नई दिल्ली/ग्रे. नोएडा: कोविड-19 महामारी के इस बुरे दौर में खून के रिश्ते और जाति-धर्म के बंधन किस कदर कच्चे धागे की तरह टूट रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण शनिवार रात में देखने को मिला. जहां एक मां ने अपने इकलौते बेटे को उसके कोरोना पॉजिटिव पिता के जनाजे को हाथ लगाने से मना कर दिया.
वहीं मृतक के धर्म से जुड़े लोगों ने भी कोरोना के डर से शव को एंबुलेंस से कब्र तक हाथ लगाने से इंकार कर दिया. ऐसे में दो डॉक्टरों और एक फार्मासिस्ट ने आगे आकर जनाजे को दफनाने का जिम्मा उठाया और पीपीई किट पहनकर मुस्लिम धर्म गुरूओं के निर्देशानुसार जनाजे को दफनाने की प्रक्रिया को पूरा किया.
यह मामला ग्रेटर नोएडा का जहां एक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत कार्डियो रेस्पिरेट्री सिस्टम फेल होने से हुई थी.
परिवार ने मृतक को छूने से किया मना
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने ऐसे में बुजुर्ग के शव को दफनाने की जिम्मेदारी जिला क्वारंटीन प्रभारी एसीएमओ डॉ वी बी ढ़ाका, दादरी सीएचसी प्रभारी डॉ अमित चौधरी और फार्मासिस्ट कपिल चौधरी को सौंपी.
जिन्हें निर्देश दिए गए कि वो मृतक के परिवार से बात कर उन्हें साथ लेकर प्रोटोकॉल के तहत शव का क्रियाकर्म कराने में मदद करें. जिसके बाद जिम्स से रात करीब 10 बजे बुजुर्ग के शव को नोएडा के ककराला गांव स्थित कब्रिस्तान पहुंचाया गया.
वहीं मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी समेत सभी परिवार के सदस्यों को भी गलगोटिया यूनिवर्सिटी क्वारंटीन सेंटर से कब्रिस्तान लाया गया. जहां जनाजे को दफनाने की सारी तैयारियां पूरी होने पर एंबुलेंस में बैठी मृतक की पत्नी, बेटे और बेटी से जनाजे को शव वाहन से निकालकर कब्र तक पहुंचाकर शुप्रद ए खाख की कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया, लेकिन पति की मौत का गम झेल रही पत्नी ने अपने बेटे और बेटी को कोरोना के डर से अंत समय में उनके पिता के जनाजे को हाथ लगाने से भी रोक दिया.
परिजन का कहना है कि कोविड-19 ने उनके पति की जान ली है अब वो अपने बच्चों को नहीं खोना चाहतीं. बीएएमएस की पढ़ाई कर रहे उनके बेटे के अनुसार वो पिता के अंत समय में अपना बेटा होने का फर्ज अदा करना चाहते थे लेकिन मां की आंखों के आंसूओं ने उन्हें रोक दिया. जिसके चलते दो डॉक्टरों व फार्मासिस्ट ने ही उनके पिता के शुप्रद ए खाख की प्रक्रिया को उनकी मौजूदगी में पूरा किया.