कोलकाता : आवास घोटाला मामले की जांच के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने टीएमसी लीडर और एक्ट्रेस नुसरत जहां को लेकर बड़ा दावा किया है. दावा के अनुसार ईडी ने कहा कि नुसरत को हर महीने रिश्वत मिलती थी. जांच एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक उन्हें नियमित 'भत्ता' मिलता था. आरोपी रियल एस्टेट कंपनी से 'भत्ते' का पैसा मासिक आधार पर एमपी को जाता था.
बता दें कि किफायती दाम पर फ्लैट बेचने के नाम पर धोखाधड़ी मामले की जांच के दौरान ईडी के अधिकारी यह दावा कर रहे हैं. इस बीच, केंद्रीय एजेंसी ने पिछले मंगलवार को सीजीओ कॉम्प्लेक्स में सांसद से साढ़े 6 घंटे तक पूछताछ की. ईडी जांचकर्ताओं का कहना है कि इस दौरान जांच में उन्होंने नुसरत और संबंधित संगठनों से कई दस्तावेज जब्त किए. उन दस्तावेजों की जांच करने के बाद अधिकारियों को पता चला कि बशीरहाट सांसद के साथ संबंधित संगठनों के समझौते में इस भत्ते का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था. हालांकि, नुसरत ने जहां से भत्ते के रूप में कितना पैसा लिया, इसका खुलासा ईडी के अधिकारियों ने नहीं किया है.
ईडी ने इस बात की जांच शुरू कर दी है कि नुसरत जहां को धोखाधड़ी मामले में आरोपी संगठन से नियमित भत्ता क्यों मिला. एजेंसी ने यह निर्धारित करने के लिए एक नई जांच शुरू की है कि नुसरत जहां रूही को दोषी ठहराया जाएगा या नहीं. हालांकि, यह तो समय ही बताएगा कि ईडी इस मामले के सिलसिले में अभिनेत्री और सांसद को फिर से तलब करेगी या नहीं. सबसे पहले, नुसरत जहां और कंपनी के खिलाफ फ्लैट बेचने के बहाने धोखाधड़ी करने के आरोप में शिकायत दर्ज की गई थी. उस वक्त नुसरत ने कहा कि वह एक फ्लैट खरीदेंगी और संबंधित कंपनी से 1 करोड़ 16 लाख 30 हजार 285 रुपये का लोन लिया.
उन्होंने दावा किया कि 2017 में उन्होंने कंपनी को ब्याज समेत 1 करोड़ 40 लाख 71 हजार 995 रुपये भी लौटाए. उसका उस कंपनी से कोई और जुड़ाव नहीं है. नुसरत का दावा है कि वह किसी भी भ्रष्टाचार में शामिल नहीं हैं. हालांकि, कंपनी के एक निदेशक राकेश सिंह ने दावा किया कि अभिनेता नुसरत जहां ने उनकी कंपनी से कोई उधार नहीं लिया है. इसी वजह से राकेश सिंह को भी प्रवर्तन निदेशालय ने सीजीओ कॉम्प्लेक्स में तलब किया था. लेकिन, उन्होंने समन को छोड़ दिया.