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ऑनलाइन क्लास बढ़ा रहा बच्चों में स्ट्रेस, ईटीवी भारत पर बोले बच्चे और अभिभावक - ऑनलाइन क्लास बढ़ा रहा बच्चों में स्ट्रेस

कोरोना काल का प्रभाव हर क्षेत्र में देखने को मिला चाहे वो रोजगार से जुड़ा हो या महंगाई से, चाहे स्वास्थ्य हो या शिक्षा हर क्षेत्र पर कोरोना ने अपना बुरा प्रभाव डाला है. कोरोना काल में घर की चार दिवारी में रहकर हर कोई स्ट्रेस में चला गया. ऐसा ही हुआ बच्चों में के साथ भी. करीब डेढ़ साल से स्कूल बंद है जिससे बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है. ऑनलाइन पढ़ाई से कितने सटिस्फाई हैं बच्चे और अभिभावक. जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर...

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ऑनलाइन क्लास बढ़ा रहा बच्चों में स्ट्रेस
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Published : Aug 17, 2021, 11:01 AM IST

नई दिल्ली/नोएडा: कोरोना का एक ऐसा दौर चला जिसका प्रभाव हर तरफ देखने को मिला. कोरोना का असर शिक्षा पर भी देखने को मिला, जो बच्चे स्कूल जा कर पढ़ाई कर रहे थे वो पिछले काफी समय से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए बेहतर है या स्कूल जाना, इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने कुछ अभिभावकों और बच्चों से बात की तो सभी का यही कहना है कि बच्चों का स्कूल जाना बेहतर है.

दरअसल, सभी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई तो करवाते हैं लेकिन वो महज एक फॉर्मेलिटी भर ही है. क्योंकि ऑनलाइन क्लास के बाद भी बच्चों को ट्यूशन में भेजना पड़ रहा है. इसलिए बच्चों का स्कूल जाना ही बेहतर है और तभी वह अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई में अच्छे से पढ़ पाते हैं.

ऑनलाइन क्लास बढ़ा रहा बच्चों में स्ट्रेस

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बच्चों द्वारा की जा रही ऑनलाइन पढ़ाई के संबंध में ईटीवी भारत की टीम कुछ अभिभावक और बच्चों से बात की तो उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बीच स्कूल अब धीरे-धीरे खोले जा रहे हैं. यह बहुत ही अच्छा काम है. बच्चे स्कूल जाकर ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बच्चे उचित और अच्छी शिक्षा नहीं पा रहे हैं. जिसके चलते उनके ज्ञान में कमी आ रही है. अभिभावक प्रमोद कुमार साहू का कहना है कि कोरोना को लेकर एहतियात बरतते हुए हम बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए जरूर भेजेंगे. ऑनलाइन क्लास में बच्चों का भविष्य नहीं है. वहीं अभिभावक पूनम ने बताया कि बच्चे स्कूल जाकर ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. घर पर बच्चे हमेशा मोबाइल में लगे रहते हैं और आधी बातें ही समझ पाते हैं.

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वहीं अभिभावक सीमा का कहना है कि ऑनलाइन क्लास से बच्चों में स्ट्रेस ज्यादा बढ़ रही है. आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है. बच्चे किस तरह पढ़ाई कर रहे हैं ऑनलाइन, ध्यान दे रहे हैं नहीं दे रहे हैं अभिभावक की एक जिम्मेदारी बन जाती है. सारे काम छोड़ कर बच्चों पर फोकस करना पड़ता है. बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को परेशानी ऑनलाइन क्लास से हो रही है. स्कूल खुल जाएं, बच्चे स्कूल जाने लगे यह काफी अच्छा रहेगा और बच्चों की पढ़ाई भी अच्छे तरीके से होने लगेगी.

