ETV Bharat / international

अमेरिका मानवाधिकार के मुद्दों पर भारतीय अधिकारियों से नियमित वार्ता करता है : अधिकारी

अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के प्रभारी अधिकारी ने कहा कि भारत की परंपरा व इतिहास को ध्यान में रखते हुए अमेरिका भारत के अफसरों से नियमित रूप से बातचीत करता है. इसके अलावा अल्पसंख्यकों के संरक्षण के साथ मानवाधिकार दायित्वों को बरकरार रखने के लिए प्रोत्साहित करता है.

author img

By

Published : May 13, 2021, 4:43 PM IST

अमेरिका
अमेरिका

वॉशिंगटन : अमेरिका भारत को लोकतांत्रिक मूल्यों की भारत की पुरानी परंपरा एवं सहिष्णुता के इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारतीय अधिकारियों से हर स्तर पर नियमित रूप से वार्ता करता है और उन्हें अल्पसंख्यकों के संरक्षण समेत मानवाधिकार दायित्वों एवं प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखने के लिए प्रोत्साहित करता है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के प्रभारी वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन द्वारा 2020 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को बुधवार को प्रस्तुत किए जाने के दौरान, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी डैन नाडेल ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी नागरिक संगठनों, स्थानीय धार्मिक समुदायों के साथ भी लगातार बैठक करते हैं ताकि उनके विचार एवं चुनौतियों और अवसरों को समझ सके.

रिपोर्ट में देश में कोविड-19 की पहली लहर के मद्देनजर पिछले साल तबलीगी जमात के सदस्यों को निशाना बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए एकता एवं भाईचारे के संदेश पर भी गौर किया गया. विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अप्रैल को ट्वीट किया था, कोविड-19 वार करने से पहले धर्म, नस्ल, रंग, जाति, समुदाय, भाषा या सीमाएं नहीं देखता है. हमारा व्यवहार एवं प्रतिक्रिया में एकता एवं भाईचारे को अहमियत दी जानी चाहिए.

पढ़ें - भारतीय-अमेरिकी सांसद ने भारत में कोविड-19 संकट पर कमला हैरिस से की मुलाकात

वार्षिक रिपोर्ट के भारतीय खंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 26 अप्रैल के राष्ट्र के नाम ऑनलाइन संबोधन का भी उल्लेख है जिसमें उन्होंने लोगों से कोविड-19 के खिलाफ जंग में किसी से भेदभाव नहीं करने की अपील की थी.

नाडेल ने कहा कि भारत सरकार को अमेरिका के कुल प्रोत्साहन की बात करें तो वह इन समुदायों को, इन बाहरी तत्वों को प्रत्यक्ष संवाद में शामिल करता है. उन्होंने कहा, क्योंकि जब कानून पारित किए जाते हैं, जब पहल की जाती है और इन समुदायों के साथ प्रभावी राय-विचार के साथ नहीं किया जाता, यह नि:सशक्तीकरण का भाव पैदा करता है कई बार विरक्ति का. और इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है सरकारी एवं नागरिक संस्थाओं के बीच सीधा संवाद स्थापित करना.

नाडेल ने कहा, 'इसलिए भारत के संबंध में, मेरे विचार में सरकार के लिए भारतीय नागरिक संस्थाओं की कुछ चिंताओं से निपटने का सही में मौका है जो अधिक संवाद एवं अधिक वार्ता से संभव है.'

पढ़ें - 5जी परीक्षणों से चीनी कंपनियों को दूर रखना भारत का संप्रभु निर्णय: अमेरिका

भारत इससे पहले यह कहकर अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्टों को खारिज करता रहा है कि वह विदेशी सरकार का उसके नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं समझता है.

इससे पहले रिपोर्ट जारी करते हुए ब्लिंकेन ने कहा था कि पूरी दुनिया में यहूदियों के खिलाफ और कुछ हिस्सों में मुस्लिमों के खिलाफ भी नफरत बढ़ी है जो अमेरिका के साथ ही यूरोप के लिए गंभीर समस्या है.

उन्होंने कहा कि जहां भी यह हो रहा हो इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी धर्म एवं पृष्ठभूमि के लोगों को बराबर सम्मान एवं गरिमा मिले.

