ले ने कहा कि कैबिनेट ने देश में मवेशियों के वध पर रोक लगाने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस निर्णय को कानूनी रूप देने के लिए प्रक्रिया का पालन किया जाएगा.
आठ सितंबर को, सत्तारूढ़ श्रीलंका पुडुजना पेरामुना (एसएलपीपी) के संसदीय समूह ने देश में मवेशियों के वध पर रोक लगाने वाले प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था.
कैबिनेट ने कहा कि वह देश में लागू पशु अधिनियम, मवेशी वध अध्यादेश तथा अन्य संबंधित कानूनों और नियमों में संशोधन करने के लिए तत्काल जरूरी उपाय करेगी.
अधिकारियों के मुताबिक, कैबिनेट ने बीफ आयात करने का फैसला किया है और इसे उन लोगों को रियायती कीमत पर उपलब्ध कराएगी जो इसका सेवन करते हैं.
वृद्ध मवेशियों के लिए भी एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिनका कृषि के लिए प्रभावी तरीके से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
कैबिनेट नोट में प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा गया है कि कृषि आधारित अर्थव्यवस्था होने के नाते श्रीलंका में ग्रामीणों की आजीविका विकसित करने के लिए मवेशी संसाधन का योगदान बहुत बड़ा है.
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इसमें कहा गया है कि विभिन्न पार्टियों ने रेखांकित किया है कि मवेशियों के वध के कारण पारंपरिक कृषि उद्देश्यों के लिए आवश्यक पशुधन संसाधन अपर्याप्त है और अपर्याप्त पशुधन संसाधन स्थानीय डेयरी उद्योग के उत्थान के लिए एक बाधा है, जो ग्रामीणों की आजीविका के विकास के लिए जरूरी बनाता है.
वर्ष 2012 की जनगणना के मुताबिक, देश की दो करोड़ से ज्यादा की आबादी में 70.10 फीसदी बौद्ध हैं, 12.58 प्रतिशत हिन्दू, 9.66 प्रतिशत मुस्लिम, 7.62 फीसदी ईसाई और 0.03 प्रतिशत अन्य हैं.