इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक अदालत ने शारीरिक रूप से अशक्त एक पत्रकार के कथित आपत्तिजनक ट्वीट को लेकर संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को उसे गिरफ्तार करने से रोक दिया है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने पत्रकार राणा मोहम्मद अरशद द्वारा दायर एक याचिका पर गुरुवार को यह आदेश जारी किया.
डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए. बहरहाल, अदालत ने मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी.
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने एफआईए की साइबर अपराध शाखा के जांच अधिकारी को पत्रकार के खिलाफ रिकॉर्ड के साथ 12 अक्टूबर को तलब किया है. पत्रकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों के एक समूह ने अदालत से कहा कि याचिकाकर्ता शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्ति है और वह पत्रकार के रूप में कार्यरत है.
खबर के मुताबिक, इस्लामाबाद में यह पहला मामला है, जिसमें पाकिस्तान बार काउंसिल द्वारा गठित एक कमेटी ने पत्रकारों का बचाव करने के लिए एक याचिका दायर की है. वकीलों ने कहा कि अरशद को एफआईए की साइबर अपराध शाखा सोशल मीडिया पर प्रकट किए गए उसके विचारों को लेकर प्रताड़ित कर रही है.
एक वकील ने कहा कि पत्रकार को एफआईए ने तलब किया था और बाद में एजेंसी के अधिकारियों ने उसके घर पर छापा भी मारा था.
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मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'इस मामले में प्रथम दृष्टया लोक महत्व का प्रश्न उठता है. खासतौर पर इलेक्ट्रॉनिक्स अपराध रोकथाम कानून, 2016 के तहत शक्तियों के दुरुपयोग का. अदालत रजिस्ट्रार कार्यालय को एफआईए अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश देती है.'