रिपोर्ट का स्वागत करते हुए 'फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन' के अध्यक्ष कोशी जॉर्ज ने कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भी इसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन जारी है. उन्होंने कहा, इन अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी निराश करने वाली है.

वॉशिंगटन : अमेरिका भारत को लोकतांत्रिक मूल्यों की भारत की पुरानी परंपरा एवं सहिष्णुता के इतिहास को ध्यान में रखते हुए भारतीय अधिकारियों से हर स्तर पर नियमित रूप से वार्ता करता है और उन्हें अल्पसंख्यकों के संरक्षण समेत मानवाधिकार दायित्वों एवं प्रतिबद्धताओं को बरकरार रखने के लिए प्रोत्साहित करता है. अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के प्रभारी वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन द्वारा 2020 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को बुधवार को प्रस्तुत किए जाने के दौरान, अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कार्यालय के वरिष्ठ अधिकारी डैन नाडेल ने कहा कि अमेरिकी अधिकारी नागरिक संगठनों, स्थानीय धार्मिक समुदायों के साथ भी लगातार बैठक करते हैं ताकि उनके विचार एवं चुनौतियों और अवसरों को समझ सके.

रिपोर्ट में देश में कोविड-19 की पहली लहर के मद्देनजर पिछले साल तबलीगी जमात के सदस्यों को निशाना बनाए जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए एकता एवं भाईचारे के संदेश पर भी गौर किया गया. विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने 19 अप्रैल को ट्वीट किया था, कोविड-19 वार करने से पहले धर्म, नस्ल, रंग, जाति, समुदाय, भाषा या सीमाएं नहीं देखता है. हमारा व्यवहार एवं प्रतिक्रिया में एकता एवं भाईचारे को अहमियत दी जानी चाहिए.

पढ़ें - भारतीय-अमेरिकी सांसद ने भारत में कोविड-19 संकट पर कमला हैरिस से की मुलाकात

वार्षिक रिपोर्ट के भारतीय खंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के 26 अप्रैल के राष्ट्र के नाम ऑनलाइन संबोधन का भी उल्लेख है जिसमें उन्होंने लोगों से कोविड-19 के खिलाफ जंग में किसी से भेदभाव नहीं करने की अपील की थी.

नाडेल ने कहा कि भारत सरकार को अमेरिका के कुल प्रोत्साहन की बात करें तो वह इन समुदायों को, इन बाहरी तत्वों को प्रत्यक्ष संवाद में शामिल करता है. उन्होंने कहा, क्योंकि जब कानून पारित किए जाते हैं, जब पहल की जाती है और इन समुदायों के साथ प्रभावी राय-विचार के साथ नहीं किया जाता, यह नि:सशक्तीकरण का भाव पैदा करता है कई बार विरक्ति का. और इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है सरकारी एवं नागरिक संस्थाओं के बीच सीधा संवाद स्थापित करना.

नाडेल ने कहा, 'इसलिए भारत के संबंध में, मेरे विचार में सरकार के लिए भारतीय नागरिक संस्थाओं की कुछ चिंताओं से निपटने का सही में मौका है जो अधिक संवाद एवं अधिक वार्ता से संभव है.'

पढ़ें - 5जी परीक्षणों से चीनी कंपनियों को दूर रखना भारत का संप्रभु निर्णय: अमेरिका

भारत इससे पहले यह कहकर अमेरिका धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्टों को खारिज करता रहा है कि वह विदेशी सरकार का उसके नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर फैसला सुनाने का कोई अधिकार नहीं समझता है.

इससे पहले रिपोर्ट जारी करते हुए ब्लिंकेन ने कहा था कि पूरी दुनिया में यहूदियों के खिलाफ और कुछ हिस्सों में मुस्लिमों के खिलाफ भी नफरत बढ़ी है जो अमेरिका के साथ ही यूरोप के लिए गंभीर समस्या है.

उन्होंने कहा कि जहां भी यह हो रहा हो इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सभी धर्म एवं पृष्ठभूमि के लोगों को बराबर सम्मान एवं गरिमा मिले.

रिपोर्ट का स्वागत करते हुए 'फेडरेशन ऑफ इंडियन अमेरिकन क्रिश्चियन ऑर्गेनाइजेशन' के अध्यक्ष कोशी जॉर्ज ने कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान भी इसाइयों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन जारी है. उन्होंने कहा, इन अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी निराश करने वाली है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.