नई दिल्ली: दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) के कर्मचारियों, विशेष रूप से बस चालकों और अन्य स्टाफ ने अपनी लंबित मांगों को लेकर बुधवार को डीटीसी मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली सरकार से कुछ अहम मुद्दों पर तत्काल कार्रवाई की अपील की है. इन मांगों में से कई प्रमुख मुद्दे कर्मचारियों की स्थायी नौकरी, वेतन भत्तों और कार्यकुशलता से संबंधित हैं.
दिल्ली में बसों का चक्का जाम की चेतावनी: कर्मचारियों ने कहा कि यदि 15 दिन के भीतर उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया गया तो दिल्ली में बसों का चक्का जाम करेंगे. डीटीसी कर्मचारी एकता यूनियन के प्रेसिडेंट ललित चौधरी ने कहा कि 16 अक्टूबर को भी अपनी मांगों को लेकर आईपी डिपो स्थित डीटीसी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया था. प्रदर्शन के बाद अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया था लेकिन अभी तक कोई भी मांगे नहीं मानी गई. आज 2000 से अधिक कर्मचारियों ने डीटीसी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और अधिकारियों को ज्ञापन दिया गया है. 15 दिन का समय दिया गया है यदि मांगे पूरी नहीं होती तो अन्य तरीके से अपनी मांगों को मनवाने के लिए प्रदर्शन किया जाएगा.
पक्की नोकरी की मांग: यूनियन के पदाधिकारी मनोज ने कहा कि जो हमारी पहले से मांगे हैं कि उन्हीं को पूरा करने के लिए आज प्रदर्शन किया गया. डीटीसी में चालक सुरेंद्र सिंह ने कहा कि 10 साल से डीटीसी की बस चला रहे हैं. हम पक्की नौकरी की मांग कर रहे हैं जब तक पक्की नौकरी नहीं होती है तब तक समान कार्य का समान वेतन दिया जाए. डीटीसी में चालक महेंद्र सिंह ने कहा कि हम पक्की नौकरी की मांग कर रहे हैं, अभी हम लोगों को प्रति किलोमीटर की दर से पैसा मिलता है. चालक पंकज शर्मा ने कहा कि यदि हमारी मांगे नहीं मानी जाती हैं तो हम लोग दिल्ली में बसों का चक्का जाम करेंगे. चालक भूपेंद्र सिंह का कहना है कि पहले मुख्यमंत्री रहते हुए अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि चालकों को पक्का किया जाएगा लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार ने वादा खिलाफी की, इसका असर आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में पड़ेगा.
Today DTC workers held a protest against Kejriwal govt.
— . (@DelhiIsNotFar) November 13, 2024
While Kejriwal gives free rides to women, his govt has no money to pay salaries on time & DTC is facing severe losses than any previous govt.
Notice board at beginning - Kejriwal hatao, DTC bachao! pic.twitter.com/M5YvYqLFFv
DTC कर्मचारियों की प्रमुख मांगें :
1. प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि प्राइवेट बसों के संचालन पर रोक लगानी चाहिए और डीटीसी की इलेक्ट्रिक बसों को सिर्फ डीटीसी के कर्मचारियों द्वारा चलाने की मांग की. साथ ही, उन्होंने सवाल उठाया कि अगर डीटीसी की बसें प्राइवेट कंपनियों से ली जाती हैं, तो उन्हें डीटीसी की पहचान क्यों नहीं मिलती और कर्मचारी क्यों नहीं स्थायी होते हैं.
2. समान काम का समान वेतन: कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की स्थायी नौकरी की मांग के साथ-साथ उन्होंने समान काम के लिए समान वेतन लागू करने की भी मांग की. वे चाहते हैं कि दिल्ली सरकार द्वारा लागू वेतन और भत्ते, जैसे बेसिक डी.ए. और ग्रेड पे, सभी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर लागू किए जाएं.
3. सालाना अनुबंध समाप्त हो: कर्मचारियों ने 1 साल के अनुबंध की व्यवस्था को समाप्त करने की मांग की, जिसे वे असमान और असुरक्षित मानते हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह व्यवस्था उनके भविष्य को अनिश्चित बनाती है.
4. यात्रा भत्ता और टीए : कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को यात्रा भत्ता और टीए देने की मांग भी उठाई गई, क्योंकि वे विभागीय आवश्यकताओं के अनुसार ट्रांसपोर्ट करते हैं.
5. श्रम कानून का उल्लंघन: सफाई कर्मचारियों के मामले में, प्रदर्शनकारियों ने 4 घंटे की नौकरी को श्रम कानून का उल्लंघन बताते हुए इसे बढ़ाने की मांग की, साथ ही ईएसआईसी और पीएफ जैसी योजनाएं लागू करने की अपील की.
6. कर्मचारियों ने प्राइवेट कंपनियों की बसों को डीटीसी के कर्मचारियों के रोजगार पर प्रतिकूल प्रभाव डालने का आरोप लगाया और इस पर नियंत्रण लगाने की मांग की.
7. अनुकंपा आधार पर नियुक्त विकलांग कर्मचारियों के लिए स्थायी नौकरी की मांग भी की गई. उन्हें पिछले 14 साल से कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है, जो श्रम कानून का उल्लंघन है.
8. कर्मचारियों ने ईएसआईसी के बंद होने के बाद मेडिकल सुविधाओं को डीटीसी के माध्यम से लागू करने की मांग की है.
9. भ्रष्टाचार और ट्रांसफर पर रोक: ट्रांसफर के नाम पर तानाशाही और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठाई. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ट्रांसफर प्रक्रिया में भ्रष्टाचार के कारण कर्मचारियों को असुविधा होती है.
10. प्राइवेट बस चालकों के वेतन और मेडिकल सुविधाएं: डीटीसी के अंतर्गत चलने वाली प्राइवेट बसों के चालकों के लिए हैवी लाइसेंस और बैच अनिवार्य किए जाने के बावजूद उनका वेतन 45,000 रुपये से कम क्यों है, यह सवाल भी प्रदर्शनकारियों ने उठाया. इसके अलावा, उनकी दीपावली बोनस और मेडिकल सुविधा की भी मांग की गई.
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