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बांग्लादेश में आतंकी संगठन हूजी के 10 सदस्यों को मौत की सजा - member of huji

बांग्लादेशी अदालत ने 2001 में राजनीतिक रैली पर बम फेंकने वाले आतंकवादी संगठन के 10 दोषियों को मौत की सजा सुनाई है. बता दें कि इस हमले में आठ लोगों की मौत हो गई थी. पढ़ें पूरी खबर.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Jan 20, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Feb 17, 2020, 6:39 PM IST

ढाका, 20 जनवरी (भाषा) बांग्लादेश के प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन हरकत-उल जिहाद अल-इस्लामी (हूजी) के 10 सदस्यों को 2001 में यहां कम्युनिस्ट पार्टी की रैली पर बम से हमला करने के दोष में सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई.

इस हमले में आठ लोगों की मौत हो गई थी.

समाचार पत्र 'ढाका ट्रिब्यून' की खबर के अनुसार ढाका मेट्रोपोलिटन सत्र अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद रबिउल इस्लाम ने यह फैसला सुनाया. अदालत ने मामले में दो लोगों को बरी कर दिया और मौत की सजा पाने वाले प्रत्येक दोषी पर 20,000 बांग्लादेशी टका (281 डॉलर) का जुर्माना लगाया.

गौरतलब है कि ढाका के पलटन मैदान में 20 जनवरी, 2001 को हुए बम विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई थी और करीब 50 से अधिक घायल हो गए थे.

मुख्य आरोपी, प्रतिबंधित इस्लामी संगठन हूजी के सरगना मुफ्ती अब्दुल हनान को 12 अप्रैल, 2017 में सिलहेट में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत अनवर चौधरी पर ग्रेनेड से हमला करने के संबंध में दायर मामले में फांसी दी गई थी.

इस मामले में दोषी ठहराए गए 13 लोगों में से चार सोमवार को अदालत में मौजूद थे. मौत की सजा पाने वाले छह अन्य दोषी अब भी फरार हैं.

एक दिसंबर को मामले की सुनवाई के बाद, न्यायाधीश रोबिउल इस्लाम ने मामले में फैसला सुनाने के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की थी.

चार सितंबर, 2014 को अदालत ने 13 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

डेली स्टार ने खबर दी कि अदालत ने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर ऐसे घृणित कृत्य करने का किसी को अधिकार नहीं है.

बचाव पक्ष के वकील फारुक अहमद ने फैसले के बाद कहा कि वे उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.

ढाका, 20 जनवरी (भाषा) बांग्लादेश के प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन हरकत-उल जिहाद अल-इस्लामी (हूजी) के 10 सदस्यों को 2001 में यहां कम्युनिस्ट पार्टी की रैली पर बम से हमला करने के दोष में सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई.

इस हमले में आठ लोगों की मौत हो गई थी.

समाचार पत्र 'ढाका ट्रिब्यून' की खबर के अनुसार ढाका मेट्रोपोलिटन सत्र अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद रबिउल इस्लाम ने यह फैसला सुनाया. अदालत ने मामले में दो लोगों को बरी कर दिया और मौत की सजा पाने वाले प्रत्येक दोषी पर 20,000 बांग्लादेशी टका (281 डॉलर) का जुर्माना लगाया.

गौरतलब है कि ढाका के पलटन मैदान में 20 जनवरी, 2001 को हुए बम विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई थी और करीब 50 से अधिक घायल हो गए थे.

मुख्य आरोपी, प्रतिबंधित इस्लामी संगठन हूजी के सरगना मुफ्ती अब्दुल हनान को 12 अप्रैल, 2017 में सिलहेट में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत अनवर चौधरी पर ग्रेनेड से हमला करने के संबंध में दायर मामले में फांसी दी गई थी.

इस मामले में दोषी ठहराए गए 13 लोगों में से चार सोमवार को अदालत में मौजूद थे. मौत की सजा पाने वाले छह अन्य दोषी अब भी फरार हैं.

एक दिसंबर को मामले की सुनवाई के बाद, न्यायाधीश रोबिउल इस्लाम ने मामले में फैसला सुनाने के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की थी.

चार सितंबर, 2014 को अदालत ने 13 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

डेली स्टार ने खबर दी कि अदालत ने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर ऐसे घृणित कृत्य करने का किसी को अधिकार नहीं है.

बचाव पक्ष के वकील फारुक अहमद ने फैसले के बाद कहा कि वे उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.

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बांग्लादेशी अदालत ने राजनीतिक रैली पर बम हमले के 10 दोषियों को मौत की सजा सुनाई



ढाका, 20 जनवरी (भाषा) बांग्लादेश के प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन हरकत-उल जिहाद अल-इस्लामी (हूजी) के 10 सदस्यों को 2001 में यहां कम्युनिस्ट पार्टी की रैली पर बम से हमला करने के दोष में सोमवार को मौत की सजा सुनाई गई.



इस हमले में आठ लोगों की मौत हो गई थी.



समाचार पत्र 'ढाका ट्रिब्यून' की खबर के अनुसार ढाका मेट्रोपोलिटन सत्र अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद रबिउल इस्लाम ने यह फैसला सुनाया. अदालत ने मामले में दो लोगों को बरी कर दिया और मौत की सजा पाने वाले प्रत्येक दोषी पर 20,000 बांग्लादेशी टका (281 डॉलर) का जुर्माना लगाया.



गौरतलब है कि ढाका के पलटन मैदान में 20 जनवरी, 2001 को हुए बम विस्फोट में आठ लोगों की मौत हो गई थी और करीब 50 से अधिक घायल हो गए थे.



मुख्य आरोपी, प्रतिबंधित इस्लामी संगठन हूजी के सरगना मुफ्ती अब्दुल हनान को 12 अप्रैल, 2017 में सिलहेट में ब्रिटेन के पूर्व राजदूत अनवर चौधरी पर ग्रेनेड से हमला करने के संबंध में दायर मामले में फांसी दी गई थी.



इस मामले में दोषी ठहराए गए 13 लोगों में से चार सोमवार को अदालत में मौजूद थे. मौत की सजा पाने वाले छह अन्य दोषी अब भी फरार हैं.



एक दिसंबर को मामले की सुनवाई के बाद, न्यायाधीश रोबिउल इस्लाम ने मामले में फैसला सुनाने के लिए 20 जनवरी की तारीख तय की थी.



चार सितंबर, 2014 को अदालत ने 13 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे.



डेली स्टार ने खबर दी कि अदालत ने यह भी कहा कि धर्म के नाम पर ऐसे घृणित कृत्य करने का किसी को अधिकार नहीं है.



बचाव पक्ष के वकील फारुक अहमद ने फैसले के बाद कहा कि वे उच्च न्यायालय में अपील करेंगे.


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Last Updated : Feb 17, 2020, 6:39 PM IST
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