ETV Bharat / city

'सरकार ने हमारे रोजगार पर पाबंदी लगा दी, दबाएंगे नोटा बटन'

हम लोग सांपों को पकड़ कर उसकी सहायता से खेल कूद दिखाकर अपनी जीविका चलाते थे. सरकार ने उस पर पाबंदी लगा. हमें कोई नया रोजगार नहीं दिया.

दबाएंगे नोटा बटन
author img

By

Published : Apr 1, 2019, 11:26 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: चुनाव के जीतने के लिए राजनैतिक दल समाज के लोगों को साधने में जुटे हुए हैं. वोट बैंक की राजनीति को भी तवज्जो दी जा रही है. लेकिन समाज में एक तबका ऐसा भी है जिसकी तरफ किसी पार्टी का ध्यान ही नहीं गया वह घुमंतू सपेरा समाज.

'सरकार ने हमारे रोजगार पर पाबंदी लगा दी

घुमंतू समाज की 666 जातियां हैं. लगभग 25 करोड़ की जनता है. जिसमें सपेरा समाज सबसे अंतिम पंक्ति में खड़ा दिखाई देता है. अब अपनी दावेदारी पेश करने के लिए अखिल भारतीय सपेरा समाज विकास महासंघ का गठन किया है.

इस समाज ने ग्रेटर नोएडा के आईबीआई कॉलेज में बैठक का आयोजन किया. राजनैतिक दलों संदेश दिया कि उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

विकास की लाइन में सबसे पीछे
ये बात किसी से नहीं छिपी की सपेरों की हमारे समाज को कितनी जरूरत रहती है. सदियोंसे इस समाज के लोग सांप के डसे हुए लोगों को नए जीवन दान के लिए सामने आते रहे हैं.आज खुद ये भुखमरी के कगार पर हैं. इनका कहना है कि घुमंतू समाज की 666 प्रजातियां हैं. जिसमें से सपेरा समाज विकास की लाइन में सबसे पीछे हैं.

सपेरा समाज के लोगों का कहना है कि सरकार ने हमारा जो मुख्य काम था उस पर पाबंदी लगा दी है. हम लोग सापों को पकड़ कर उसकी सहायता से खेल कूद दिखाकर अपनी जीविका चलाते थे.

नया रोजगार नहीं दिया

सरकार ने उस पर पाबंदी लगा दी और हमें कोई नया रोजगार नहीं दिया. सरकारचाहे तो हमें चिड़िया घर, वन विभाग और कई अन्य विभागों में रोजगार दे सकती है. हमारी और हमारी आने वाली पीढ़ी की तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है.

इन लोगों का कहना है कि हमारा समाज और हमारी आने वाली पीढ़ी भी आगे जाये और कुछ करे, इसके लिए हमने अखिल भारतीय सपेरा समाज विकास महासंघ नाम से एक संगठन बनाया है.

नोटा का बटन दबाएंगे

जो शिक्षा, रोजगार, और हमारी समस्याओं पर ध्यान देगा. बावजूद इसके किसी का भी ध्यान अबतक हमारी तरफ नहीं गया. इस बार हम सपेरा समाज के लोग नोटा का बटन दबाएंगे.

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: चुनाव के जीतने के लिए राजनैतिक दल समाज के लोगों को साधने में जुटे हुए हैं. वोट बैंक की राजनीति को भी तवज्जो दी जा रही है. लेकिन समाज में एक तबका ऐसा भी है जिसकी तरफ किसी पार्टी का ध्यान ही नहीं गया वह घुमंतू सपेरा समाज.

'सरकार ने हमारे रोजगार पर पाबंदी लगा दी

घुमंतू समाज की 666 जातियां हैं. लगभग 25 करोड़ की जनता है. जिसमें सपेरा समाज सबसे अंतिम पंक्ति में खड़ा दिखाई देता है. अब अपनी दावेदारी पेश करने के लिए अखिल भारतीय सपेरा समाज विकास महासंघ का गठन किया है.

इस समाज ने ग्रेटर नोएडा के आईबीआई कॉलेज में बैठक का आयोजन किया. राजनैतिक दलों संदेश दिया कि उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

विकास की लाइन में सबसे पीछे
ये बात किसी से नहीं छिपी की सपेरों की हमारे समाज को कितनी जरूरत रहती है. सदियोंसे इस समाज के लोग सांप के डसे हुए लोगों को नए जीवन दान के लिए सामने आते रहे हैं.आज खुद ये भुखमरी के कगार पर हैं. इनका कहना है कि घुमंतू समाज की 666 प्रजातियां हैं. जिसमें से सपेरा समाज विकास की लाइन में सबसे पीछे हैं.

