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बांग्लादेश ने शुरू की म्यांमार से विस्थापित रोहिंग्या शरणार्थियों शिफ्ट करने की प्रक्रिया

मानवाधिकार समूह द्वारा स्थानांतरिण प्रक्रिया रोकने की मांग के बाद भी बांग्लादेश प्रशासन ने रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले समूह को स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है. पढ़ें विस्तार से...

bangladesh rohingya
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Published : Dec 4, 2020, 7:11 PM IST

ढाका : बांग्लादेश प्रशासन ने शुक्रवार को 1500 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले समूह को एक दूरदराज के द्वीप पर भेजना शुरू कर दिया. हालांकि मानवाधिकार समूह बार-बार इस प्रक्रिया को रोकने की मांग कर चुके हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि 1,642 शरणार्थी भाषण चार द्वीप पर जाने के लिए चटगांव बंदरगाह से सात पोतों में सवार हुए. स्थानीय नियम के अनुसार इस अधिकारी का नाम जाहिर नहीं किया जा सकता है.

यह द्वीप मानसून के महीने में नियमित तौर पर डूब जाता था लेकिन यहां अब बाढ़ सुरक्षा तटबंध, घर, अस्पताल और मस्जिदों का निर्माण 11.2 करोड़ डॉलर की लागत से बांग्लादेश की नौसेना ने किया है. यह इलाका मुख्य क्षेत्र से 34 किलोमीटर दूर है और केवल 20 साल पहले ही सामने आया था. इससे पहले यहां कभी आबादी नहीं रही है.

संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि शरणार्थियों को स्वतंत्र तरीके से यह फैसला लेने की अनुमति दी जाए कि वे बंगाल की खाड़ी के द्वीप पर जाना चाहते हैं या नहीं. इस द्वीप पर फिलहाल जो आवास बनाए गए हैं, वहां 1,00,000 लोग रह सकते हैं, जो कि लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के हिसाब से बेहद कम संख्या है.

पढ़ें :- म्यांमार में विस्थापित रोहिंग्याओं के शिविरों में अमानवीय स्थिति उजागर

रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार में हिंसक उत्पीड़न के बाद भागकर बांग्लादेश आए थे और ये यहां अभी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.

ढाका : बांग्लादेश प्रशासन ने शुक्रवार को 1500 से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले समूह को एक दूरदराज के द्वीप पर भेजना शुरू कर दिया. हालांकि मानवाधिकार समूह बार-बार इस प्रक्रिया को रोकने की मांग कर चुके हैं.

एक अधिकारी ने बताया कि 1,642 शरणार्थी भाषण चार द्वीप पर जाने के लिए चटगांव बंदरगाह से सात पोतों में सवार हुए. स्थानीय नियम के अनुसार इस अधिकारी का नाम जाहिर नहीं किया जा सकता है.

यह द्वीप मानसून के महीने में नियमित तौर पर डूब जाता था लेकिन यहां अब बाढ़ सुरक्षा तटबंध, घर, अस्पताल और मस्जिदों का निर्माण 11.2 करोड़ डॉलर की लागत से बांग्लादेश की नौसेना ने किया है. यह इलाका मुख्य क्षेत्र से 34 किलोमीटर दूर है और केवल 20 साल पहले ही सामने आया था. इससे पहले यहां कभी आबादी नहीं रही है.

संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि शरणार्थियों को स्वतंत्र तरीके से यह फैसला लेने की अनुमति दी जाए कि वे बंगाल की खाड़ी के द्वीप पर जाना चाहते हैं या नहीं. इस द्वीप पर फिलहाल जो आवास बनाए गए हैं, वहां 1,00,000 लोग रह सकते हैं, जो कि लाखों रोहिंग्या मुस्लिमों के हिसाब से बेहद कम संख्या है.

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रोहिंग्या मुस्लिम म्यांमार में हिंसक उत्पीड़न के बाद भागकर बांग्लादेश आए थे और ये यहां अभी शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं.

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