वहीं अभिभावक राजू का कहना है कि हर अभिभावक पढ़ा लिखा नहीं है. जिसके चलते बच्चों की ऑनलाइन क्लास के बाद उन्हें ट्यूशन भी लगा रखा है. ऑनलाइन क्लास मैं सही तरीके से बच्चा नहीं पढ़ पाता है और उसे हम ट्यूशन देते हैं क्योंकि हम पढ़े-लिखे इतने नहीं हैं कि अपने बच्चों को पढ़ा सकें. जिसके चलते आर्थिक मार भी झेलनी पड़ रही है. अभिभावक अर्जुन का कहना है कि कोविड-19 के सारे नियमों को स्कूल द्वारा पालन करते हुए अच्छे तरीके से स्कूल खोले जाएं तो हमें कोई परहेज नहीं है. बच्चों को स्कूल भेजने से क्योंकि घर पर बच्चा अच्छे से पढ़ाई करने की जगह सिर्फ मोबाइल का कीड़ा बन कर रह जाता है. स्कूल अगर बच्चा जाएगा और अपने साथियों, टीचरों से मिलेगा तो उसके शिक्षा और ज्ञान में बढ़ोतरी होगी. इसलिए बच्चों का स्कूल जाकर पढ़ाई करना सही है ऑनलाइन क्लास बेहतर नहीं है.

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ऑनलाइन क्लास और स्कूल में जाकर बच्चों के पढ़ाई करने के संबंध में सभी अभिभावकों और बच्चे की देखी जाए तो एक ही राय निकली कि सभी का यही कहना है कि बच्चे स्कूल में ही बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. ऑनलाइन क्लास बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. अभिभावकों का मानना यह भी है कि जब तक बच्चा फिजिकली अपने स्कूल, दोस्तों और टीचर के बीच नहीं रहेगा तब तक वह अच्छी पढ़ाई नहीं कर सकता है. ऑनलाइन क्लास में बच्चा घर में पड़े पड़े मानसिक रूप से भी तनाव में होने लगता है. सबसे ज्यादा परेशानी उन घरों में हो रही है, जिन घरों में माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और दोनों ही घर से बाहर कमाने जाते हैं और बच्चा घर में अकेले ऑनलाइन क्लास करता है. वहीं कुछ अभिभावकों का यह भी कहना था कि ज्यादा देर तक बच्चों द्वारा मोबाइल पर पढ़ाई करने से वह दिमागी रूप से कमजोर भी होने लग जाता है.

वहीं ऑनलाइन क्लास करने वाली छात्रा तान्या से बात की गई तो उसका कहना है कि स्कूल मैं पढ़ाई अच्छी होती है और घर पर पढ़ाई करने से चीजें अच्छे से समझ में नहीं आती है.

नई दिल्ली/नोएडा: कोरोना का एक ऐसा दौर चला जिसका प्रभाव हर तरफ देखने को मिला. कोरोना का असर शिक्षा पर भी देखने को मिला, जो बच्चे स्कूल जा कर पढ़ाई कर रहे थे वो पिछले काफी समय से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. ऑनलाइन पढ़ाई बच्चों के लिए बेहतर है या स्कूल जाना, इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने कुछ अभिभावकों और बच्चों से बात की तो सभी का यही कहना है कि बच्चों का स्कूल जाना बेहतर है.

दरअसल, सभी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई तो करवाते हैं लेकिन वो महज एक फॉर्मेलिटी भर ही है. क्योंकि ऑनलाइन क्लास के बाद भी बच्चों को ट्यूशन में भेजना पड़ रहा है. इसलिए बच्चों का स्कूल जाना ही बेहतर है और तभी वह अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई में अच्छे से पढ़ पाते हैं.

ऑनलाइन क्लास बढ़ा रहा बच्चों में स्ट्रेस

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बच्चों द्वारा की जा रही ऑनलाइन पढ़ाई के संबंध में ईटीवी भारत की टीम कुछ अभिभावक और बच्चों से बात की तो उनका कहना है कि कोरोना महामारी के बीच स्कूल अब धीरे-धीरे खोले जा रहे हैं. यह बहुत ही अच्छा काम है. बच्चे स्कूल जाकर ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. क्योंकि ऑनलाइन क्लास के माध्यम से बच्चे उचित और अच्छी शिक्षा नहीं पा रहे हैं. जिसके चलते उनके ज्ञान में कमी आ रही है. अभिभावक प्रमोद कुमार साहू का कहना है कि कोरोना को लेकर एहतियात बरतते हुए हम बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए जरूर भेजेंगे. ऑनलाइन क्लास में बच्चों का भविष्य नहीं है. वहीं अभिभावक पूनम ने बताया कि बच्चे स्कूल जाकर ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. घर पर बच्चे हमेशा मोबाइल में लगे रहते हैं और आधी बातें ही समझ पाते हैं.