सपेरा समाज के लोगों का कहना है कि सरकार ने हमारा जो मुख्य काम था उस पर पाबंदी लगा दी है. हम लोग सापों को पकड़ कर उसकी सहायता से खेल कूद दिखाकर अपनी जीविका चलाते थे.

नया रोजगार नहीं दिया

सरकार ने उस पर पाबंदी लगा दी और हमें कोई नया रोजगार नहीं दिया. सरकारचाहे तो हमें चिड़िया घर, वन विभाग और कई अन्य विभागों में रोजगार दे सकती है. हमारी और हमारी आने वाली पीढ़ी की तरफ सरकार का कोई ध्यान नहीं है.

इन लोगों का कहना है कि हमारा समाज और हमारी आने वाली पीढ़ी भी आगे जाये और कुछ करे, इसके लिए हमने अखिल भारतीय सपेरा समाज विकास महासंघ नाम से एक संगठन बनाया है.

नोटा का बटन दबाएंगे

जो शिक्षा, रोजगार, और हमारी समस्याओं पर ध्यान देगा. बावजूद इसके किसी का भी ध्यान अबतक हमारी तरफ नहीं गया. इस बार हम सपेरा समाज के लोग नोटा का बटन दबाएंगे.


बीन बाजा कर साँपो साधने वाले 25 करोड़ घुमन्त समाज के लोग राजनैतिक दलो साधने में विफल,

 

G.Noida:- चुनाव के जीतने के लिए राजनैतिक दल समाज के लोगो को साधने में लगे, वादे किए जा रहे, विकास का वादा किया जा रहा है, वोट बैंक की राजनीति हिस्सा भी दिया जा रहा है। लेकिन समाज में एक तबका ऐसा भी है जिसकी तरह किसी पार्टी का ध्यान ही नहीं गया वह घुमंतु सपेरा समाज। घुमन्त समाज की 666 जातियां और उसकी लगभग 25 करोड़ की जनता है जिसमें से सबसे सपेरा समाज सबसे अंतिम पंक्ति में खड़ा दिखाई देता है। लेकिन अब इस समाज ने ग्रेटर नोएडा के आईबीआई कॉलेज में बैठक का आयोजन किया गया अपनी दावेदारी पेश करने के लिए अखिल भारतीय सपेरा समाज विकास महासंघ का गठन किया है, और राजनैतिक दलो संदेश दिया है और उपेक्षा बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

 

स्टेज पर बीन और स्वर से लोगों को मोहित करते ये कलाकार सपेरा समाज से है, ये बात किसी से नहीं छिपी की सपेरों का हमारे समाज को कितनी जरूरत रहती है और सदियो  से ये सांप के काटे हुए लोगों को एक नए जीवन दान देने के लिए सामने आते रहे है। लेकिन आज खुद ये भुखमरी के कगार में खडे नज़र आते है। । इन सबका कहना है कि घुमन्त समाज की 666 प्रजातियां है जिसमें से सपेरा समाज विकास की लाइन में सबसे पीछे है। इसका कारण वे बताते है की सरकार ने हमारा जो मुख्य काम था सापों को पकड़ना और उसकी सहायता से खेल कूद दिखाकर पैसा अपनी जीविका चलाना उसपर पाबन्दी लगा दी। और हमे कोई नया रोजगार नहीं दिया। जिससे हमारी जीवन यापन हो सके। सरकार  चाहे तो हमे चिड़िया घर, वन विभाग और कई अन्य विभागों में हमे रोजगार दे सकती है लेकिन हमारी और हमारी आयने वाली पीढ़ी की तरफ कोई ध्यान नहीं है।

बाइट:-वीरेंद्र सिंह (संगठन कार्यकर्ता)                                                     

बाइट:-शिवपाल नाथ (राष्ट्रिय सचिव)

 

लोगों का कहना है कि हमारा समाज और हमारी आने वाली पीढ़ी भी आगे जाये और कुछ करें इसके लिए हमने एक नया संगठन अखिल भारतीय सपेरा समाज विकास महासंघ नाम से एक संगठन बनाया है जो शिक्षा, रोजगार, और हमारी समस्याओं पर ध्यान देगा।  लेकिन बावजूद इसके किसी का भी ध्यान अबतक हमारी तरफ नहीं गया। और इस बार हमारा सपेरा समाज के लोग नोटा का बटन दबाएगें।

बाइट:-हिमांशु वर्मा (राष्ट्रिय मुख्य संगरक्षक)

बाइट:-महेंद्र सिंह (राष्ट्रिय महासचिव)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.