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ईरान के पहले राष्ट्रपति अबोलहसन बनीसदर का निधन

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Published : Oct 9, 2021, 5:22 PM IST

ईरान के पहले राष्ट्रपति अबोलहसन बनीसदर का 88 साल की उम्र में निधन हो गया. पेरिस के अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है.

बनीसदर
बनीसदर

हरान : ईरान में वर्ष 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने अबोलहसन बनीसदर का शनिवार को पेरिस में 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. देश के धर्मतंत्र बनने व मौलवियों की बढ़ती ताकत को चुनौती देने के कारण उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा जिसके बाद वह तेहरान छोड़कर चले गए थे.

बनीसदर के परिवार ने एक बयान में कहा कि उनका पेरिस के अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है.

माना जाता है कि बनीसदर कभी सरकार पर अपनी पकड़ नहीं बना पाए जिसकी वजह से स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर चली गई जैसे अमेरिका दूतावास बंधक संकट और ईरान द्वारा इराक पर हमला जिसकी वजह से स्थिति भयावह हुई और अंतत: क्रांति हुई.

पढ़ें :- आज के दुश्मन इजराइल और ईरान में कभी थी गहरी दोस्ती

वास्तविक शक्तियां ईरान के शीर्ष धार्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खोमैनी के हाथों में ही रही और जिसके लिए बनीसदर ने फ्रांस से निर्वासन में रहते हुए काम किया और क्रांति के बीच तेहरान लौटे. हालांकि, खोमैनी ने 16 महीनों के भीतर उन्हें पदच्युत कर दिया और उन्हें वापस पेरिस भेज दिया जहां पर वह दशकों तक रहें.

(पीटीआई)

हरान : ईरान में वर्ष 1979 में हुई इस्लामी क्रांति के बाद देश के पहले राष्ट्रपति बने अबोलहसन बनीसदर का शनिवार को पेरिस में 88 साल की उम्र में निधन हो गया है. देश के धर्मतंत्र बनने व मौलवियों की बढ़ती ताकत को चुनौती देने के कारण उन्हें महाभियोग का सामना करना पड़ा जिसके बाद वह तेहरान छोड़कर चले गए थे.

बनीसदर के परिवार ने एक बयान में कहा कि उनका पेरिस के अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है.

माना जाता है कि बनीसदर कभी सरकार पर अपनी पकड़ नहीं बना पाए जिसकी वजह से स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर चली गई जैसे अमेरिका दूतावास बंधक संकट और ईरान द्वारा इराक पर हमला जिसकी वजह से स्थिति भयावह हुई और अंतत: क्रांति हुई.

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वास्तविक शक्तियां ईरान के शीर्ष धार्मिक नेता अयातुल्ला रुहोल्ला खोमैनी के हाथों में ही रही और जिसके लिए बनीसदर ने फ्रांस से निर्वासन में रहते हुए काम किया और क्रांति के बीच तेहरान लौटे. हालांकि, खोमैनी ने 16 महीनों के भीतर उन्हें पदच्युत कर दिया और उन्हें वापस पेरिस भेज दिया जहां पर वह दशकों तक रहें.

(पीटीआई)

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