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वहीं अभिभावक सीमा का कहना है कि ऑनलाइन क्लास से बच्चों में स्ट्रेस ज्यादा बढ़ रही है. आंखों पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है. बच्चे किस तरह पढ़ाई कर रहे हैं ऑनलाइन, ध्यान दे रहे हैं नहीं दे रहे हैं अभिभावक की एक जिम्मेदारी बन जाती है. सारे काम छोड़ कर बच्चों पर फोकस करना पड़ता है. बच्चों से ज्यादा अभिभावकों को परेशानी ऑनलाइन क्लास से हो रही है. स्कूल खुल जाएं, बच्चे स्कूल जाने लगे यह काफी अच्छा रहेगा और बच्चों की पढ़ाई भी अच्छे तरीके से होने लगेगी.

वहीं अभिभावक राजू का कहना है कि हर अभिभावक पढ़ा लिखा नहीं है. जिसके चलते बच्चों की ऑनलाइन क्लास के बाद उन्हें ट्यूशन भी लगा रखा है. ऑनलाइन क्लास मैं सही तरीके से बच्चा नहीं पढ़ पाता है और उसे हम ट्यूशन देते हैं क्योंकि हम पढ़े-लिखे इतने नहीं हैं कि अपने बच्चों को पढ़ा सकें. जिसके चलते आर्थिक मार भी झेलनी पड़ रही है. अभिभावक अर्जुन का कहना है कि कोविड-19 के सारे नियमों को स्कूल द्वारा पालन करते हुए अच्छे तरीके से स्कूल खोले जाएं तो हमें कोई परहेज नहीं है. बच्चों को स्कूल भेजने से क्योंकि घर पर बच्चा अच्छे से पढ़ाई करने की जगह सिर्फ मोबाइल का कीड़ा बन कर रह जाता है. स्कूल अगर बच्चा जाएगा और अपने साथियों, टीचरों से मिलेगा तो उसके शिक्षा और ज्ञान में बढ़ोतरी होगी. इसलिए बच्चों का स्कूल जाकर पढ़ाई करना सही है ऑनलाइन क्लास बेहतर नहीं है.

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ऑनलाइन क्लास और स्कूल में जाकर बच्चों के पढ़ाई करने के संबंध में सभी अभिभावकों और बच्चे की देखी जाए तो एक ही राय निकली कि सभी का यही कहना है कि बच्चे स्कूल में ही बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं. ऑनलाइन क्लास बच्चों के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है. अभिभावकों का मानना यह भी है कि जब तक बच्चा फिजिकली अपने स्कूल, दोस्तों और टीचर के बीच नहीं रहेगा तब तक वह अच्छी पढ़ाई नहीं कर सकता है. ऑनलाइन क्लास में बच्चा घर में पड़े पड़े मानसिक रूप से भी तनाव में होने लगता है. सबसे ज्यादा परेशानी उन घरों में हो रही है, जिन घरों में माता-पिता की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और दोनों ही घर से बाहर कमाने जाते हैं और बच्चा घर में अकेले ऑनलाइन क्लास करता है. वहीं कुछ अभिभावकों का यह भी कहना था कि ज्यादा देर तक बच्चों द्वारा मोबाइल पर पढ़ाई करने से वह दिमागी रूप से कमजोर भी होने लग जाता है.

वहीं ऑनलाइन क्लास करने वाली छात्रा तान्या से बात की गई तो उसका कहना है कि स्कूल मैं पढ़ाई अच्छी होती है और घर पर पढ़ाई करने से चीजें अच्छे से समझ में नहीं आती है.

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