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सीमा पर जारी तनाव भारत के लिए विनाशकारी होगा : चीनी मीडिया

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि अगर सीमा पर तनाव जारी रहता है तो भारत को चीन, पाकिस्तान या नेपाल से 'सैन्य दबाव' का सामना करना पड़ सकता है. जो भारत के लिए विनाशकारी होगा. पढ़ें पूरी खबर...

india china dispute
भारत चीन विवाद
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Published : Jun 18, 2020, 9:07 PM IST

बीजिंग : लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि अगर सीमा पर तनाव जारी रहता है तो भारत को चीन, पाकिस्तान या नेपाल से 'सैन्य दबाव' का सामना करना पड़ सकता है.

शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के शोधार्थी हू झिओंग के बयान का हवाला देते हुए बुधवार को ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया, 'भारत एक ही समय में चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद में व्यस्त है. जैसा कि पाकिस्तान चीन का एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार है, और नेपाल का भी चीन के साथ घनिष्ठ संबंध है, और दोनों चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में महत्वपूर्ण साझेदार हैं. ऐसे में अगर भारत सीमा तनाव बढ़ाता है, तो वह दो या तीनों पक्षों से सैन्य दबाव का सामना कर सकता है, जो भारत की सैन्य क्षमता से बहुत परे है और इससे भारत की विनाशकारी हार हो सकती है.'

हू झिओंग ने कहा कि फिलहाल चीन का सीमा की स्थिति को बदलने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि सैनिकों के बीच हिंसक झड़प की घटना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी क्षेत्र में हुई, जिससे 20 भारतीय सैन्य कर्मियों की मौत हुई. यह पूरी तरह से भारतीय पक्ष द्वारा उकसाया गया था.

चीनी मीडिया का कहना है कि चीन मांग करता है कि 15 जून की घटना की भारत को जांच करनी चाहिए, जिसमें कर्नल रैंक के अधिकारी सहित भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत हुई. भारत को गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

बीजिंग : लद्दाख के गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने चेतावनी दी है कि अगर सीमा पर तनाव जारी रहता है तो भारत को चीन, पाकिस्तान या नेपाल से 'सैन्य दबाव' का सामना करना पड़ सकता है.

शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस के शोधार्थी हू झिओंग के बयान का हवाला देते हुए बुधवार को ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में कहा गया, 'भारत एक ही समय में चीन, पाकिस्तान और नेपाल के साथ सीमा विवाद में व्यस्त है. जैसा कि पाकिस्तान चीन का एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार है, और नेपाल का भी चीन के साथ घनिष्ठ संबंध है, और दोनों चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना में महत्वपूर्ण साझेदार हैं. ऐसे में अगर भारत सीमा तनाव बढ़ाता है, तो वह दो या तीनों पक्षों से सैन्य दबाव का सामना कर सकता है, जो भारत की सैन्य क्षमता से बहुत परे है और इससे भारत की विनाशकारी हार हो सकती है.'

हू झिओंग ने कहा कि फिलहाल चीन का सीमा की स्थिति को बदलने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि सैनिकों के बीच हिंसक झड़प की घटना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी क्षेत्र में हुई, जिससे 20 भारतीय सैन्य कर्मियों की मौत हुई. यह पूरी तरह से भारतीय पक्ष द्वारा उकसाया गया था.

चीनी मीडिया का कहना है कि चीन मांग करता है कि 15 जून की घटना की भारत को जांच करनी चाहिए, जिसमें कर्नल रैंक के अधिकारी सहित भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत हुई. भारत को गलवान घाटी क्षेत्र में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

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