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म्यांमार में तख्तापलट के खिलाफ प्रदर्शन, संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ को हिंसा की आशंका - नेपीताॅ में पाबंदी के बावजूद प्रदर्शन

संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्रयूज ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि म्यांमार के शहर यंगून में और सैनिक भेजे जा रहे हैं. वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सू ची के खिलाफ नए आरोप लगाए जाने की कड़ी निंदा की है.

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Published : Feb 17, 2021, 9:30 PM IST

यंगून : म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बुधवार को बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए. वहीं, संयुक्त राष्ट्र के एक मानावाधिकार विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि यंगून और अन्य शहरों में सैनिकों की तैनाती से हिंसा की बड़ी घटना की आशंका है.

संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्रयूज ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में और सैनिक भेजे जा रहे हैं. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सैनिकों के जमावड़े के बाद बड़े स्तर पर हत्या, लोगों के लापता होने और हिरासत में लिए जाने के मामले सामने आए थे. एंड्रयूज ने कहा कि लोगों के प्रदर्शन और सैनिकों के जमावड़े से मुझे इसकी आशंका हो रही है.

नेपीताॅ में पाबंदी के बावजूद प्रदर्शन

यंगून, दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और राजधानी नेपीतॉ में पांच या ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन के लिए निकले. अपदस्थ नेता आंग सान सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी के प्रवक्ता क्यी टो ने कहा कि आइए मार्च में हिस्सा लें. तख्तापलट के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करें. इस तख्तापलट ने युवाओं और हमारे देश के भविष्य को बर्बाद कर दिया है. यंगून में बुधवार को हुए प्रदर्शन को अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया गया है. प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों का रास्ता अवरुद्ध करने के लिए इंजन में खराबी का बहाना बनाकर सड़कों पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर दीं.

संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ को हिंसा की आशंका

नेताओं की रिहाई की मांग

नेपीतॉ में भी बैंक कर्मचारियों और इंजीनियरों समेत हजारों लोगों ने मार्च में हिस्सा लिया और सू की तथा अन्य नेताओं को रिहा किए जाने की मांग की. मांडले में भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. मांडले में सोमवार को सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी और कुछ लोग घायल भी हुए थे. म्यांमार में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया था. सू ची के वकील ने बताया कि पुलिस ने उनके खिलाफ नए आरोप लगाए हैं ताकि उन्हें हिरासत में रखा जा सके.

तख्तापलट का दुनियाभर में विरोध

इससे पहले सू ची पर अवैध तरीके से वॉकी टॉकी रखने के आरोप लगाए गए थे. सू ची के वकील खिन माउंग जॉ ने बताया कि कोरोना वायरस संबंधी पाबंदी के उल्लंघन के तहत नए आरोप लगाए गए हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सू ची के खिलाफ नए आरोप लगाए जाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने ट्वीट किया कि म्यांमार की सेना ने आंग सान सू ची के खिलाफ मिथ्या आरोप लगाए हैं. यह उनके मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है. हम म्यांमार के लोगों के साथ खड़े हैं और सुनिश्चित करेंगे कि इस तख्तापलट के जिम्मेदार लोगों को इसका परिणाम भुगतना पड़े.

यह भी पढ़ें-नाइजीरिया में बंदूकधारियों ने कॉलेज में घुसकर छात्रों को किया अगवा

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी कहा कि दुनिया ने एकजुट होकर तख्तापलट की निंदा की है और उन्होंने सू ची के खिलाफ नए आरोप वापस लेने और उन्हें रिहा किए जाने की मांग की.

यंगून : म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बुधवार को बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए. वहीं, संयुक्त राष्ट्र के एक मानावाधिकार विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि यंगून और अन्य शहरों में सैनिकों की तैनाती से हिंसा की बड़ी घटना की आशंका है.

संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्रयूज ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि म्यांमार के सबसे बड़े शहर यंगून में और सैनिक भेजे जा रहे हैं. जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सैनिकों के जमावड़े के बाद बड़े स्तर पर हत्या, लोगों के लापता होने और हिरासत में लिए जाने के मामले सामने आए थे. एंड्रयूज ने कहा कि लोगों के प्रदर्शन और सैनिकों के जमावड़े से मुझे इसकी आशंका हो रही है.

नेपीताॅ में पाबंदी के बावजूद प्रदर्शन

यंगून, दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और राजधानी नेपीतॉ में पांच या ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन के लिए निकले. अपदस्थ नेता आंग सान सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी के प्रवक्ता क्यी टो ने कहा कि आइए मार्च में हिस्सा लें. तख्तापलट के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करें. इस तख्तापलट ने युवाओं और हमारे देश के भविष्य को बर्बाद कर दिया है. यंगून में बुधवार को हुए प्रदर्शन को अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया गया है. प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों का रास्ता अवरुद्ध करने के लिए इंजन में खराबी का बहाना बनाकर सड़कों पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर दीं.

संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञ को हिंसा की आशंका

नेताओं की रिहाई की मांग

नेपीतॉ में भी बैंक कर्मचारियों और इंजीनियरों समेत हजारों लोगों ने मार्च में हिस्सा लिया और सू की तथा अन्य नेताओं को रिहा किए जाने की मांग की. मांडले में भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. मांडले में सोमवार को सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी और कुछ लोग घायल भी हुए थे. म्यांमार में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया था. सू ची के वकील ने बताया कि पुलिस ने उनके खिलाफ नए आरोप लगाए हैं ताकि उन्हें हिरासत में रखा जा सके.

तख्तापलट का दुनियाभर में विरोध

इससे पहले सू ची पर अवैध तरीके से वॉकी टॉकी रखने के आरोप लगाए गए थे. सू ची के वकील खिन माउंग जॉ ने बताया कि कोरोना वायरस संबंधी पाबंदी के उल्लंघन के तहत नए आरोप लगाए गए हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सू ची के खिलाफ नए आरोप लगाए जाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने ट्वीट किया कि म्यांमार की सेना ने आंग सान सू ची के खिलाफ मिथ्या आरोप लगाए हैं. यह उनके मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है. हम म्यांमार के लोगों के साथ खड़े हैं और सुनिश्चित करेंगे कि इस तख्तापलट के जिम्मेदार लोगों को इसका परिणाम भुगतना पड़े.

यह भी पढ़ें-नाइजीरिया में बंदूकधारियों ने कॉलेज में घुसकर छात्रों को किया अगवा

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी कहा कि दुनिया ने एकजुट होकर तख्तापलट की निंदा की है और उन्होंने सू ची के खिलाफ नए आरोप वापस लेने और उन्हें रिहा किए जाने की मांग की.

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