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नेपाल में SC ने नागरिकता अध्यादेश लागू करने के खिलाफ अंतरिम आदेश जारी किया

नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने एक अंतरिम आदेश जारी कर जारी किए गए नागरिकता संबंधी अध्यादेश को लागू नहीं करने के लिए कहा है.

नेपाल में SC
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Published : Jun 11, 2021, 4:08 AM IST

काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने बृहस्पतिवार को एक अंतरिम आदेश जारी करके उसे हाल में जारी नागरिकता संबंधी अध्यादेश लागू नहीं करने को कहा.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नागरिकता संशोधन अध्यादेश पेश करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया.

ओली नीत सरकार ने संसद में बहस न करके अध्यादेश जारी किया था और ऐसा जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल को लुभाने और उसके साथ सत्ता साझा करने संबंधी समझौता करने के लिए किया गया था.

पढ़ें- चीन की चुनौती से निपटने के लिए अमेरिका के रक्षा मंत्री ने दिशा-निर्देश जारी किए

'द हिमालयन टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, संवैधानिक पीठ ने कहा कि इस अध्यादेश का तत्काल क्रियान्वयन अप्रासंगिक लगता है और इस तरह के अध्यादेश शक्तियों के पृथक्करण का विरोध कर संसदीय अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

अदालत के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश चोलेदंरा शमशेर की अगुवाई वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया, जिसमें सरकार से संसद के विधिवत समर्थन से नागरिकता अधिनियम के आधार पर नागरिकता प्रमाण पत्र वितरित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा गया है.

(पीटीआई-भाषा)

काठमांडू : नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को झटका देते हुए उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने बृहस्पतिवार को एक अंतरिम आदेश जारी करके उसे हाल में जारी नागरिकता संबंधी अध्यादेश लागू नहीं करने को कहा.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नागरिकता संशोधन अध्यादेश पेश करने के सरकार के फैसले के खिलाफ दायर रिट याचिकाओं की प्रारंभिक सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया.

ओली नीत सरकार ने संसद में बहस न करके अध्यादेश जारी किया था और ऐसा जनता समाजवादी पार्टी-नेपाल को लुभाने और उसके साथ सत्ता साझा करने संबंधी समझौता करने के लिए किया गया था.

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'द हिमालयन टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, संवैधानिक पीठ ने कहा कि इस अध्यादेश का तत्काल क्रियान्वयन अप्रासंगिक लगता है और इस तरह के अध्यादेश शक्तियों के पृथक्करण का विरोध कर संसदीय अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

अदालत के अधिकारियों ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश चोलेदंरा शमशेर की अगुवाई वाली पीठ ने यह आदेश पारित किया, जिसमें सरकार से संसद के विधिवत समर्थन से नागरिकता अधिनियम के आधार पर नागरिकता प्रमाण पत्र वितरित करने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने को कहा गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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