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नासा ने वर्जीनिया से ब्लैक ब्रेंट XII रॉकेट किया लॉन्च - स्पेश एजेंसी

नासा के मुताबिक, ब्लैक ब्रेंट XII लॉन्च पैड से वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में कैसे ऊर्जा और गति से यात्रा की जा सकती है.

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Published : May 17, 2021, 10:19 AM IST

वॉशिंगटन : नासा ने रविवार को अमेरिका के वर्जीनिया से ब्लैक ब्रेंट XII रॉकेट लॉन्च किया. नासा के मुताबिक, ब्लैक ब्रेंट XII लॉन्च पैड से वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में कैसे ऊर्जा और गति से यात्रा की जा सकती है.

ब्लैक ब्रेंट XII रॉकेट लॉन्च

हाल ही के दिनों में कई बार खराब मौसम के चलते वैसे ही इसमें काफी देरी हो चुकी थी, जिसके बाद रविवार को आखिरकार वर्जीनिया के वॉलॉप्स द्वीप से चार चरणों से गुजरने के बाद यह लॉन्च हुआ.

नासा के अनुसार, 14 मई को एक निर्धारित प्रक्षेपण भी स्थगित कर दिया गया था क्योंकि ब्लैक ब्रेंट XII लिफ्ट से पहले धातु स्टैंड के संपर्क में आया गया था.

पढ़ें- कोविड टीका लगवाने में झिझक: लोगों को तैयार करने के लिए उन्हें व्यक्तिगत लाभ से रूबरू कराएं

स्पेश एजेंसी ने कहा, रविवार के प्रक्षेपण के करीब 9-10 मिनट बाद 217-249 मील (349-400 किलोमीटर) की ऊंचाई पर रॉकेट बेरियम वाष्प छोड़ेगा और दो हरे-बैंगनी बादल बनाएगा.

नासा ने कहा है कि वे बादल वैज्ञानिकों को 'काइनेट-एक्स' मिशन के हिस्से के रूप में ऊपरी वायुमंडल और आयनमंडल में वायुमंडलीय हवाओं का अध्ययन करने में मदद करेगा.

वॉशिंगटन : नासा ने रविवार को अमेरिका के वर्जीनिया से ब्लैक ब्रेंट XII रॉकेट लॉन्च किया. नासा के मुताबिक, ब्लैक ब्रेंट XII लॉन्च पैड से वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिलेगी कि अंतरिक्ष में कैसे ऊर्जा और गति से यात्रा की जा सकती है.

ब्लैक ब्रेंट XII रॉकेट लॉन्च

हाल ही के दिनों में कई बार खराब मौसम के चलते वैसे ही इसमें काफी देरी हो चुकी थी, जिसके बाद रविवार को आखिरकार वर्जीनिया के वॉलॉप्स द्वीप से चार चरणों से गुजरने के बाद यह लॉन्च हुआ.

नासा के अनुसार, 14 मई को एक निर्धारित प्रक्षेपण भी स्थगित कर दिया गया था क्योंकि ब्लैक ब्रेंट XII लिफ्ट से पहले धातु स्टैंड के संपर्क में आया गया था.

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स्पेश एजेंसी ने कहा, रविवार के प्रक्षेपण के करीब 9-10 मिनट बाद 217-249 मील (349-400 किलोमीटर) की ऊंचाई पर रॉकेट बेरियम वाष्प छोड़ेगा और दो हरे-बैंगनी बादल बनाएगा.

नासा ने कहा है कि वे बादल वैज्ञानिकों को 'काइनेट-एक्स' मिशन के हिस्से के रूप में ऊपरी वायुमंडल और आयनमंडल में वायुमंडलीय हवाओं का अध्ययन करने में मदद करेगा.

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