नई दिल्ली/नोएडा: 9वीं दौर की वार्ता के लिए किसानों का प्रतिनिधिमंडल सिंघु बॉर्डर से विज्ञान भवन के लिए रवाना हो चुका है. सरकार और किसानों के बीच आठ चरण की वार्ता हो चुकी है, जो बेनतीजा रही. किसान चाहते हैं कि तीनों कृषि बिल वापस हो जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून सरकार बनाए. ऐसे में 46 दिन से चिल्ला बॉर्डर पर बैठे किसान क्या सोचते हैं? क्या आगे की रणनीति है? सभी सवालों के जवाब किसानों ने दिए हैं.
"26 जनवरी को परिणाम भुगतने को रहें तैयार"
भारतीय किसान यूनियन भानु गुट के प्रदेश अध्यक्ष योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार 20 जनवरी से पहले जितने दौर की वार्ता सरकार करना चाहती है कर ले. उसके बाद 26 जनवरी को सरकार किसानों पर दोष न मढ़े और परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें. उन्होंने ईटीवी भारत के माध्यम से सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कई दौर की वार्ता हो चुकी है. बात तीनों कृषि बिल की वापसी और एमएसपी की गारंटी कानून पर अटकी है, या तो सरकार मांगे मान ले और किसान घर को वापस लौट जाएगा नहीं तो 20 जनवरी के बाद सरकार किसानों को दोषी न बताए.
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"46वें दिन प्रदर्शन जारी"
चिल्ला बॉर्डर पर 46वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. आठ दौर की वार्ता विफल होने के बाद आज 9वीं दौर की वार्ता किसान और सरकार के बीच होनी है. किसानों ने निराशा जताते हुए कहा कि उन्हें सरकार से कोई उम्मीद नहीं है. 26 जनवरी को किसान बैरिकेडिंग तोड़कर दिल्ली कूच करेंगे.